नई दिल्ली
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ अपने बेबाक अंदाज के लिए पहचाने जाते हैं। उनके कार्यकाल के दौरान कई अहम बदलाव भी देखने को मिले। ऑनलाइन सुनवाइयों पर भी काफी फोकस रहा। इस बीच, सीजेआई चंद्रचूड़ ने आज बताया कि जब वे ब्राजील में हुई जी-20 समिट में शामिल होकर वापस भारत लौट रहे थे, तब उन्होंने फैसले का मसौदा तैयार करने के लिए इंटरनेट की जरूरत हुई तो उन्होंने फ्लाइट के इंटरनेट का इस्तेमाल किया। इससे बाकी जज भी गदगद नजर आए। दरअसल, सीजेआई के नेतृत्व वाली बेंच ने फैसला सुनाया जिसमें उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट की जिला न्यायाधीशों की पदोन्नति नीति को बरकरार रखा।
'बार एंड बेंच' की रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई चंद्रचूड़ ने खुलासा किया कि उन्होंने फैसले का मसौदा तैयार करने के लिए और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा के साथ सहयोग करने के लिए विमान के इंटरनेट की मदद ली थी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ''हमें आज जजमेंट सुनाना था और मैं जी-20 समिट के लिए ब्राजील में था। ऐसे में मैंने विमान के इंटरनेट की मदद ली और जस्टिस पारदीवाला ने डॉक्युमेंट्स के ड्राफ्ट्स मुझसे शेयर किए। वहीं, जस्टिस मिश्रा भी उन्हीं सेम डॉक्युमेंट्स पर काम कर रहे थे।
इस पर जस्टिस पारदीवाला ने जोड़ते हुए कहा कि यह मेरे दिल के काफी करीब रहने वाला है, क्योंकि इसने ब्राजील और भारत की यात्रा की है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ''एयरलाइंस इंटरनेट की प्रभावशीलता के लिए एयरलाइंस द्वारा इस फैसला का हवाला दिया जाएगा।'' वहीं, कोर्ट ने इस मामले में एक कनिष्ठ वकील द्वारा दी गई दलीलों की भी तारीफ की।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला गुजरात सरकार और गुजरात हाई कोर्ट द्वारा योग्यता-सह-वरिष्ठता के आधार पर जिला न्यायाधीश की नियुक्तियां करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर पारित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल, 2023 को मुख्य मामले में हाई कोर्ट और गुजरात सरकार से इस मामले में जवाब भी मांगा था। बता दें कि प्रमोट करने वाले 68 लोगों में सूरत के न्यायिक मजिस्ट्रेट हरीश हसमुखभाई वर्मा का भी नाम था, जिन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराया था। इसके बाद राहुल गांधी की सदस्यता भी चली गई थी। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी थी।