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तेजाब पीड़िताओं के लिए वैकल्पिक डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस

तेजाब पीड़िताओं के लिए वैकल्पिक डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस

महाराष्ट्र सरकार बंबई उच्च न्यायालय के नये भवन के लिए सितंबर तक जमीन सौंपे : उच्चतम न्यायालय

भारत और केन्या ने शासन, कार्मिक प्रशासन में सहयोग बढ़ाने के लिए बैठक की

नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने तेजाब हमले की पीड़िताओं और आंखों को स्थायी रूप से हुई क्षति वाले लोगों के लिए वैकल्पिक डिजिटल केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) प्रक्रिया की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य लोगों से शुक्रवार को जवाब मांगा।

भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने तेजाब हमले की नौ पीड़िताओं द्वारा दाखिल याचिका को एक ‘महत्वपूर्ण मुद्दा’ करार दिया और केंद्र सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और अन्य को नोटिस जारी किया। पीठ ने कहा, ”हम नोटिस जारी करेंगे। यह एक अहम मुद्दा है और हम इसपर सुनवाई करेंगे।”

तेजाब हमलों के खिलाफ अभियान चला रहीं कार्यकर्ता प्रज्ञा प्रसून और अन्य ने नेत्र विकृति वाली तेजाब पीड़िताओं के लिए एक वैकल्पिक डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया की मांग करते हुए याचिका दाखिल की थी, जिस पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी।

याचिका में जिक्र किया गया कि एक याचिकाकर्ता, जिसकी आंखों को तेजाब हमले के कारण गंभीर नुकसान पहुंचा था, 2023 में आईसीआईसीआई बैंक में अपना खाता खुलवाने के लिए गयी थी।

याचिकाकर्ता को ‘लाइव फोटोग्राफी’ के दौरान अपनी पलकों को झपकना था लेकिन वह इस डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने में सक्षम नहीं थी, जिस कारण उसका खाता नहीं खुला।

याचिका में बताया गया कि तेजाब हमले की कई पीड़िताएं नेत्र विकृति का शिकार होती हैं और उन्हें सिम कार्ड खरीदने से लेकर बैंक खाता खुलवाने तक में इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

याचिका में बताया गया कि इस तरह की समस्याएं तेजाब हमले की पीड़िताओं को आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंचने से रोकती हैं।

याचिका के मुताबिक, केंद्र सरकार को ‘लाइव फोटोग्राफी’ की व्याख्या में विस्तार करना चाहिए या फिर स्पष्टीकरण देना चाहिए और पलकें झपकाने के अलावा आवाज की पहचान या फिर चेहरे की गतिविधियों जैसे वैकल्पिक मानदंडों को शामिल किया जाना चाहिए।

 

महाराष्ट्र सरकार बंबई उच्च न्यायालय के नये भवन के लिए सितंबर तक जमीन सौंपे : उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली
 उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार से कहा कि वह बंबई उच्च न्यायालय की नई इमारत के निर्माण के लिए भूमि का पहला हिस्सा सितंबर के अंत तक सौंपने का प्रयास करे।

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राज्य के अधिकारियों को पूरी जमीन सौंपने के लिए साल के अंत तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है और उपलब्ध होने पर छोटे-छोटे भूखंड दिये जा सकते हैं।

न्यायालय ने कहा, ‘‘हम महाराष्ट्र सरकार को सितंबर 2024 के अंत तक, भूमि के पहले हिस्से के रूप में 9.64 एकड़ भूखंड सौंपने का हरसंभव प्रयास करने का निर्देश देते हैं। महाराष्ट्र सरकार को पूरी 9.64 एकड़ जमीन सौंपने के लिए दिसंबर तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है और छोटे-छोटे भूखंड भी सौंपे जा सकते हैं। 30 सितंबर, 2024 तक 9.64 एकड़ जमीन सौंपने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।’’

शीर्ष अदालत, उच्च न्यायालय के लिए नये भवन की तत्काल आवश्यकता के संबंध में बंबई बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नितिन ठक्कर और बार के अन्य नेताओं की 29 अप्रैल की एक याचिका पर गौर करने के बाद स्वत: संज्ञान वाले क्षेत्राधिकार के तहत एक मामले की सुनवाई कर रही है। बंबई उच्च न्यायालय की मौजूदा इमारत 150 वर्ष पुरानी है।

वाद का शीर्षक ‘बंबई उच्च न्यायालय की विरासत इमारत और उच्च न्यायालय के लिए अतिरिक्त भूमि का आवंटन’ था।

शीर्ष अदालत को पहले सूचित किया गया था कि उच्च न्यायालय ने मुंबई के बांद्रा पूर्व में एक भूमि के लिए महाराष्ट्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, लेकिन भूमि के कुछ हिस्से पर सरकारी आवासीय कॉलोनी है।

शुक्रवार को, महाराष्ट्र के महाधिवक्ता ने आश्वासन दिया था कि जमीन उपलब्ध कराने के लिए दिसंबर की समय सीमा का पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह एकीकृत विकास का हिस्सा है और वर्तमान में आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू है।

न्यायालय ने कहा, ‘‘योजना बनाने के लिए आपको एमसीसी (हटाने की) की आवश्यकता नहीं है। निर्वाचन आयोग आपको छूट देगा। आप सितंबर तक 9.64 एकड़ जमीन चिहि्न्त कर लें।’’

पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला भी शामिल हैं। मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।

 

भारत और केन्या ने शासन, कार्मिक प्रशासन में सहयोग बढ़ाने के लिए बैठक की

नई दिल्ली
भारत और केन्या के वरिष्ठ अधिकारियों ने शासन और कार्मिक प्रशासन में सहयोग बढ़ाने के लिए एक ऑनलाइन बैठक की। कार्मिक मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई।

बयान के अनुसार, यह बैठक केन्द्र सरकार के प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव वी श्रीनिवास और केन्या स्कूल ऑफ गवर्नेंस (केएसजी) के महानिदेशक प्रोफेसर नूर मोहम्मद के बीच 14 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई।

बैठक में दोनों पक्षों ने क्षमता निर्माण कार्यक्रमों पर जोर देने के साथ कार्मिक प्रशासन और शासन के क्षेत्र में राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) तथा केएसजी के माध्यम से भारत-केन्या द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।

बयान में कहा गया कि बैठक में भारत की ओर से डीएआरपीजी, एनसीजीजी, केन्या में भारतीय उच्चायोग के वरिष्ठ अधिकारियों और केन्या की ओर से केएसजी के निदेशकों ने भाग लिया।

 

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