दर्पण; लेंस और एंगल के प्रयोग से होंगे दर्शन, चार मिनट तक 75 मिलीमीटर तिलक पर पड़ेंगी किरणें
अयोध्या। इस बार रामनवमी अलौकिक होने वाली है, क्योंकि इस दिन रामलला का सूर्य तिलक होगा। राममंदिर में विराजमान रामलला के माथे का सूर्याभिषेक इस रामनवमी पर होने का रास्ता साफ हो गया है। देश दुनिया के रामभक्त दोपहर 12 बजे रामलला के इस सूर्याभिषेक का अदभुत दर्शन कर सकेंगे। राममंदिर इस लिहाज से बनाया गया है कि रामनवमी के दिन रामलला का सूर्य तिलक हो सके। रामनवमी के दिन ठीक दोपहर 12:00 बजे सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगे, जिससे उनका सूर्य तिलक होगा। रामलला के सूर्याभिषेक पर सूर्य की किरणें चार मिनट तक रामलला के मुखमंडल को प्रकाशित करेंगी। जो सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी वे तकरीबन 75 मिलीमीटर की गोलाकार आकर की होंगी। मंदिर के अंदर सीमित स्थान होने के नाते श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने मंदिर के बाहर अयोध्या धाम में लगभग 100 एलईडी पर इसका सीधा प्रसारण करवाने की व्यवस्था भी की है। खास ये है कि प्राण प्रतिष्ठा की तर्ज पर ही पूरी दुनिया के लोग इस दृश्य का सीधा प्रसारण दूरदर्शन के माध्यम से देख सकेंगे। लगभग चार मिनट तक होने वाले इस सूर्याभिषेक का पूर्वाभ्यास वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक सोमवार की दोपहर आखिरी बार किया।
सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीटयूट रुडक़ी के वैज्ञानिकों ने इसके पहले भी कई बार इसका ट्रायल किया था, लेकिन सोमवार को इसमें उन्हें सफलता मिली। दोपहर 12 बजे सफलता मिलने के बाद मंगलवार को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अधिकृत तौर पर इसकी पुष्टि की। प्रभारी गोपाल राव ने कहा कि रामलला के इस सूर्याभिषेक के लिए दो बड़े दर्पण और तीन बड़े लेंस को विशेष एंगल पर अलग अलग स्थानों पर स्थापित करके किया गया है। दर्पणों का प्रयोग सूर्य की किरणों को परावर्तित कराने के लिए किया गया है। इसमें दोपहर बारह बजे जब सूर्य की किरणें शीर्ष पर होती हैं उसी वक्त इसे एक दर्पण के माध्यम से परावर्तित कराके मंदिर के अंदर प्रवेश कराया जाएगा। मंदिर के अंदर शीर्ष के रास्ते प्रवेश के समय रास्ते में तीन बड़े लेंस के माध्यम से इन किरणों को एक स्थान पर केंद्रित कर आगे बढ़ाया जाएगा। मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचते ही एक विशेष एंगल में लगे दर्पण के माध्यम से इन किरणों को रामलला के माथे पर परावर्तित कराया जाएगा।