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पाकिस्तान में राजनीतिक संकट के बीच सबकी निगाहें अब सुप्रीम कोर्ट पर, फैसले के बाद बन सकती हैं कई परिस्थितियां

पाकिस्तान नेशनल असेंबली में डिप्टी स्पीकर द्वारा इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के बाद विपक्ष सुप्रीम कोर्ट का रुख कर चुका है. सुप्रीम कोर्ट अब डिप्टी स्पीकर के इस फैसले को चेक कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी द्वारा नेशनल असेंबली को भंग करने का खुद ही संज्ञान लिया.

सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

चीफ जस्टीस उमर अता बंदियाल ने कहा कि, “यह एक जरूरी मामला है. सभी राजनीतिक दलों और राज्य के पदाधिकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं.” कोर्ट ने प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ-साथ नेशनल असेंबली के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को भी नोटिस जारी किया है. बता दें कि नेशनल असेंबली में डिप्टी स्पीकर ने वोटिंग से कुछ समय पहले इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. उन्होंने इसके पीछे तर्क दिया था कि यह संविधान के अनुच्छेद 5 का विरोधाभास है. इसके कुछ ही देर बाद इमरान खान ने राष्ट्र को संबोधित किया और कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को नेशनल असेंबली को भंग करने और नए सिरे से चुनाव कराने की सलाह दी है.

अब आगे क्या हो सकती है स्थिति

पाकिस्तान के मौजूदा राजनीतिक संकट को देखते हुए विशेषज्ञ अलग-अलग तरह की संभावनाएं जता रहे हैं. ये चीजें परिस्थिति के हिसाब से बदल सकती हैं. आइए जानते हैं किस-किस तरह की परिस्थितियां वहां बन रही हैं. 

1. इमरान खान के खिलाफ कोर्ट का फैसला आया तो

अगर अदालत पाकिस्तान नेशनल असेंबली को अविश्वास प्रस्ताव रखने के लिए कहती है, तो इमरान खान का सत्ता से जाना तय है. नेशनल असेंबली में उनके पास बहुमत नहीं है. ऐसी स्थिति में विपक्ष को सरकार बनाने का मौका मिलेगा. प्रधानमंत्री का कार्यकाल अगस्त 2023 तक चलेगा.

2. अगर कोर्ट का फैसला इमरान खान के पक्ष में आया तो

अगर कोर्ट इमरान खान के पक्ष में फैसला सुनाती है और उनके द्वारा नेशनल असेंबली को भंग कराने को सही मानती है तो 90 दिनों के अंदर पाकिस्तान में नए सिरे से चुनाव हो सकते हैं.

3. अदालती कार्यवाही में देरी होती है तो

अगर कोर्ट के फैसले में देरी होती है तो गतिरोध जारी रहेगा. वर्तमान में पाकिस्तान में कोई सरकार नहीं है क्योंकि इमरान खान ने अपने मंत्रिमंडल को भंग कर दिया है. उन्होंने चुनाव होने तक गुलजार अहमद का नाम प्रस्तावित कर रखा है. ऐसे में अदालत के आदेश पारित होने या चुनाव होने तक गुलजार अहमत कार्यवाहक पीएम बन सकते हैं.

4. सैन्य हस्तक्षेप भी हो सकता है

पाकिस्तान के मौजूदा हालातों को देखकर ये भी कहा जा रहा है कि यहां सैन्य हस्तक्षेप भी हो  सकता है और सेना देश की कमान संभाल सकती है. यहां पहले भी कई बार सेना देश की बागडोर अपने हाथ में ले चुकी है.

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