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भारत-ब्रिटेन के बीच रक्षा समेत निवेश बढ़ाने को लेकर समझौते, जानिए दो दिग्गज नेताओं के बीच और क्या हुई बात

दुनिया में तीव्र भू-राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष बोरिस जॉनसन ने शुक्रवार को एक नये और विस्तारित भारत-ब्रिटेन रक्षा गठजोड़ पर सहमति व्यक्त की. जिसमें इस वर्ष के अंत तक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत को अंतिम रूप देने का निर्णय किया गया. दोनों नेताओं ने ‘रोडमैप 2030’ सहित द्विपक्षीय संबंधों के सभी आयामों की समीक्षा की तथा विभिन्न क्षेत्रों में गठजोड़ को और गहरा बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है.

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन में शामिल होने के लिए ब्रिटेन को आमंत्रित किया. दोनों नेताओं के बीच संबंधों के विविध आयामों पर विस्तृत चर्चा के बाद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ आज हम एक नयी, विस्तारित रक्षा और सुरक्षा साझेदारी पर सहमत हुए हैं.’’ उन्होंने कहा कि यह हमारे संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की दशकों पुरानी प्रतिबद्धता और साथ ही नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया के लक्ष्य की दिशा में भी है.

पीएम मोदी को बताया खास दोस्त

जॉनसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना ‘खास दोस्त’ बताया. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन भारत पर केंद्रित मुक्त सामान्य निर्यात लाइसेंस बनाने पर काम कर रहा है, जिससे नौकरशाही की बाधाएं कम होंगी और रक्षा खरीद में कम समय लगेगा. जॉनसन ने कहा कि दोनों पक्षों ने जमीन, समुद्र, वायु क्षेत्र और साइबर क्षेत्र सहित नये खतरों से निपटने के लिए साथ काम करने पर भी सहमति व्यक्त की. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन नये लड़ाकू विमानों की प्रौद्योगिकी और नौवहन प्रौद्योगिकी पर भारत के साथ सहयोग करेगा, इसके साथ ही समुद्र में खतरों को लेकर भी प्रतिक्रिया देगा.

इस साल के अंत तक FTA को अंतिम रूप

मोदी और जॉनसन ने ‘रोडमैप 2030’ को लागू किये जाने की दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की और बैठक के बाद संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज की बातचीत में हमने इस रोडमैप में हुई प्रगति की समीक्षा की और आगामी समय के लिए कुछ लक्ष्य भी तय किए. उन्होंने कहा कि मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के विषय पर दोनों देशों के दल काम कर रहे हैं. बातचीत में अच्छी प्रगति हो रही है. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ हमने इस साल के अंत तक एफटीए को अंतिम रूप देने की दिशा में पूरा प्रयास करने का निर्णय लिया है.’’
दीपावली तक पूरी होगी बात

वहीं, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मुक्त व्यापार समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि इस विषय पर बातचीत में चार चैप्टर पूरे हुए हैं और अगले सप्ताह अगले दौर की वार्ता होगी. उन्होंने कहा कि हमने इसे अक्टूबर या दीपावली तक पूरा करने को कहा है. जॉनसन ने कहा कि इससे हमारा कारोबार एवं निवेश एक दशक में दोगुना हो सकता है. बैठक में दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर हो रहे अन्य घटनाक्रमों पर भी चर्चा की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक खुली, समावेशी और नियम-आधारित व्यवस्था बनाए रखने पर जोर दिया.

अफगानिस्तान को लेकर ये हुई बात

प्रधानमंत्री मोदी ने हिंद-प्रशांत महासागरीय पहल से जुड़ने के लिए ब्रिटेन के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि जॉनसन से वार्ता के दौरान उन्होंने एक शांतिपूर्ण, स्थिर और धर्मनिरपेक्ष अफगानिस्तान के साथ ही वहां एक समावेशी और प्रतिनिधित्व पर आधारित सरकार के लिए अपना समर्थन दोहराया. मोदी ने कहा, ‘‘यह आवश्यक है कि अफगान भूमि का प्रयोग अन्य देशों में आतंकवाद फैलाने के लिए नहीं होना चाहिए.’’

चिकित्सा उपकरणों का निर्यात होगा आसान

वहीं, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता के बाद कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम हिंद-प्रशांत को स्वतंत्र और मुक्त रखने में सहयोग बढ़ाएं. जॉनसन ने कहा कि हमारी वार्ता अच्छी रही और इनसे हमारे संबंधों को मजबूती मिली है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया बढ़ते निरंकुश संघर्षो के खतरों का सामना कर रही है और ऐसे में भारत और ब्रिटेन के लिये यह महत्वपूर्ण है कि दोनों देश अपने सहयोग को और मजबूत बनाएं. उन्होंने कहा, ‘‘ आज हमने नये कदमों की घोषणा की है, जिससे ब्रिटेन में निर्मित चिकित्सा उपकरणों का भारत को निर्यात आसान हो जायेगा.’’

उच्च शिक्षा को लेकर अहम फैसला

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही उच्च शिक्षा पात्रता को आपसी मान्यता सुनिश्चित करने पर भी सहमति बनी हैं. बैठक में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने स्वच्छ एवं नवीकरणीय ऊर्जा पर नये सहयोग के बारे में भी चर्चा की. दूसरी ओर, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और ब्रिटेन ने सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान के महत्त्व को भी दोहराया. मोदी ने कहा, ‘‘हमने यूक्रेन में तुरंत युद्धविराम और समस्या के समाधान के लिए वार्ता और कूटनीति पर बल दिया. हमने सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान का महत्त्व भी दोहराया.’’

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