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सुप्रीम कोर्ट में बनेगा इतिहास, इसी साल 3 महीने के अंतराल में देश को मिलेंगे 3 चीफ जस्टिस

साल 2022 सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक इतिहास में अलग तरीके से दर्ज होने वाला है. 1950 में सर्वोच्च न्यायालय के गठन के बाद ये दूसरा मौका होगा, जब महज 3 महीने के अंदर देश को 3 मुख्य न्यायाधीश देखने को मिलेंगे. इससे पहले 1991 में ही ऐसा हुआ था. मौजूदा चीफ जस्टिस एनवी रमना 26 अगस्त को रिटायर होंगे. उसके बाद जस्टिस उदय यू. ललित मुख्य न्यायाधीश बनेंगे, जिनका कार्यकाल करीब दो महीने रहेगा. 8 नवंबर को उनके रिटायरमेंट के बाद जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ इस कुर्सी पर बैठेंगे. वह करीब दो साल तक चीफ जस्टिस रहेंगे. इस तरह 76 दिनों के अंतराल पर देश को तीन चीफ जस्टिस देखने को मिलेंगे.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले 1991 में नवंबर और दिसंबर महीनों के बीच सुप्रीम कोर्ट में तीन चीफ जस्टिस बने थे. जस्टिस रंगनाथ मिश्रा बतौर सीजेआई 24 नवंबर 1991 को रिटायर हुए. उसके बाद जस्टिस कमल नारायण सिंह ने ये पद संभाला, लेकिन वह महज 17 दिन ही देश के इस सबसे बड़े न्यायिक पद पर रहे. सबसे कम समय के कार्यकाल का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है. उनके रिटायर होने के बाद 13 दिसंबर 1991 को जस्टिस एमएच कनिया ने मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला. 3 महीने के अंदर 3 देश के मुख्य न्यायाधीश का ये भले ही दूसरा मामला हो, लेकिन एक साल के अंदर 3 सीजेआई कई बार नियुक्त हो चुके हैं. 1954 से शुरू हुआ ये सिलसिला 2017 तक देखने को मिला है.

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस का कोई न्यूनतम कार्यकाल निर्धारित नहीं है. जज वरिष्ठता के आधार पर इस पद तक पहुंचते हैं और 65 साल की उम्र पूरा होने तक रहते हैं. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल मानते हैं कि हर सुप्रीम कोर्ट के हर चीफ जस्टिस का कार्यकाल कम से कम 3 साल तय किया जाना चाहिए. इससे उन्हें न्यायिक और प्रशासनिक मुद्दों को समझने और केसों के अंबार से निपटने की समस्या को सुलझाने का वक्त मिल सकेगा. वह कहते हैं कि सीजेआई का 3 साल का कार्यकाल कॉलेजियम के स्तर पर ही सुनिश्चित किया जा सकता है.

HT से बातचीत में अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल जजों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का भी सुझाव देते हैं. उनका कहना है कि जब वकील 75-80 साल की उम्र तक वकालत करते हैं तो जजों की रिटायरमेंट ऐज को भी बढ़ाया जा सकता है. वह कहते हैं कि मेरी राय में सुप्रीम कोर्ट के जजों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 से बढ़ाकर 70 की जानी चाहिए. इसी तरह हाईकोर्ट के जजों की उम्रसीमा को 62 से बढ़ाकर 67 कर देना चाहिए.

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