नई दिल्ली
भारत की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों की वृद्धि दर में लगातार दूसरे महीने गिरावट देखने को मिली है और मई में यह तीन महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। यह जानकारी सोमवार को एक निजी कंपनी की रिपोर्ट में दी गई।एचएसबीसी इंडिया की मैन्युफैक्चरिंग परचेसिंग इंडेक्स गिरकर 57.5 रह गई है, जो कि अप्रैल में 58.8 अंक पर थी।
सर्वे में बताया गया कि पीएमआई के आंकड़े में गिरावट की वजह गर्मी के कारण काम के घंटे का कम और लागत में इजाफा होना है।
बता दें, जब भी पीएमआई 50 के ऊपर होता है, तो दिखाता है कि गतिविधियों में तेजी आ रही है। वहीं, जब भी पीएमआई 50 से नीचे होता है। इसका उल्टा होता है।
एचएसबीसी की वैश्विक अर्थशास्त्री मैत्रेयी दास ने कहा "मई में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में तेजी रही है, हालांकि नए ऑर्डर और उत्पादन में धीमी वृद्धि के कारण विस्तार की गति धीमी रही। पैनलिस्टों ने मई में काम के कम घंटों के लिए हीटवेव को एक कारण बताया है, जिसका उत्पादन की मात्रा उत्पादन पर असर हो सकता है।"
दास ने कहा कि इसके विपरीत, नए निर्यात ऑर्डर 13 वर्षों में सबसे तेज गति से बढ़े हैं।
सर्वे में बताया गया है कि नए ऑर्डर में तेजी से वृद्धि हुई है, हालांकि ये पिछले तीन महीनों में सबसे कम है। मजबूत मांग, मार्केटिंग प्रयासों में वृद्धि और अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने के कारण ऑर्डर की संख्या में इजाफा हुआ है।
मई में निर्यात में तेजी वृद्धि हुई है। ये 13 वर्षों में सबसे अधिक थी। भारतीय मैन्युफैक्चरर्स में भी सेंटीमेंट सकारात्मक बना हुआ है। इसकी वजह आर्थिक गतिविधियां का अच्छा होना और मांग बने रहना है।
वहीं, मई की बिक्री की स्थिति भी अच्छी बनी हुई है और जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान अधिक होने के कारण नौकरी के अधिक अवसर पैदा हुए हैं। हालांकि, कच्चे माल की लागत बढ़ने और ढुलाई महंगी होने के कारण सभी उत्पादनकर्ताओं के लिए लागत बढ़ गई है।
सर्वे में महंगाई को लेकर कहा गया कि लंबी अवधि के औसत के मुकाबले महंगाई की दर कम है। लागत बढ़ने के कारण कंपनियों ने मई में अपने उत्पादों के दाम में इजाफा किया है।
विनिर्माण क्षेत्र मई में विस्तार के दायरे में रहा. हालांकि, इसकी गति धीमी रही, जिसका कारण नए ठेकों और उत्पादन में मंदी रही. मंदी का कारण भीषण गर्मी के बीच कामकाजी घंटों में कमी और उत्पादन लागत में वृद्धि बताया जा रहा है.
भीषण गर्मी से घटा उत्पादन
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है. एचएसबीसी की वैश्विक अर्थशास्त्री मैत्रेयी दास ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र मई में विस्तार के दायरे में रहा. हालांकि, इसकी गति धीमी रही, जिसका कारण नए ठेकों और उत्पादन में मंदी रही. दास ने कहा कि मंदी का कारण भीषण गर्मी के बीच कामकाजी घंटों में कमी और उत्पादन लागत में वृद्धि बताया जा रहा है.
चुनाव ने वृद्धि को किया प्रभावित
सर्वेक्षण के अनुसार, प्रतिस्पर्धा और चुनाव संबंधी व्यवधानों के कारण वृद्धि अवरुद्ध हुई है. कुल बिक्री के रुझान के विपरीत मई में नए निर्यात ठेकों में तीव्र गति से वृद्धि हुई है. अंतरराष्ट्रीय बिक्री में यह उछाल 13 वर्षों में सबसे अधिक रहा, क्योंकि विनिर्माताओं को अफ्रीका, एशिया, अमेरिका, यूरोप और पश्चिम एशिया के कई देशों में ग्राहकों से लाभ प्राप्त हुआ है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इसके साथ ही, मार्च 2005 में आंकड़ा संग्रहण शुरू होने के बाद से विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई. एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 कंपनियों के एक समूह में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है.