तेहरान
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई है। यह हादसा रविवार को तब हुआ, जब रईसी का हेलीकॉप्टर पूर्वी अजरबैजान प्रांत से गुजर रहा था। ईरानी राष्ट्रपति के दुर्घटनाग्रस्त विमान की खोज में रूस ने भी अपने दो एडवांस्ड प्लेन भेजे थे। ईरान के सरकारी टीवी ने ये जानकारी दी है। हेलीकॉप्टर में राष्ट्रपति रईसी के साथ विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान भी सवार थे। रईसी अजरबैजान की सीमा पर एक बांध का उद्घाटन करके वापस लौट रहे थे। वो ईरान के नए सुप्रीम लीडर की रेस में भी थे। बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि अगर ईरानी राष्ट्रपति की मौत पद संभालने के दौरान ही मौत हो जाती है तो इस्लामी रिपब्लिक कानून क्या कहता है? इसके नियम क्या हैं?
ईरानी इस्लामी रिपब्लिक संविधान क्या कहता है
ईरान के संविधान के अनुच्छेद 131 के अनुसार, अगर पद पर रहने के दौरान ईरान के राष्ट्रपति की मौत हो जाती है तो सबसे पहले शासन चलाने के लिए फर्स्ट वाइस प्रेसीडेंट को कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पद संभालना पड़ता है। हालांकि, राष्ट्रपति के पद पर काबिज होने से पहले देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई से मंजूरी लेनी पड़ती है। रईसी की मौत होने के साथ मौजूदा उप राष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर को राष्ट्रपति बनाया जा सकता है, क्योंकि उन्हें खामनेई का चहेता माना जाता है।
क्या राष्ट्रपति ही सरकारी कामकाज का मुखिया होता है
ईरान में राष्ट्रपति ही सरकार का मुखिया होता है। ईरान के सर्वोच्च नेता के बाद राष्ट्रपति ही देश में दूसरे नंबर की हैसियत रखता है। वह दुनिया में ईरान का प्रतिनिधित्व करता है। हादसे में राष्ट्रपति की मौत होती है तो ऐसी जटिल परिस्थितियों में देश को स्थिरता प्रदान करने और कामकाज जारी रखने के लिए उप राष्ट्रपति को ही पद संभालने की जिम्मेदारी मिलती है।
कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने दिन का
ईरान के इस्लामी रिपब्लिक कानून के अनुसार, अगर मोखबर को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया जाता है तो उनका कार्यकाल बस 50 दिनों का ही होगा। इसी 50 दिन के भीतर ईरान के लिए नए राष्ट्रपति का चुनाव कराना होगा। यह समय इतना कम होता है कि देश पर जल्दी से व्यापक स्तर पर चुनाव कराने और राजनीतिक हालात भी संभालने का दोहरा बोझ होता है। इजरायल से टेंशन के बीच ईरान पर यह अतिरिक्त बोझ जैसा होगा।
एक काउंसिल तय करती है कौन बनेगा राष्ट्रपति
रईसी 2021 में राष्ट्रपति बने थे। टाइमटेबल के अनुसार ईरान का अगला राष्ट्रपति 2025 में चुना जाना है। मौजूदा हालात में तय नियमों के अनुसार, ईरान में एक काउंसिल का गठन किया जाएगा। इस काउंसिल में फर्स्ट वाइस प्रेसीडेंट, संसद का स्पीकर और न्यायपालिका का मुखिया होंगे। यही काउंसिल अधिकतम 50 दिनों के भीतर देश के लिए नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगी।
सुप्रीम लीडर की ईरान में क्या भूमिका होती है
ईरान के सुप्रीम लीडर खामनेई की ऐसे जटिल हालात के दौरान सबसे अहम भूमिका होती है। अगर मोखबर को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया जाता है तो उन्हें ईरान सरकार की ताकत सौंपने में खामनेई अहम रोल निभाएंगे। बिना उनकी मंजूरी के सरकार चलाना कठिन होगा। उनके निर्देश पर ही अंतरिम सरकार का प्रशासन और कामकाज ठीक ढंग से चल पाएगा और ऐसे जटिल हालात में रणनीतिक फैसलों में वह सरकार के मददगार होंगे।
ईरान की नीतियां तय करते हैं सुप्रीम लीडर
ईरान में राष्ट्रपति की भूमिका कानूनों को लागू कराने की और प्रशासनिक कामकाज को चलाने की होती है। वह अहम फैसले स्वेच्छा से नहीं ले सकता है। इस्लामी गणराज्य की नीतियां ईरान के सर्वोच्च नेता ही तय करते हैं। ईरान में कोई भी राष्ट्रपति सुप्रीम लीडर के लिए ही काम करता है।
भारत से कितना अलग है ईरान का राष्ट्रपति
भारत में राष्ट्रपति गणतंत्र का मुखिया होता है। मगर, उसके सारे कामकाज प्रधानमंत्री करता है। प्रधानमंत्री ही सारे फैसले लेता है और नीतियां व नियम तय करता है। वहीं ईरान में राष्ट्रपति सभी प्रशासनिक कामकाज का मुखिया होता है। मगर, देश के नीतिगत फैसले लेने में ईरान के सुप्रीम लीडर की बड़ी भूमिका होती है। वही नीतियां तय करता है। ईरानी राष्ट्रपति को उसे बस लागू करना होता है।
ईरान के नए राष्ट्रपति के सामने ये होंगी चुनौतियां
अगर ईरान को नया राष्ट्रपति मिलता है तो उसके सामने कई चुनौतियां होंगी। एक तो इजरायल के साथ उसका टेंशन चल रहा है दूसरा अरब देशों के साथ पुराना विवाद है ही। अमेरिकी प्रतिबंधों की मार भी उसे झेलनी पड़ रही है। ईरान की अस्मिता को बचाए रखना बड़ी चुनौती है, क्योंकि ईरान अपनी जनता के बीच अपने गौरव को बचाए रखने की बात हमेशा से करता आ रहा है। इसके अलावा, उसे इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों से भी पार पाना होगा, जिसने इसी साल 3 जनवरी को विस्फोट करके 84 लोगों की जान ले ली थी।