मेडिकल की पढ़ाई भी अंग्रेजी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं में शुरू करने पर विचार किया जा रहा है. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने हाल में हुई बैठक में इस पर चर्चा की है. बता दें कि इससे पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई क्षेत्रीय भाषाओं में शुरू किए जाने के बाद यह मसौदा तैयार किया गया है. इससे राज्य स्तर पर छात्रों को चिकित्सा शिक्षा के अध्ययन में सुविधा मिलेगी, क्योंकि यह देखा गया है कि ग्रामीण परिवेश से आने वाले छात्रों को शुरुआती दौर में चिकित्सा शिक्षा की पूर्णत: अंग्रेजी में पढ़ाई करने में कठिनाई आती है. इस कदम से क्षेत्रीय भाषाओं को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
बता दें कि एनएमसी के गठन से पहले जब एमसीआई अस्तित्व में थी, तब उसने हिंदी में मेडिकल कोर्स शुरू करने के अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. चर्चा के मसौदे में कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षा को दो भाषाओं में शुरू करने का नया प्रस्ताव बैठक में आया है.
स्थानीय भाषा में होगी मेडिकल की पढ़ाई
खास बात यह है कि इसमें प्रमुख भाषा के तौर पर अंग्रेजी मौजूद रहेगी. अंग्रेजी के साथ-साथ एक स्थानीय भाषा में भी मेडिकल की पढ़ाई शुरू की जाएगी. जैसे ओडिशा में अंग्रेजी के साथ उड़िया, उत्तर प्रदेश में अंग्रेजी के साथ हिंदी और तमिलनाडु में अंग्रेजी के साथ तमिल भाषा में पढ़ाई की जाएगी.