हाल ही में एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एच5एन1 एवियन इन्फ्लूएंजा (H5N1 avian influenza) से संक्रमित गायों के कच्चे दूध का सेवन करने से चूहों में तेजी से बीमारी फैल सकती है। शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के अनुसार चूहों को थोड़ी मात्रा में दूध पिलाने के बाद ही उनमें बीमारी के लक्षण दिखने लगे।
अमेरिका की विस्कॉन्सिन-मैडिसन यूनिवर्सिटी और टेक्सास ए एंड एम वेटरनरी मेडिकल डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने ये शोध किया है। उन्होंने अपने रिजल्ट को न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन (Ref) में प्रकाशित किया है।
20 बूंद दूध पीने से बीमार हो गए
शोधकर्ताओं ने चूहों को लगभग 20 बूंद दूध पिलाया। शोध के पहले दिन ही चूहों में बीमारी के लक्षण दिखने लगे, जिनमें शरीर का फूलना और सुस्ती शामिल थी। चूहों को चौथे दिन तक जीवित रखा गया, फिर वैज्ञानिकों ने उन्हें मारकर उनके विभिन्न अंगों में वायरस के स्तर की जांच की।
नाक और फेफड़ों में घुस गया था वायरस
जांच में पाया गया कि चूहों के नाक मार्ग, श्वास नली और फेफड़ों में वायरस का लेवा बहुत ज्यादा था। वहीं शरीर के अन्य अंगों में ये यह वायरस कम या कम से थोड़ा ज्यादा पाया गया। ये नतीजे अन्य स्तनधारियों में पाए गए नतीजों से मिलते-जुलते हैं।
गले से घुसा था वायरस
शोधकर्ताओं का कहना है कि संक्रमण संभवतः गले के रास्ते हुआ होगा। साथ ही, उन्होंने दो चूहों के स्तन ग्रंथियों में भी H5N1 पाया, जो गायों में पाए गए नतीजों जैसा है।
क्या इसका इंसानों पर प्रभाव हो सकता है?
इस शोध में चूहों पर अध्ययन किया गया है। इंसानों पर इसका क्या प्रभाव होगा, इस पर अभी और शोध की जरूरत है। लेकिन ये शोध कच्चा दूध पीने के खतरों को जरूर रेखांकित करता है।
दूध को गर्म करने पर क्या हुआ
शोधकर्ताओं ने H5N1 वायरस को निष्क्रिय करने के लिए जरूरी तापमान और समय की जांच की। उन्होंने दूध के नमूनों को 145°F (62.8°C) तक गर्म किया और पाया कि 5, 10, 20 और 30 मिनट के अलग-अलग समय अंतराल पर गर्म करने से वायरस पूरी तरह खत्म हो गया। लेकिन, 161.6°F (71.7°C) के तापमान पर कम समय (15 और 20 सेकंड) के लिए गर्म करने से वायरस कमजोर जरूर हुआ, लेकिन पूरी तरह निष्क्रिय नहीं हो पाया।
दूध को फ्रिज में रखने पर क्या हुआ
दूध के एक अन्य संक्रमित नमूने पर किए गए प्रयोग में, वैज्ञानिकों ने पाया कि दूध को 39.2°F (4°C) तापमान पर 5 सप्ताह तक रखने के बाद भी वायरस के स्तर में बहुत कम कमी आई। इसका मतलब है कि फ्रिज में रखे कच्चे दूध में भी वायरस संक्रामक रह सकता है।