मिर्जापुर
उत्तर प्रदेश की मिर्जापुर लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक होता जा रहा है, यहां एनडीए प्रत्याशी के रूप में अपनादल सुप्रीमो अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं तो इंडी गठबंधन से सपा के रमेश बिंद उन्हें चुनौती दे रहे हैं। बसपा उम्मीदवार मनीष तिवारी चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में लगे हैं।
असल में पूर्वांचल की अन्य सीटों से मिर्जापुर सीट भी अलग नही है,जातीय फैक्टर यहां भी हावी है। जीत हार के नतीजे इसी आधार पर लगाएं जा रहे हैं। कहने को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहित अन्य मुद्दों की चर्चा चट्टी चौराहे पर हो रही है लेकिन अंतिम बात किस बिरादरी का कितना वोट है जोड़ घटाना शुरू हो जाता है।
राजनीतिक दल भी इसी जोड़ पर टिकट भी दिया है। कुर्मी बहुल इस सीट पर खुद मैदान में हैं तो सपा भी जिले कुर्मी के बाद पिछड़े वर्ग की सबसे बड़ी जाति बिंद को मैदान में उतार कर लड़ाई को बराबर का बना दिया है।
अनुप्रिया केन्द्रीय मंत्री वह भी उद्योग मंत्री एवं वाणिज्य विभाग उनके पास रहा है। स्थानीय लोग विषेश आशा लगाए रहे। हालांकि उनके कार्यकाल में विकास कार्य बहुत हुए हैं। वह उन्हें बहुत सहारा दे रहा है। विकास कार्य गिना भी रही है,जिसका जबाब विपक्ष के पास नहीं है। इस अनुप्रिया हैट्रिक पर है।
दूसरी ओर भाजपा के भदोही सीट से मौजूदा सांसद रमेश बिंद अब मिर्जापुर सीट से सपा उम्मीदवार हैं। वे तीन बार यहां बसपा से विधायक रहे हैं। अपनी बिरादरी में अच्छी पैठ भी रखते हैं। पर बसपाई रहते सबर्ण जाति पर विशेष कर ब्राह्मणों पर उनकी टिप्पणी ने अब केवल पिछड़ों दलितों के बीच का छोड़ रखा है। वे बसपा नेता के रूप में एक तरफ जातीय यहां संघर्ष के रूप में ला खड़ा किया था। लोग अभी भूले नहीं हैं।
बसपा ने जिले में कुर्मी समाज के बाद सबसे अधिक मतदाता ब्राह्मण मनीष तिवारी को टिकट दिया है। यहां बसपा ब्राह्मण दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के गठजोड़ को ध्यान में रखा है। पर यहां सीधी लड़ाई अपनादल और सपा के बीच दिख रही है। बसपा उम्मीदवार को लोग नोटिस में नही ले रहे हैं।
यहां कुल 18,97,805 मतदाता हैं। जिनमें एक अनुमान के मुताबिक दलित 4,80,000 कुर्मी तीन लाख पचास हजार,ब्राह्मण लगभग दो लाख,बिंद 01, एक लाख 45 हजार यादव, 85हजार मुस्लिम ,01लाख 40 हजार शेष अन्य पिछड़ा वर्ग को माना जाता है।सपा का बेस वोट यादव और मुस्लिम यहां भारी संख्या में नही है, लिहाजा जातीय समीकरण उसके अनुकूल नही है।
दूसरी तरफ भाजपा के बेस वोट के साथ कुर्मी वोट जातीय समीकरण में आगे कर दे रहा। यहां लगभग एक लाख वैश्य एवं छत्रिय वोट मोदी के लाभार्थियों का वोट जो दलित ज्यादा है अपनादल के पक्ष में है। राजा भैया प्रकरण से यहां सपा को विशेष लाभ नही मिल रहा है। बल्कि यह अनुप्रिया के पक्ष में कुर्मी मतदाताओं को लामबंद ही करेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा से सुस्त पड़े भाजपाइयों में जोश भर गये है। वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश की सभा होनी है। कुल मिलाकर यहां अपनादल और सपा में ही टक्कर है। एक जून को जिस पक्ष के मतदाता घर से निकलेंगे बाजी उसी के हाथ में होगी। ताकत दोनों ओर लग रहा है।