महासमुंद
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में धान खरीदी में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। फर्जी रकबे में करोड़ों की धान खरीदी हो रही थी। जिसके पास 2 एकड़ 45 डिसमिल खेत है, उसने 426 क्विंटल धान बेचा। इस समिति में ऐसे ही कई किसानों के नाम पर लगभग 250 से 300 एकड़ फर्जी रकबे का पंजीयन किया गया, जिस पर धान खरीदी हुई।फर्जीवाड़ा उजागर होने पर डिप्टी कलेक्टर के नेतृत्व में महासमुंद जिला प्रशासन की पांच सदस्यीय टीम ने मामले की जांच की और फर्जीवाड़े की शिकायत को सही पाया। इस टीम में राजस्व विभाग, खाद्य विभाग, सहकारिता विभाग को-ऑपरेटिव बैंक सहित धान खरीदी से संबंधित अधिकारी शाामिल थे।
जांच टीम ने जनवरी माह में ही इस मामले में तत्कालीन समिति प्रभारी/ समिति प्रबंधक उमेश भोई, किसान राम प्रसाद और दो ऑपरेटर मनोज प्रधान और मनीष प्रधान के खिलाफ बसना थाने में एफआइआर दर्ज करवाया था। बाद में जिला प्रशासन ने इस फर्जीवाड़े में शामिल और 10 किसानों के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज करवाया। बसना थाना पुलिस ने इस मामले में पहले हुए एफआइआर में इन 10 किसानों के नाम को जोड़ा है। अब तक इस मामले में 14 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। लेकिन छह महीने बीत जाने के बाद भी अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
छत्तीसगढ़ में वर्ष 2023-24 के लिए 1 नवंबर 2023 से 7 जनवरी 2024 तक सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों से धान की खरीदी की गई। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान और प्रत्येक क्विंटल धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपये देने का वादा छत्तीसगढ़ के बीजेपी सरकार ने किया था।
महासमुंद जिले में धान खरीदी में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। फर्जीवाड़ा महासमुंद जिले के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति जाड़ामुड़ा में उजागर हुआ है। महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लाक के प्राथमिक कृषि शाखा सहकारी समिति जाड़ामुड़ा समिति के कर्मचारियों ने धान खरीदी के लिए अपने परिचय किसानों और अपने रिश्तेदारों के खेत के रकबे को फर्जी तरीके से बढ़ा दिया है और उस फर्जी रकबे में करोड़ों रुपये की धान खरीदी हुई जबकि उनके पास उतना खेती की जमीन ही नहीं है। यहां तक कि दूसरे गांव, दूसरे समिति, दूसरे लोगों की खेती की जमीन को अपने परिचित और रिश्तेदारों रकबे में जोड़ दिया गया।
केस 1- रामप्रसाद पिता नंदलाल इनके पास 0.9700 हेक्टेयर यानी 02 एकड़ 45 डिसमिल जमीन है। इसे बढ़ाकर 14.3300 हेक्टेयर यानी 37 एकड़ किया गया है। 2 एकड़ 45 डिसमिल के हिसाब से इन्हें 53 क्विंटल धान बेचने की पात्रता है, लेकिन ये अभी तक 426 क्विंटल धान बेचा है।
केस 2- संतलाल पिता ईश्वर के पास ग्राम जड़ामुड़ा इनके पास 3.9200 हेक्टेयर यानी 9 एकड़ 80 डिसमिल खेती की जमीन है, जिसे बढ़ाकर 15.1500 हेक्टेयर यानी 37 एकड़ 87 डिसमिल किया गया है। वास्तविक खेती के रकबे में प्रति एकड़ 21 क्विंटल के के हिसाब से इन्हें 9 एकड़ 80 डिसमिल में 205 क्विंटल 80 किलोग्राम धान बेचने की पात्र है लेकिन अभी तक इनके द्वारा 600 क्विंटल धान बेचा है।
केस 3- दासरथी पिता ईश्वर इनके पास 3.8300 हेक्टेयर यानि 9 एकड़ 57 डिसमिल खेती की जमीन है, जिसे बढ़ाकर 14.2500 हेक्टेयर यानी 35 एकड़ 62 डिसमिल किया गया है। इन्हें वास्तविक खेत के रकबे के हिसाब से 9 एकड़ 57 डिसमिल के हिसाब से 200 क्विंटल 97 क्विंटल बेचने की पात्रता है, लेकिन इनके द्वारा अभी तक 738 क्विंटल धान बेचा है।
