नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अमूल ब्रांड चलाने वाले गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) के स्वर्ण जयंती समारोह में 1,200 करोड़ रुपये की पांच परियोजनाओं का उद्घाटन किया। ब्रांड- आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड (एएमयूएल) की विशिष्टता पर प्रकाश डालते हुए, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री ने भी अमूल को बधाई दी और भारत के डेयरी क्षेत्र में उसके योगदान का उल्लेख किया। मोदी ने कहा कि भारत की आजादी के बाद देश में कई ब्रांड सामने आए। लेकिन अमूल जैसा कोई नहीं – अमूल पशुपालकों की पहचान बन गया है।
मोदी ने कहा कि अमूल का मतलब है विश्वास, अमूल का मतलब है विकास, अमूल का मतलब है जन भागीदारी, अमूल का मतलब है किसान सशक्तिकरण, अमूल का मतलब है आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रेरणा, अमूल का मतलब बड़े सपने, बड़े संकल्प और बड़ी उपलब्धियां है। उन्होंने अमूल की सफलता की भी सराहना की और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ‘उदाहरण’ बताया। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे पशुपालकों की ये संस्था आज जिस बड़े पैमाने पर काम कर रही है, वही तो संगठन की शक्ति है, सहकार की शक्ति है। उन्होंने कहा कि यह ‘सरकार’ और ‘सहकार’ का अद्भुत तालमेल है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बनकर उभरा है। आज भारत में करीब 8 करोड़ लोग सीधे तौर पर डेयरी सेक्टर से जुड़े हुए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आज दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश हैं। भारत के डेयरी सेक्टर से 8 करोड़ लोग सीधे जुड़े हुए हैं। पिछले 10 साल में ही भारत में दूध उत्पादन में करीब 60% वृद्धि हुई है। पिछले 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता भी करीब 40% बढ़ी है। उन्होंने कहा कि भारत के डेयरी सेक्टर की असली रीढ़, महिलाशक्ति है। आज अमूल सफलता की जिस ऊंचाई पर है, वो सिर्फ और सिर्फ महिला शक्ति की वजह से है। आज जब भारत women led development के मात्र के साथ आगे बढ़ रहा है, तो भारत के डेयरी सेक्टर की ये सफलता उसके लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत को विकसित बनाने के लिए भारत की प्रत्येक महिला की आर्थिक शक्ति बढ़नी आवश्यक है, इसलिए हमारी सरकार आज महिलाओं की आर्थिक शक्ति बढ़ाने के लिए भी चौतरफा काम कर रही है। मुद्रा योजना के तहत सरकार ने जो 30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद दी है, उसकी करीब 70% लाभार्थी बहन-बेटियां ही हैं। उन्होंने कहा कि गांधी जी कहते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है। विकसित भारत के निर्माण के लिए भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सशक्त होना जरूरी है। पहले की सरकारें ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जरूरतों को टुकड़ों में देखती थीं। हम गांव के हर पहलू को प्राथमिकता देते हुए काम को आगे बढ़ा रहे हैं।