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52 दिनों के जंग में अमेरिका ने यूक्रेन को भेज दी इतनी मदद, रूस के खिलाफ ये है प्लान

रूस और यूक्रेन जंग को 52 दिन हो रहे हैं. पहले लग रहा था कि रूस बहुत कम वक्त में यूक्रेन को जीत लेगा. मगर जिस तरह से यूक्रेन रूस के हमलों का सामना कर रहा है, वो काबिलेतारीफ है. जंग में यूक्रेन के जज्बे और जुझारूपन की तारीफ तो बेशक होनी चाहिए. मगर उन देशों की तारीफ भी होनी चाहिए, जिन्होंने इस मुश्किल वक्त में यूक्रेन का साथ दिया है. इनमें अमेरिका सबसे आगे है. आपको जानकर हैरानी होगी कि 50 दिनों की जंग में अमेरिका ने यूक्रेन को 13 हजार करोड़ की सैन्य सहायता भेज दी है. आने वाले दिनों में और भी मदद भेजने का ऐलान किया जा चुका है.

भले ही यूक्रेन को अब तक NATO में शामिल करने में अमेरिका नाकाम रहा हो पर वह रूस के खिलाफ यूक्रेन की लगातार मदद कर रहा है. अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने भी दावा किया है कि अमेरिकी सेना अपने इतिहास में अधिकृत तौर पर सबसे बड़ा हथियार सप्लाई अभियान यूक्रेन में चला रही है.

आइए जानते हैं रूस से जंग में अमेरिका यूक्रेन की क्यों और कैसे मदद कर रहा है…

अमेरिका यूक्रेन को भारी हथियारों की सप्लाई क्यों कर रहा है?

रूसी सैनिकों ने यूक्रेन में अपने सैन्य आक्रमण के फेज 2 में प्रवेश किया है. रूसी सेना अपना पूरा ध्यान यूक्रेन के दक्षिणपूर्व बंदरगाह शहरों, विशेष रूप से मारियुपोल और डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (डीपीआर) और लुहान्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (एलपीआर) के पूर्वी अलगाववादियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में लगा रही है. सैन्य विशेषज्ञों ने कहा है कि उपरोक्त क्षेत्रों में भूभाग रूस के प्राकृतिक सैन्य लाभ को जोड़ता है. यह ध्यान देने योग्य है कि यूक्रेन के दक्षिण-पूर्व में मैदानों के विस्तृत खंड हैं. अमेरिका नहीं चाहता कि रूस को इसका फायदा मिले. लिहाजा वो यूक्रेन की मदद कर रहा है.

12 अप्रैल तक यूक्रेन को दिए 12.9 हजार करोड़ रुपये की मदद

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में अमेरिकी रक्षा विभाग के हवाले से यूक्रेन को अब तक भेजे गए सैन्य मदद की जानकारी दी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 24 फरवरी को दोनों देशों के बीच जंग शुरू होने से लेकर 12 अप्रैल तक अमेरिका ने यूक्रेन को 12.9 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की. इसके बाद 13 अप्रैल को एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 6.08 हजार करोड़ रुपये की आर्थिक मदद यूक्रेन को देने का ऐलान किया है.

मदद में क्या-क्या शामिल है?

अमेरिका ने महज 50 दिनों में यूक्रेन को 1400 स्टिंगर एंटी एयरक्राफ्ट, 4600 जैवलिन, 1000 लाइट एंटी आर्मर, 100 ग्रेनेड लांचर समेत कई घातक हथियार दिए हैं. हजारों की संख्या में अमेरिका और यूरोप के ट्रेनिंग लिए हुए स्वंयसेवक लड़ाके रूस के खिलाफ जंग लड़ने के लिए यूक्रेन पहुंच रहे हैं. अमेरिका जंग में रूस को हराने के लिए कितना गंभीर है, इसे पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी के एक बयान से समझा जा सकता है.

यूक्रेन में ताजा हालात क्या हैं?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान शुरू करने के बाद से 52 दिन हो गए हैं. जंग में यूक्रेन के ज्यादातर शहर तबाह हो चुके हैं. लोग बेघर हो गए हैं. लाखों लोग देश छोड़कर जा चुके हैं और पड़ोसी देशों में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर हैं. जंग में अबतक हजारों लोग मारे गए हैं, शहरों के इंफ्रास्ट्रक्चर को तबाह कर दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, कई महिलाओं और बच्चों को बंधकर बनाकर रखा गया है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में युवतियों को बंधक बनाकर कई बार रेप की भी खबरें आई थीं.

जंग में रूस को हुआ कितना नुकसान?

इस जंग में यूक्रेन को तो नुकसान हुआ ही है साथ ही रूस को भी कम क्षति नहीं हुई है. यूक्रेन ने दावा किया कि इस जंग में रूस के 12 हजार सैनिक मारे गए हैं. सैनिकों के साथ-साथ जंग में रूस के कई हथियार भी नष्ट हुए हैं. इसमें 77 एयरक्राफ्ट, 90 हेलिकॉप्टर, 389 टैंक, 60 सिस्टर्न्स, 8 यूएवी, 1249 सेना के वाहन, 64 एमएलआरएस, 617 वाहन, 3 वैसेल्स, 34 एंटी एयरक्राफ्ट वॉरफेयर सिस्टम्स का नुकसान हुआ है.

जंग को लेकर अमेरिका और सहयोगी देशों की क्या है प्लानिंग?

रूसी सेना ने जिस तरह बूचा में लोगों को मारा है, उसे देखते हुए अब अमेरिका और यूरोपीय देश पहले से ज्यादा एग्रेसिव होकर यूक्रेन की मदद के लिए एकजुट हुए हैं. सीएनएन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि कीव को ज्यादा से ज्यादा आधुनिक हथियार दिए जा रहे हैं. जिससे यूक्रेन की सेना पहले से ज्यादा संगठित होकर रूसी सेना को देश के पूर्वी हिस्से से भी पीछे वापस लौटने के लिए मजबूर कर सके. अमेरिका और यूरोपीय देश इस बात की प्लानिंग कर रहे हैं कि रूस पर और ज्यादा सख्त पाबंदी लगाए जाएं, जिससे रूस बातचीत के टेबल पर बैठने लिए तैयार हो जाए. वहीं, अमेरिका की 82वीं एयरबोर्न डिवीजन के सैनिक पूर्वी पोलैंड में रूस को जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं.

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