कोलकाता
रेमल तूफान का पश्चिम बंगाल के तटीय इलाके कैनिंग में लैंडफॉल हुआ। पश्चिम बंगाल के सागर आईलैंड और बांग्लादेश के खेपुपारा के बीच 135kmph की रफ्तार से हवाएं चलीं। साथ ही तेज बारिश हुई।
तूफान के कारण पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में भारी तबाही हुई है। कई इलाकों में पेड़ उखड़ गए, घर ढह गए, बिजली के खंभे भी उखड़ गए। साथ ही सुंदरवन के गोसाबा इलाके में मलबे की चपेट में आने से एक व्यक्ति घायल हुआ।
रविवार रात 8.30 बजे बांग्लादेश के मोंगला के दक्षिण-पश्चिम के पास सागर आईलैंड (पश्चिम बंगाल) और खेपुपारा (बांग्लादेश) के बीच पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के नजदीकी तटों पर लैंडफॉल शुरू हुआ था। जो 4 घंटे से ज्यादा जारी रहा।
तूफान आने से पहले बंगाल के तटीय इलाकों से करीब 1.10 लाख लोगों को शेल्टर सुरक्षित जगहों पर भेजा गया था। इसमें सबसे ज्यादा लोग साउथ 24 परगना जिले से हैं। स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट और NDRF की 16-16 टीमों को तटीय इलाकों में तैनात हैं।
वहीं, पश्चिम बंगाल के कोलकाता, नॉर्थ 24 परगना सहित अन्य शहरों में तूफान के कारण तेज बारिश और आंधी रही। इसके कारण कई इलाकों में पेड़ उखड़ गए, जिससे कारण रास्ता ब्लॉक हुआ।
रेस्क्यू में तैनात म्यूनिसिपल की टीम, पुलिस की डिजास्टर मैनेजमेंट टीम, NDRF ने तत्काल पेड़ों को काटा और रास्ता साफ किया। कोलकाता से सटे निचले इलाकों में सड़कें और घर में पानी भर गया।
कोलकाता समेत बंगाल के विभिन्न जिलों के आसमान में रविवार सुबह से ही बदली छाई हुई है औऱ तेज हवाएं चलनी शुरू हो गई है। बीच-बीच में बारिश भी हो रही है। चक्रवात के बाबत राज्य सचिवालय नबान्न में कंट्रोल रूम खोला गया है।
राहत सामग्रियों, जरूरी दवाओं व अन्य सभी जरुरी चीजों का भंडारण किया गया है। प्रभावित होने वाले लोगों के लिए राहत शिविरों की भी पर्याप्त संख्या में व्यवस्था की गई है। समुद्र में मछुआरों को 27 मई तक नहीं जाने और वहां मौजूद मछुआरों को तुरंत लौटने की पहले ही हिदायत दी जा चुकी है।
मौसम विभाग ने रविवार व सोमवार को बंगाल और उत्तरी ओड़िशा के तटीय जिलों में अत्यधिक वर्षा की चेतावनी दी है। बंगाल के दक्षिण और उत्तर 24 परगना जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है। इन दो जिलों में बड़े नुकसान की आशंका है।
ये राज्य होंगे ज्यादा प्रभावित
मौसम विभाग ने सोमवार तक के लिए पश्चिम बंगाल और उत्तरी ओडिशा के तटीय जिलों में भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है। साथ ही असम व मेघालय में भी अत्यधिक बारिश की आशंका जताई गई है। मणिपुर, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा के लिए सोमवार व मंगलवार के लिए भारी बारिश का अनुमान है। त्रिपुरा में भूस्खलन की चेतावनी जारी की गई है।
2 दिन रह सकता है असर
मौसम विभाग ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा के अलावा पूर्वोत्तर के लगभग सभी राज्यों में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश व भूस्खलन की चेतावनी जारी की है। इन राज्यों में तूफान का असर अगले दो दिनों तक रह सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेमल से निपटने और तैयारियों की समीक्षा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने अफसरों से सभी एहतियाती कदम समय से उठाने के निर्देश दिए।
एक रिपोर्ट के अनुसार रेमल के तटों पर पहुंचने पर 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं। पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश के तटीय इलाकों में इसके पहुंचने पर ऊंची तूफानी लहरों के कारण निचले इलाकों में पानी भर गया। तूफान की तीव्रता को देखते हुए बंगाल के मौसम कार्यालय ने रविवार को ही मछुआरों को सोमवार सुबह तक उत्तरी बंगाल की खाड़ी में न जाने की सलाह दी।
बंगाल के उत्तर व दक्षिण 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिलों में बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया। तटवर्ती जिलों में कमजोर संरचनाओं, बिजली एवं संचार लाइन, कच्ची सड़कों, फसलों व बगीचों को भारी नुकसान की चेतावनी भी जारी की गई। प्रभावित इलाकों में लोगों को घर के अंदर रहने की सलाह दी गई। नौसेना के साथ स्वास्थ्यकर्मियों को मुस्तैद कर दिया गया है।
रेल-हवाई सेवा ठप, सड़क मार्ग पर भी असर
पूर्वी व दक्षिण पूर्वी रेलवे ने पश्चिम बंगाल के दक्षिण व उत्तर 24 परगना और पूर्व मेदिनीपुर जिले में दर्जनों ट्रेनों के संचालन पर रोक लगा दी है। लंबी दूरी की ट्रेनों को डायवर्ट किया गया है। कोलकाता हवाई अड्डे के अधिकारियों ने रविवार दोपहर से 21 घंटे के लिए उड़ान संचालन निलंबित कर दिया। इससे सुबह 9:30 बजे तक की घरेलू व अंतरराष्ट्रीय 394 उड़ानें प्रभावित होंगी। कोलकाता स्थित श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह पर भी रविवार शाम से 12 घंटे के लिए माल एवं कंटेनर प्रबंधन परिचालन रोक दिया गया। बंगाल के कई हिस्सों में रविवार सुबह से ही बारिश के चलते सड़क यातायात भी प्रभावित हुआ।
बढ़ती गर्मी से तीव्र हो रहे तूफान
वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र की सतह के गर्म तापमान के कारण चक्रवाती तूफान तेजी से तीव्र हो रहे हैं और लंबे समय तक अपनी ताकत बरकरार रख रहे हैं। मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डीएस पाई के अनुसार समुद्र की सतह के गर्म होने का मतलब अधिक नमी है। यह चक्रवातों के तीव्र होने के लिए अनुकूल है। रेमल इस बार के मॉनसून से पहले बंगाल की खाड़ी में आने वाला पहला चक्रवात है।