जबलपुर
शहर के प्राइवेट स्कूल और बुक सेलर्स के खिलाफ जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। 11 बड़े स्कूलों के संचालक, प्राचार्य और पुस्तक विक्रेता और प्रकाशक के खिलाफ कार्रवाई की गई। 51 लोगों के खिलाफ धारा 420, 409, 468, 471 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
80 प्रतिशत फर्जी किताबों को कोर्स में जोड़ा
जिला प्रशासन लगभग 55 दिनों की जांच में विद्यालयों की आय-व्यय से लेकर पुस्तकों की खरीदी, पुस्तक विक्रेताओं के साथ साठगांठ, पब्लिशर्स की भूमिका जैसे पहलुओं की जांच की। जांच में पता चला कि 11 विद्यालयों ने 21 हजार विद्यार्थियों से लगभग एक वर्ष में 81 करोड़ 30 लाख रुपये अतिरिक्त फीस वसूली। वहीं, ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए 80 प्रतिशत फर्जी किताबों को कोर्स में जोड़ा।
जांच में सामने आई कमीशनखोरी में अनावश्यक पुस्तकों के अतिरिक्त भार, फर्जी और डुप्लीकेट पुस्तकें आदि से सात लाख विद्यार्थियों से 240 करोड़ रुपये की अवैधानिक शुल्क वसूलने पर यह कार्रवाई की गई।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने 11 विद्यालयों को 30 दिन के अंदर अभिभावकों को अतिरिक्त फीस बढ़ी हुई राशि के साथ लौटाने के निर्देश दिए हैं साथ ही इन पर 22 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।
30 दिन में लौटानी होगी अतिरिक्त वसूली फीस
जिला प्रशासन ने सभी विद्यालयों से कहा है कि वे 30 दिन के भीतर अपने स्कूल के आय-व्यय का स्वत: ऑडिट करें और जो भी अतिरिक्त शुल्क बढ़ाया है, उसे 30 दिन के अंदर अभिभावकों को वापस लौटाएं। इसके बाद अगर किसी अभिभावक की शिकायत आती है या फिर प्रशासन खुद ही स्कूलों में औचक जांच करेंगे और दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कलेक्टर दीपक सक्सेना ने प्रेसवार्ता में बताया कि जिले के 1037 प्राइवेट स्कूलो में लगभग दो लाख 52 हजार बच्चे पढ़ते हैं। इन विद्यालयों में अधिकांश ने शुल्क वृद्धि के नियमों का पालन नहीं किया, जबकि उन्हें 10 प्रतिशत तक फीस वृद्धि की स्वीकृति है।
अधिक फीस वृद्धि के लिए लेनी होती है अनुमति
इसके बाद 10 से 15 फीसदी वृद्धि के लिए जिला प्रशासन की समिति और 15 से अधिक वृद्धि के लिए राज्य सरकार की समिति से स्वीकृति लेना है, जो नहीं ली। स्कूलों को समय पर फीस लौटानी होगी। ऐसा नहीं करने पर प्रशासन उनकी संपत्ति कुर्क भी कर सकता है।
एक अप्रैल से निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी और बुक सेलर्स और पब्लिकेशन के खिलाफ जिला प्रशासन ने शिकायतों की जांच कीं। निजी विद्यालयों के खिलाफ आम जनता से अभिभावकों की शिकायतें लीं। फीस, पुस्तक, ड्रेस और स्टेशनरी के मुनाफाखोरी की जांच की। इस दौरान लगभग अभिभावकों की लगभग 250 शिकायतें मिलीं। यह शिकायत लगभग 75 स्कूलों के खिलाफ थीं, जिसकी जांच की। शहर के 11 बड़े स्कूलों की जांच का पहला चरण पूरा किया है।
निजी स्कूलों में हर साल किताब बदलने के खेल में पुस्तक विक्रेता से लेकर प्रकाशक तक शामिल हैं। जांच की तो पता चला कि स्कूल में हर साल नई किताब लगाई जाती है, ताकि अभिभावकों से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकें।
कैसे वसूली अवैध फीस ?
