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देश में महंगाई को कौन से फैक्टर्स प्रभावित कर रहे, इंफ्लेशन कब तक कम होने की संभावना

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा का मानना है कि देश में मुद्रास्फीति की स्थिति अभी भी भू-राजनीतिक घटनाओं, अंतर्राष्ट्रीय जिंस कीमतों और वैश्विक वित्तीय घटनाक्रम पर काफी हद तक निर्भर बनी हुई है. आरबीआई ने मौजूदा आर्थिक परिदृश्य के बीच मौद्रिक नीति को सख्त करते हुए पिछले चार महीनों में रेपो रेट में 1.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. आरबीआई ने लगातार सात प्रतिशत के आसपास बनी हुई मुद्रास्फीति को कम करने के लिए नीतिगत दर बढ़ाई है.

इस महीने की शुरुआत में हुई आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान देते रहने का निर्णय किया गया. ताकि मुद्रास्फीति को काबू में रखने के साथ विकास को भी समर्थन दिया जा सके.

आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी पात्रा ने भारत की तरफ से आयोजित दक्षेस वित्त संगोष्ठि को संबोधित करते हुए कहा, ‘निकट अवधि में देश में मुद्रास्फीति की स्थिति बदलती भू-राजनीतिक घटनाओं, अंतर्राष्ट्रीय जिंस बाजार की गतिशीलता और वैश्विक वित्तीय बाजार के विकास पर काफी हद तक निर्भर बनी हुई है.’’

रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर शुक्रवार को अपलोड हुए इस भाषण के मुताबिक, यूक्रेन में जारी युद्ध ने आर्थिक परिदृश्य को व्यापक रूप से बदल दिया है. उन्होंने कहा, ‘भले ही मुद्रास्फीति इस समय अप्रैल के 7.8 प्रतिशत के स्तर से नीचे आई है लेकिन हमें इस रुझान के टिकाऊ होने को लेकर कुछ और आंकड़ों का इंतजार रहेगा.’

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