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किसानों की सफलता छूएगी आसमान, रक्षा-मनोरंजन के बाद कृषि में ड्रोन यात्रा का आग़ाज

भारत में कृषि के क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये भारत की मोदी सरकार लगातार अग्रसर है. चाहे बात हो किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने की, या फिर खेती-किसानी में नई तकनीकों को बढ़ावा देने की. कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्रालय ऐसी नीतियों और योजनाओं पर काम कर रहा है, जिससे किसानों के लिये आर्थिक पक्ष मजबूत हो और वे नई तकनीकों से जुड़कर कृषि में सफलता पा सकें. खेती-किसानी को आसान बनाने वाली तकनीकों में ड्रोन का नाम भी शामिल है.

फिलहाल, भारत में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल रक्षा और मनोरंजन के क्षेत्र में किया जाता रहा है. लेकिन, अब कृषि क्षेत्र की विकास यात्रा में भागीदारी के लिये ड्रोन के इस्तेमाल को हरी झंडी मिल गई है. भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में तकनीक को प्रोत्साहित करते हुये 100 ‘किसान ड्रोन’ लॉंच किये हैं. जिनका मकसद खेती-किसानी को आसान बनाना, कृषि योग्य भूमि का सर्वे करना, फसलों की सुरक्षा और निगरानी करना, खरपतवार नियंत्रण और कीटनाशकों का छिड़काव करना शामिल है.

खेती-किसानी में ड्रोन तकनीक के इस्तेमाल से फसल उत्पादन की लागत में कमी तो आयेगी ही. साथ ही इससे किसानों को स्वस्थ उत्पादन लेने में मदद मिलेगी और किसानों की आमदनी दोगुना होगी. देश के बड़े किसानों के साथ-साथ छोटे और सीमांत किसान भी ड्रोन तकनीक का लाभ ले सकें, इसके लिये भारत सरकार ने ड्रोन की खरीद के लिये अनुदान का प्रावधान भी रखा है. खेती-किसानी में ड्रोन के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये 50 फीसदी की सब्सिड़ी यानी कम से कम 5 लाख रुपये के अनुदान की घोषणा की है. ड्रोन तकनीक में अनुदान का ये प्रावधान एससी-एसटी, छोटे-सीमांत किसान और महिला किसानों और उत्तर पूर्वी राज्य के किसानों के लिये रखा गया है.

जानकारी के लिय बता दें कि ड्रोन की खरीद के लिये अन्य वर्ग के किसानों को 40 फीसदी की सब्सिड़ी यानी 4 लाख रुपये के अनुदान की घोषणा की गई है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिये हर प्रकार की मदद दे रही है. केंद्रीय और राज्य स्तर पर कार्यशाला और कांफ्रेंस का आयोजन भी किया जा रहा है. इन कार्यशालाओं का उद्देश्य किसानों को ड्रोन तकनीक के बारे में जागरुक करना और इसके इस्तेमाल के लिये प्रोत्साहित करना है. जिससे कि किसान सिर्फ खेत-खलिहानों तक ही सीमित ना रहें, बल्कि तकनीकों से भी जुड़े रहें.

जाहिर है कि इस बार के केंद्रीय बजट में फसलों की मॉनिटरिंग के लिये ड्रोन तकनीक को खास तवज्जो दी गई है. ड्रोन तकनीक से फसलों की मॉनिटरिंग, कृषि योग्य भूमि का डिजिटल रिकॉर्ड और किसानों को स्मार्ट बनने में काफी मदद मिलेगी.

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