सुप्रीम कोर्ट ने अरेस्ट करने की टाइमिंग पर उठाए सवाल, ईडी से मांगा जवाब
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को फिर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आम चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की टाइमिंग समेत कुछ सवालों पर ईडी से जवाब मांगा है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि स्वतंत्रता बहुत महत्त्वपूर्ण है, आप इससे इनकार नहीं कर सकते। आखिरी सवाल गिरफ्तारी के समय के संबंध में है, जिसके बारे में उन्होंने बताया है। गिरफ्तारी का समय, आम चुनाव से ठीक पहले क्यों। पीठ ने राजू से कई अन्य सवाल भी पूछे और ईडी को सुनवाई की अगली तारीख पर जवाब देने को कहा। मामले की सुनवाई शुक्रवार को होने की संभावना है, बुधवार से दोनों न्यायाधीश अलग-अलग पीठ में बैठेंगे।
अदालत ने ईडी से जवाब देने और कार्यवाही शुरू होने और कुछ समय बाद बार-बार शिकायत दर्ज होने के बीच होने वाले समय के अंतर के बारे में बताने को कहा। ईडी को इस बात पर भी जवाब देना होगा कि क्या कोई न्यायिक कार्यवाही चल रही है, क्या आप आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं। ईडी ने शुक्रवार दोपहर को जवाब देने को कहा है। बता दें कि इस मामले पर अगली सुनवाई 3 मई को होगी। अदालत में अरविंद केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की शुरुआत की। कोर्ट ने पूछा कि क्या कोई दस्तावेज है जिससे साफ हो सके कि किस पर भरोसा किया गया, किस पर नहीं। सिंघवी ने कहा कि ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है।
जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा
आम चुनाव से पहले गिरफ्तारी क्यों?
क्या न्यायिक कार्यवाही के बिना यहां जो कुछ हुआ है उसके संदर्भ में आपराधिक कार्यवाही शुरू कर सकते हैं?
इस मामले में अब तक कुर्की की कोई कार्यवाही नहीं हुई है। यदि हुई है तो दिखाएं कि मामले में केजरीवाल कैसे शामिल हैं?
जहां तक मनीष सिसोदिया मामले की बात है, तो इसमें पक्ष और विपक्ष में निष्कर्ष हैं। हमें बताएं कि केजरीवाल मामला कहां है? उनका मानना है कि धारा 19 की सीमा, जो अभियोजन पर जिम्मेदारी डालती है, न कि आरोपी पर. इस प्रकार नियमित जमानत की मांग नहीं होती, क्योंकि वे धारा 45 का सामना कर रहे हैं। जिम्मेदारी उन पर आ गई है।
अब ईडी बताए कि हम इसकी व्याख्या कैसे करें? क्या हम सीमा को बहुत ऊंचा बनाएं और यह सुनिश्चित करें कि जो व्यक्ति दोषी है उसका पता लगाने के लिए मानक समान हों।