केस 4- निराकार पिता दासरथी ग्राम जड़ामुड़ा इनके पास 1.7700 हेक्टेयर यानी 14 एकड़ 43 डिसमिल खेती की जमीन है, जिसे बढ़ाकर 11.8000 हेक्टेयर यानी 29 एकड़ 50 डिसमिल किया गया है। इन्हें 4 एकड़ 43 डिसमिल खेती की जमीन में इन्हें 93 क्विंटल तीन किलोग्राम धान बेचने की पात्रता है। इनके द्वारा अभी तक 488 क्विंटल धान बेचा है।
इसी तरीके से गौतम बरिहा, बोदराम, सुभाष, घनश्याम, सावित्री, मनोहर, शिव बरिहा, मुरारीलाल, सहित 18 किसानों का रकबा लगभग 250 से 300 एकड़ खेती का रकबा बढ़ाया गया है।
समझिये फर्जीवाड़ा कैसे किया गया
सहकारी समितियों में धान बेचने के लिए रकबा का पंजीयन कराया जाता है उसी रकबे के हिसाब से धान की खरीदी होती है। फर्जीवाड़ा करने वाले इस समिति के कर्मचारियों ने जिन किसानों ने धान बेचने के लिए समिति में पंजीयन नहीं कराया है, उन किसानों का रकबा को अपने परिचित और अपने रिश्तेदारों के रकबे में जोड़कर रकबा को बढ़ाया और उसी फर्जी रकबे से करोड़ों की धान खरीदी की गयी है।
फसल संबंधी गिरदावरी रिपोर्ट आने के बाद समिति में पंजीयन का कार्य समिति प्रभारी/प्रबंध और कंप्यूटर आपरेटर द्वारा ही किया जाता है। प्रबंध किसानों का रकबा चेक करता है फिर आपरेटर उसे कंप्यूटर में रकबा पंजीयन के रूप में एंट्री करता है। इसी के आधार पर धान की खरीदी होती है। इसी समय फर्जीवाड़ा करते हुए फर्जी तरीके से रकबा बढ़ाया गया। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति जाड़ामुड़ा समिति में समिति प्रभारी/ प्रबंधक उमेश भोई थे और कम्प्यूटर ऑपरेटर मनोज प्रधान थे।
फर्जीवाड़ा करने के लिए धान खरीदी के पूर्व से ही सुनियोजित तरीके से किसानों के धान का रकबा बढ़ाया गया। अक्टूबर 2023 में ही समिति के प्रभारी/प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर अपने रिश्तेदार और परिचित किसानों के साथ मिलकर फर्जी पंजीयन किया ताकि इन फर्जी रकबा में फर्जी तरीके से धान की खरीदी किया जा सके। प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी और प्रत्येक क्विंटल का समर्थन मूल्य 3100 रुपये देने की बात हुई और ये फर्जीवाड़ा करने वालों के लिए सोने पर सुहागा जैसे बात हो गई।
आखिर इतना धान इनके नाम पर कैसे बिक रहा है
जब इन किसानों के पास खेती का रकबा कम है, जिसे फर्जी तरीके से बढ़ाया गया है उनके पास धान कहा से आ रहा है जिसे बिक्री किया जा रहा है। ये भी जांच का विषय है।
फर्जीवाड़ा में फसने के बाद आरोपितों ने जिस किसान के रकबे को अपने रकबे में जोड़कर धान बिक्री किया है, उन किसानों से अधिया लेने का झूठा दावा कर रहे हैं। जबकि पीड़ित किसानों ने बताया है कि उन्होंने न किसी को अधिया दिया है न किसी को धान बेचने की सहमति दी है। अगर किसान से अधिया लेते तो धान खरीदी के लिए बने साफ्टवेयर में अधिया का कालम होता है, जिसमे अधिया लिए गए रकबे का जिक्र होता है। लेकिन यहां फर्जीवाड़े में शामिल सभी किसानों का साफ्टवेयर में अधिया का कालम शून्य है। इसका मतलब ये है कि उन्होंने अधिया, रेगहा लिया ही नहीं है। दूसरी महत्वपूर्ण तथ्य जब भी कोई किसी से खेत अधिया, रेगहा लेता है जून-जुलाई माह में धान बुवाई के समय ही स्टांंप पेपर में सहमति लेता है उसे समिति में जमा करना होता है उस हिसाब से सॉफ्टवेर में अधिया के कालम को भरा जाता है। इन्होंने अधिया रेगहा लिया ही नहीं है इसलिए अधिया का कालम शून्य है।
जिला प्रशासन के जांच प्रतिवेदन के बाद एफआइआर दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी नहीं होने के संबंध में बात करने पर पुलिस इस मामले की फिर जांच करने की बात कर रही है। पुलिस जिला प्रशासन के जांच प्रतिवेदन को मानने को तैयार नहीं या पुलिस आरोपितों को अग्रिम जमानत के लिए समय दे रही है।
महासमुंद एएसपी प्रतिभा पांडेय ने कहा, जाड़ामुड़ा धान खरीदी फर्जीवाड़े में सभी आरोपितों की धरपकड़ के लिए टीम बनाई गई है। साथ ही दस्तावेजी साक्ष्य, बैंक डिटेल, तौल पत्रक, तकनीकी सहायता ली जा रही है। शीघ्र ही आरोपितों की गिरफ्तारी होगी।