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 असम क्यों हर साल बाढ़ का दंश झेल रहा? लाखों लोग होते हैं प्रभावित, जानें सब

असम में इन दिनों भारी बारिश के चलते जनजीवन प्रभावित हो रहा है. लाखों लोग इस बार भी बाढ़ का दंश झेलने को मजबूर हैं. 20 जिलों के दो लाख लोग इस साल प्रभावित हुए हैं. वहीं असम के दिमा हसाओ जिला भूस्खलन के चलते राज्य से कट गया है. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के बुलेटिन के मुताबिक अभी बाढ़ से लगभग 1,97,248 लोग प्रभावित हुए हैं. जिनमें होजई और कछार जिले के लोग सबसे ज्यादा बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. असम राज्य में हर साल बाढ़ आती है और लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर देती है. असम के लोगों के लिए बाढ़ एक वार्षिक घटना हो चुकी है. लगभग हर साल बाढ़ की तीन से चार लहरें असम के बाढ़ संभावित क्षेत्रों को तबाह कर देती हैं.

फर्स्ट पोस्ट के रिपोर्ट के मुताबिक असम सरकार द्वारा प्रकाशित जानकारी के अनुसार, राज्य में कुल 78.523 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 31.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ ग्रसित हैं. जो कि राज्य का 39.58 प्रतिशत और पूरे देश का लगभग 9.40 प्रतिशत है. रिकॉर्ड के मुताबिक औसतन हर साल असम में 9.31 लाख हेक्टेयर बाढ़ के चपेट में आता है. इसके अलावा, अरुणाचल और मेघालय से आ रही नदियों के चलते भी असम में बाढ़ की स्थिति और खराब हो गई है.

एक कारण यह भी माना जाता है कि ब्रह्मपुत्र नदी के चलते होने वाला कटान भी भीषण बाढ़ का एक मुख्य कारण है. कटना होने पर निचले इलाकों में हर बार बाढ़ आने पर पानी ओवरफ्लो हो जाता है. असम सरकार की जानकारी के अनुसार, मेघालय में बादल फटने के चलते वर्ष 2004 और 2014 के दौरान असम के निचले हिस्से में बह रही सहायक नदियों में भारी बाढ़ आई थी.  व

हीं ब्रह्मपुत्र बोर्ड ने 1982 में नदी पर अपने मास्टर प्लान में सुझाव दिया था कि बाढ़ को कम करने के लिए बांध और जलाशय बनाए जाने चाहिए. हालांकि, बाढ़ संभावित क्षेत्रों के लिए बांध एक मुश्किल समाधान रहे हैं. स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों ने भी बांधों के निर्माण का विरोध किया है क्योंकि इससे इकोलॉजिकल विस्थापन और विनाश हो सकता है. पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने कई बांध परियोजनाओं को निलंबित कर दिया है.

इसके बाद सरकार ने नदियों पर तटबंध बनाने की कवायद शुरू की. हालांकि केवल तटबंध बनाना ही पर्याप्त नहीं है. कटाव को रोकने के लिए भी कदम उठाए जाने चाहिए और ये साथ-साथ होने चाहिए।नदियों के किनारों की सुरक्षा उपायों के बिना एक तटबंध के बह जाने का खतरा बना रहता है. द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सरकार ने ड्रेजिंग यानी कि नदी को और गहरा करने पर भी विचार किया है. इसके अलावा असम में फ्लड-प्लेन ज़ोनिंग पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. फ्लड-प्लेन जोनिंग के तहत इलाकों को उनकी हालात के आधार पर विभाजित किया जाता है. फिर उस इलाके में खेती और घर बनाने जैसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है.

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