नईदिल्ली। सीमा पर चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। एक तरफ वो अरुणाचल प्रदेश को लेकर बवाल कर रहा है तो दूसरी तरफ सीमा पर लगातार उसका निर्माण कार्य भी जारी है। चीन ने अरुणाचल को फिर से अपना हिस्सा बताने की हिमाकत की है। अरुणाचल प्रदेश के 30 जगहों के चाइनीज नाम जारी किए गए हैं। भारत चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने को खारिज करता रहा है, यह कहते हुए कि राज्य देश का अभिन्न अंग है और “आविष्कृत” नाम निर्दिष्ट करने से इस वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आता है। चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने ज़ंगनान में मानकीकृत भौगोलिक नामों की चौथी सूची जारी की, जो अरुणाचल प्रदेश का चीनी नाम है, जिसे बीजिंग दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में दावा करता है।
चीन का पलटवार करने के लिए भारत भी खुद को और भी मजबूत बना रहा है। भारत भी लगातार कुछ सालों से चीन से लगी सीमा पर नए बुनियादी ढांचे का निर्माण तेजी से कर रहा है। जिनमें से अधिकांश अब पूरा होने की कगार पर है। पिछले हफ्ते बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) ने महत्वपूर्ण एनफीडी सड़क को जोड़ने का काम पूरा कर लिया है। जिससे पूरे भारत से लद्दाख के लेह तक पहुंचने का एक नया और तेज रास्ता उपलब्ध हो गया है। 298 किलोमीटर की ये सड़क लद्दाख के लिए तीसरा मार्ग बनाती है जो मौजूदा दो उपलब्ध मार्गों से छोटा है। लद्दाख के अन्य दो उपलब्ध मार्ग श्रीनगर, दार्श, कारगिल, एनएच1डी राजमार्ग हैं। जो 11575 फीट ऊंचे जोजिला दर्र से होकर गुजरता है। जोखिम भरा मनाली सरचुलेह राजमार्ग भारी बर्फबारी और लैंड स्लाइड्स की वजह से आम तौर पर हर सर्दियों में 6 महीने के लिए बंद हो जाते हैं।
बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश को ‘जंगनान’ कहता है और दक्षिण तिब्बत के हिस्से के रूप में इस राज्य पर अपना दावा करता है। मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर क्षेत्र के लिए 30 अतिरिक्त नाम पोस्ट किए गए। यह सूची एक मई से प्रभावी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुच्छेद 13 के अनुसार, इस घोषणा के क्रियान्वयन में कहा गया है कि ‘‘चीन के क्षेत्रीय दावों और संप्रभुता अधिकारों को नुकसान पहुंचा सकने वाले विदेशी भाषाओं में रखे गए, स्थानों के नामों को बिना प्राधिकार के सीधे उद्धृत या अनुवादित नहीं किया जाएगा।