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मुख्तार अंसारी की मौत को मुद्दा बनाने की कोशिश में विपक्ष, क्या लोकसभा चुनाव में दिखेगा इसका असर?

नईदिल्ली। उत्तर प्रदेश का बहुत चर्चित विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का निधन हो गया है। वह कई मामलों में बांदा जेल में बंद था। 28 मार्च की रात में अचानक उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जहां डॉक्टर ने उसे मृत्यु घोषित कर दिया। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सुरक्षा के करें इंतजाम किए गए हैं। मुस्लिम इलाकों में नजर रखी जा रही है। इन सबके बीच मुख्तार अंसारी के मौत पर राजनीति भी शुरू हो चुकी है। हालांकि, भाजपा लगातार उसे अपराधी बता रही है। उसके मौत का जो कारण सामने आया है उसमें हार्ट अटैक बताया जा रहा है। हालांकि, उसके परिवार का ढावा कुछ और है। फिलहाल उसका पोस्टमार्टम किया जा चुका है।
परिवार का आरोप
इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुख्तार अंसारी का दबदबा एक वक्त में खूब दिखा था। अपराध की दुनिया में जहां उसे महारत हासिल थी तो वहीं सत्ता में बैठे लोग भी उसे अपने साथ रखने की कोशिश में रहते थे। यही कारण है कि उसकी मौत को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि मुख्तार अंसारी के भाई सांसद अफजाल अंसारी ने आरोप लगाया था कि जेल में धीमा शहर दिया जा रहा है। हालांकि जब उसकी मौत हो गई है तब इसे मुद्दा बनाने की कोशिश विपक्ष की ओर से की जा रही है। उसके पूरे परिवार पर 90 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। उसकी पत्नी खुद भगोड़ा हो चुकी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने इनाम भी रखा है। एक बेटा जेल में है दूसरा विवादों में है।
विपक्ष का दावा
लोकसभा चुनाव है इसलिए उसकी मौत को मुद्दा बनाया जा रहा है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने आज मांग की कि मुख्तार अंसारी की मौत की जांच सुप्रीम कोर्ट के जज से करायी जानी चाहिए। उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं। जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है
मायावती ने कहा कि मुख़्तार अंसारी की जेल में हुई मौत को लेकर उनके परिवार द्वारा जो लगातार आशंकायें व गंभीर आरोप लगाए गए हैं उनकी उच्च-स्तरीय जाँच जरूरी, ताकि उनकी मौत के सही तथ्य सामने आ सकें। ऐसे में उनके परिवार का दुःखी होना स्वाभाविक। कुदरत उन्हें इस दुःख को सहन करने की शक्ति दे। कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि कुछ दिन पहले मुख्तार अंसारी ने जहर दिए जाने की आशंका जताई थी और आज उनकी मौत हो गई। सरकार और प्रशासन अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। भाजपा प्रशासन में असफल है।
राजनीतिक फायदे की उम्मीद
मुख्तार अंसारी के मौत को मुद्दा बनाने की कवायत इसलिए हो रही है ताकि मुस्लिम बहुल इलाके में फायदा उठाया जा सके। गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, बलिया ऐसे क्षेत्र हैं जहां मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। ऐसे में कहीं ना कहीं मुख्तार अंसारी से हमदर्द दिखाने की वजह से इन क्षेत्रों में कुछ राजनीतिक दलों को फायदे की उम्मीद दिखाई दे रही है। गाज़ीपुर सीट से अफजाल अंसारी जो कि मुख्तार अंसारी के बड़े भाई हैं, उनको टिकट समाजवादी पार्टी की ओर से दिया गया है। विपक्ष की ओर से तुष्टिकरण की राजनीति भी करने की कोशिश हो रही है। जो राजनीतिक दल इस मौत को लेकर मुख्तार अंसारी के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं, उनका मुख्य मकसद मुस्लिम वोटो को अपने पाले में लाना हो सकता है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि मुख्तार अंसारी की मौत उत्तर प्रदेश में कितना बड़ा मामला बन पाता है और चुनाव में इसका असर क्या होता है?

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