नई दिल्ली
एक वैश्विक अध्ययन में कहा गया है कि 2022 और 2050 के बीच विश्व भर में पुरुषों की जीवन प्रत्याशा में लगभग पांच वर्ष और महिलाओं की जीवन प्रत्याशा में चार वर्ष से अधिक सुधार होने का अनुमान है.
अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि भारत में 2050 तक पुरुषों की जीवन प्रत्याशा औसतन 75 वर्ष से अधिक तथा महिलाओं के लिए यह लगभग 80 वर्ष हो सकती है.
जीवन प्रत्याशा का अर्थ किसी व्यक्ति का औसत जीवनकाल होता है
शोधकर्ताओं ने कहा कि उन देशों में सुधार सबसे अधिक होने की उम्मीद है जहां जीवन प्रत्याशा कम है, जिससे सभी भौगोलिक क्षेत्रों में जीवन प्रत्याशा में समग्र वृद्धि देखने को मिलेगी.
अध्ययन के लेखकों ने कहा कि हृदय रोगों, कोविड-19 और अन्य संक्रामक रोगों, जच्चा-बच्चा तथा पोषण संबंधी बीमारियों से बचाव संबंधी सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय जीवित रहने की दर में सुधार करने वाले कारक हैं और इनसे बड़े पैमाने पर विश्व स्तर पर जीवन प्रत्याशा में वृद्धि दिखेगी.
अमेरिका के वाशिंगटन विश्वविद्यालय के ‘इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन' (आईएचएमई) के निदेशक क्रिस मुरे ने कहा, ‘‘हमने पाया है कि समग्र रूप से जीवन प्रत्याशा में वृद्धि के साथ ही विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में जीवन प्रत्याशा में असमानता कम हो जाएगी.''
मुरे ने कहा, 'यह एक संकेतक है कि उच्चतम और निम्नतम आय वाले क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य असमानताएं बनी रहेंगी, लेकिन अंतर कम हो रहा है. उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र में अधिक सुधार की उम्मीद है.'
शोधकर्ताओं ने कहा कि दुनिया भर में स्वस्थ जीवन प्रत्याशा आने वाले वर्षों में 2.6 वर्ष बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा कि 2022 में जीवन प्रत्याशा का आंकड़ा जहां 64.8 वर्ष था, वहीं 2050 में बढ़कर यह 67.4 वर्ष हो जाएगी.
अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि भारत में 2050 तक पुरुषों की जीवन प्रत्याशा औसतन 75 वर्ष से अधिक तथा महिलाओं के लिए यह लगभग 80 वर्ष हो सकती है. हालाँकि, भारत में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए ‘स्वस्थ जीवन प्रत्याशा' 65 वर्ष से अधिक होने का अनुमान लगाया गया है.
भारत में 2050 में बुजुर्ग आबादी बढ़कर 34.7 करोड़ (कुल आबादी का 20.8 प्रतिशत) हो जाएगी। यानी 2050 में हर पांच में एक शख्स बुजुर्ग होगा। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन सांइसेस एंड यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड द्वारा प्रकाशित इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 में यह जानकारियां दी गई हैं। जीवन प्रत्याशा में सुधार और प्रजनन दर में गिरावट के कारण दुनियाभर में आबादी की रूपरेखा बदल रही है। 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र वाली आबादी को वृद्ध माना जाता है।
दुनियाभर में ऐसी आबादी 2022 के 110 करोड़ के मुकाबले 2050 में लगभग दोगुनी 210 करोड़ हो जाएगी। इस अवधि में यह वृद्धि विकसित देशों में 26% से बढ़कर 34% होगी, जबकि कम विकसित देशों में 11.5% से बढ़कर 20% होगी। दूसरे शब्दों में कहें तो कम विकसित क्षेत्रों में बुजुर्ग आबादी 2022 में 77.2 करोड़ से बढ़कर 2050 में 170 करोड़ पहुंच जाएगी। 1950 में भारत की जीवन प्रत्याशा 35.21 थी और वर्ष 2100 में यह 81.96 प्रतिशत हो जाएगी।
देखभाल से बढ़ी जीवन प्रत्याशा
रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हुई चिकित्सा देखभाल, बेहतर आहार और स्वस्थ जीवन ने उच्च जीवन प्रत्याशा आंकड़ों में योगदान दिया है। लोगों को स्वच्छ पानी, एंटीबायोटिक्स और अधिक प्रचुर और पौष्टिक भोजन उपलब्ध है। लोग व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली के लाभों के बारे में भी अधिक जागरूक हैं।