रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत (Shaktikant Das) की अगुवाई वाली 6 सदस्यीय समिति ने मौद्रिक नीतियों को लेकर कई प्रभावकारी फैसले किए हैं. तीन दिन तक चली बैठक के बाद फैसलों की जानकारी देते हुए गवर्नर दास ने बताया कि अर्थव्यवस्था अभी महामारी के दबाव से उबर रही है. लिहाजा मौद्रिक नीतियों को अभी नरम बनाए रखने का फैसला किया गया है.
बैठक 8 फरवरी से शुरू हुई. बैठक में खुदरा महंगाई, नीतिगत ब्याज दर, विकास दर और डिजिटल लेनदेन सहित कई मुद्दों पर फैसले लिए गए. हम आपको MPC बैठक की 10 बड़ी बातें बता रहे हैं.
डिजिटल लेनदेन को मिलेगा बढ़ावा
-रेपो रेट (Repo Rate) में लगातार 10वीं बार कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह 4 फीसदी पर बनी हुई है.
-रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) को भी 3.35 फीसदी पर बनाए रखा है. आरबीआई के पास जमा बैंकों के पैसों पर इसी दर से ब्याज का भुगतान होता है.
-इमरजेंसी हेल्थ सेवाओं और एग्रीकल्चर, माइनिंग, रेस्तरां जैसे गहन क्षेत्रों के लिए लिक्विडिटी सुविधा को 30 जून, 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
-ई-रुपी प्रीपेड डिजिटल वाउचर को 10 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है. इसका इस्तेमाल एक से अधिक बार भी किया जा सकेगा.
-ट्रेड से जुड़े सेटलमेंट के लिए नेशनल ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस (NACH) की लिमिट को बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये कर दिया है.
-वित्तवर्ष 2021-22 के लिए विकास दर अनुमान को 9.2 फीसदी पर बरकरार रखा है.
-अगले वित्तवर्ष (2022-23) के लिए रिजर्व बैंक ने 7.8 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया है.
-खुदरा महंगाई दर भी अगले वित्तवर्ष में 4.5 फीसदी बने रहने का अनुमान है, जिसमें सितंबर के बाद नरमी के संकेत हैं.
-गवर्नर ने दावा किया है कि सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट पिछले साल के मुकाबले मजबूत हुई है, जिससे बैंकों के प्रदर्शन में आगे और भी सुधार आएगा.
-महामारी का दबाव अभी जारी है. ओमिक्रॉन से अर्थव्यवस्था के सुधार को झटका लगा है. दुनिया के कुछ देशों में महंगाई दर कई दशक के शीर्ष पर पहुंच गई है.