छत्तीसगढ़

सास की शिकायत पर महिला आयोग ने बहू को भेजा नारी निकेतन

आयोग ने आवेदिका के 1 लाख रूपये तथा अनावेदक के साढ़े चार लाख के गहने दिलवाये
रायपुर । छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्य श्रीमती बालो बघेल व श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने गुरुवार को महिला आयोग कार्यालय में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 250 वीं सुनवाई हुई। रायपुर जिले में कुल 122 वीं जनसुनवाई।
एक प्रकरण में उभय पक्षों को विस्तार से सुना गया। आवेदिका भरण-पोषण के लिए 30 लाख रू. की मांग कर रही है। आवेदिका ने आयोग के समक्ष यह स्वीकार किया कि वह अपने ससुराल में महज 12 दिन ही रही है। अनावेदक वर्तमान में सुपरवाइजर की नौकरी करता है और उसे 10 हजार रू. वेतन प्राप्त होता है। वह 2500 रू भरण पोषण देने को तैयार है लेकिन आवेदिका इसके लिए तैयार नहीं है। अनावेदक ने बताया कि आवेदिका अपने शादी का सारा सामान वापस ले गई है लेकिन अनावेदक के परिवार से शादी में दिये गये साढे चार लाख रू. मूल्य के गहने वापस नहीं दिये है। आवेदिका के पिता ने बताया कि उनके द्वारा अनावेदक को 1 लाख रू. दिया गया था। जिसे अनावेदक पक्ष देने के लिए तैयार है। आयोग की समझाइश पर आवेदिका पक्ष अनावेदक के साढे चार लाख के गहने व अनावेदक पक्ष आवेदिका के 1 लाख रु. देने के लिए तैयार है। दोनो पक्षों को 4 अप्रैल को 2 घंटे का समय दिया गया कि वह गहने व 1 लाख रू. का इंतजाम कर सामान का आदान प्रदान आयोग में आज ही करें। उभय पक्ष 2 घंटे के पश्चात् आयोग के निर्देश के पालन के लिए पुनः उपस्थित हुए और दोनो पक्षों को उनका सामान दिलाया गया। सामान के आदान-प्रदान के साथ प्रकरण के निराकरण के शेष बिंदु पर दोनो पक्षों को न्यायालय जाने की सलाह दी गई।
अन्य प्रकरण में अनावेदिका क्र. 1 का विवाह 2 मई 2013 को हुआ था। और उसकी 2 संतान बेटी 5 वर्ष और बेटा 2 वर्ष का है। आज दिनांक तक आवेदिका और उसके पति का तलाक नहीं हुआ है। दोनो पति-पत्नि के बीच दिनांक 12.05.2023 को लिखित सुलहनामा बनाया गया था, लेकिन उसी दिनांक को अनावेदिका क्र. 1 अपने दोनो बच्चों को लेकर अन्य पुरुष के साथ भाग गई थी। तब से अनावेदिका क्र. 1 को पता नही चल रहा था। साइबर सेल से अनावेदिका क्र 2 का पता चला। आज की सुनवाई में उसे प्रस्तुत किया गया । आयोग के सामने समझाईश दिये जाने पर भी वह अपनी गलती मानने को तैयार नहीं थी, उसकी 5 वर्षीय पुत्री से पुछने पर पता चला की वह अन्य पुरुष के साथ रह रही थी और अपने बच्चों को भी स्कूल में नहीं डाला जिससे बच्चों का भविष्य बरबाद हो रहा है। ऐसी स्थिति में अनावेदिका के गलत चाल-चलन को सुधारने के लिए उसे 2 माह के लिए नारी निकेतन भेजा गया। तब तक के लिए दोनो बच्चों को उसके पिता को सौंपा गया ताकि वह अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा कर सके। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपनी एक लिखित शिकायत आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया। जिसमें आवेदिका पक्ष के द्वारा शादी के समय अनावेदक पक्ष को 10 लाख रू. देने व विवाह में 35-40 लाख रु. खर्च किये जाने का उल्लेख किया गया है। आवेदिका का विवाह दिनांक 30.10.2022 को हुआ और 21.01.2024 को आवेदिका को उसके घर के बाहर उसका पति (अनावेदक क्र.1) छोड़कर चला गया था। अनावेदक क्र. 1 सुनवाई में अनुपस्थित रहा है। आयोग ने अगली सुनवाई में समस्त अनावेदकगणों को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया ताकि आगे प्रकरण को सुना जा सके।
अन्य प्रकरण में उभय पक्षों के मध्य सुलह की संभावना पर विस्तार से चर्चा की गई। आवेदिका 2 माह से अपने बच्चों के साथ अपने मायके में रह रही है। अनावेदक (पति) के द्वारा आवेदिका व बच्चों को आज तक कोई भी भरण-पोषण नही दिया गया है। अनावेदक की बातों से स्पष्ट प्रतीत होता है कि वह भरण-पोषण देने से बचना चाहता है। इस स्तर पर आवेदिका से पूछा गया, आवेदिका सभी अनावेदकगणों के खिलाफ थाने में 498A की रिपोर्ट दर्ज कराना चाहती है। अतः आयोग से प्रकरण नस्तीबध्द किया गया। अन्य प्रकरण में उभय पक्षों को विस्तार से सुना गया। दोनो पक्षों को आयोग ने समझाईश दी। आयोग की समझाईश पर अनावेदक ने आवेदिका और उसकी मां से माफी मांगी और साथ रहने का फैसला किया। जिसकी निगरानी आयोग की काउंसलर द्वारा 1 वर्ष तक की जायेगी। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

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