- स्कूलों ने किताबें बदलकर तीन करोड़ 47 लाख और स्टेशनरी से 65 लाख रुपये अतिरिक्त कमाए।
- जानकारी देने से बचने के लिए स्कूलों ने पोर्टल पर ऑडिट रिपोर्ट अपलोड नहीं की।
- जिन स्कूलों ने ऑडिट रिपोर्ट बनाई, उन्होंने इसमें भी कई हेरफेर किए।
- स्कूलों ने 15 फीसदी से ज्यादा फीस बढ़ाई, लेकिन किसी को जानकारी नहीं दी।
- स्कूल बैग का वजन दो से तीन गुना तक बढ़ा दिया, ताकि कमाई हो सके।
जिला प्रशासन की ओर से आठ एसडीएम, 12 तहसीलदार, 25 शिक्षा अधिकारी, 60 कर्मचारी जांच में शामिल थे।जांच के दौरान टीम ने स्कूलों में अचानक पांच छापे मारे, जिसमें कई दस्तावेज जब्त किए गए, जिन्हें स्कूलों ने छिपाकर रखा था।
जांच टीम ने 50 से ज्यादा स्कूलों में जाकर उनकी ऑडिट रिपोर्ट तैयार की और फिर प्रबंधक और शिक्षकों से पूछताछ की। मामले में कलेक्टर ने दो खुली सुनवाई की, जिसमें स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों को आमने-सामने बैठाकर बात की गई। जांच के बाद 51 लोगों पर केस दर्ज किया गया है, इसमें सोमवार को 20 लोगों को सुबह गिरफ्तार किया। नामजद लोगों में 30 स्कूलों के प्रबंधक, पांच पुस्तक विक्रेता, 16 पुस्कत के प्रकाशक शामिल हैं।
इन स्कूलों ने की अवैध कमाई
1- क्राइस्ट चर्च स्कूल सालीवाड़ा – दो करोड़ 67 लाख रुपये
2- लिटिल वल्ड स्कूल – 18 करोड़ 39 लाख रुपये
3 – स्टेम फील्ड – चार करोड़ 62 लाख रुपये
4 – ज्ञान गंगा आर्किड – चार करोड़ 56 लाख रुपये
5- चैतन्य टेक्नो – चार करोड़ 62 लाख रुपये
6- क्राइस्ट चर्च आइएससी – छह करोड़ 17 लाख रुपये
7- सेंट अलायसियस पोलीपाथर – नौ करोड़ 74 लाख रुपये
8- सेंट अलायसियस स्कूल सदर – 11 करोड़ 40 लाख रुपये
9- क्राइस चर्च डायसेशन – दो करोड़ 87 लाख रुपये
10- सेंट अलायसियस स्कूल रिमझा – नौ करोड़ 36 लाख रुपये
11- क्राइस्ट चर्च बॉयज स्कूल – छह करोड़ 90 लाख रुपये
एक अप्रैल से अब तक की जांच में 11 निजी स्कूलों ने 21 हजार विद्यार्थियों से एक साल में लगभग 81 करोड़ 30 लाख रुपये फीस वृद्धि से कमाए, जिसे अभिभावकों को वापस करना होगा। इसकी जांच में कुल 51 को आरोपित बनाया गया है, जिसमें 20 की गिरफ्तारी पुलिस ने की है। वहीं सभी स्कूलों से आग्रह किया गया है कि वे भी अपने स्कूलों को स्वत: आर्डिट करें और अतिरिक्त फीस वृद्धि की राशि को 30 दिन के भीतर वापस करें। इसके बाद शिकायत आने पर प्रशासन अपने स्तर पर जांच करेंगा। – दीपक सक्सेना, कलेक्टर, जबलपुर