मनेन्द्रगढ-चिरमिरी- भरतपुर सोहनत के आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने एंटी करप्शन ब्यूरो को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधान से छूट प्रदान करने वाले नोटिफिकेशन को चैलेंज किया. मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया. इसके बाद छत्तीसगढ हाईकोर्ट ने माना कि सरकार द्वारा एक अगस्त 2013 जारी किया गया नोटिफिकेशन त्रुटि पूर्ण है. इसे राज्य सरकार तीन हफ्ते के भीतर सुधारे और एंटी करप्शन ब्यूरो आईटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा को सूचना के अधिकार के आवेदन का निराकरण कर चार हफ्ते के भीतर उनको मांगी गई जानकारी प्रदान करे.
दरअसल, आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने नवंबर 2016 को सूचना का अधिकार के तहत छत्तीसगढ़ के एंटी करप्शन ब्यूरो से जानकारी मांगी थी कि आपके विभाग में तीन माह से अधिक समय से कितने प्रकरण भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 19 और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत अभियोजन की स्वीकृति के लिए लंबित हैं. इन प्रकरणों में औपचारिक अधिकारियों कर्मचारियों का नाम, पदनाम, अपराध की धाराएं, अपराध का प्रकार की जानकारी, संस्था को प्राप्त छूट और अधिसूचना निर्देश नियम के दस्तावेजों की प्रति की मांग की गई थी.
एंटी करप्शन ब्यूरो ने RTI कार्यकर्ता के आवेदन पर क्या कहा
आईटीआई कार्यकर्ता के इस आवेदन पर एंटी करप्शन ब्यूरो छत्तीसगढ़ के पुलिस अधीक्षक शाखा द्वारा कहा गया कि राज्य शासन द्वारा एंटी करप्शन ब्यूरो को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधान से छूट प्रदान की गई है. पुलिस अधीक्षक शाखा द्वारा कहा गया कि सरकार द्वारा एक अगस्त 2013 इसके लिए अधिसूचना जारी की गई थी. इसलिए आवेदक को जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती. साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा एक अगस्त 2013 को जारी किए गए र नोटिफिकेशन की प्रति संलग्न कर प्रेषित कर दी गई.
हाईकोर्ट में दी चुनौती
आईटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा के द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार के इस नोटिफिकेशन को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के डबल बेंच के समक्ष चुनौती दी गई. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के द्वारा इस याचिका को स्वीकार कर राज्य सरकार से जवाब मांग गया. जवाब आने के बाद उभय पक्ष के द्वारा मामले में बहस के समय याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली के बेंच को बताया कि उसने छत्तीसगढ़ सरकार के नोटिफिकेशन को चौलेंज किया है. इस कारण यह डबल बेंच में प्रस्तुत किया गया है.