इंदौर
मध्य प्रदेश के इंदौर लोकसभा सीट पर यूं तो भाजपा एकतरफा लड़ाई लड़ रही है, लेकिन उसे नोटा उसे कड़ी टक्कर दे रहा है। दरअसल, इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार रहे अक्षय कांति बम नामांकन के आखिरी दिन भाजपा में शामिल हो गए थे।
नामांकन की तिथि खत्म हो जाने के कारण काग्रेस किसी और को अपना उम्मीदवार नहीं बना सकी। कांग्रेस ने इस सबके लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। कांग्रेस ने कहा था कि भाजपा ने इंदौर के मतदाताओं से उनका मतदान देने का हक छिन लिया है। उसने भाजपा पर लोकतंत्र को नष्ट करने के आरोप भी लगाए थे। इसके बाद कांग्रेस ने घर-घर अभियान चलाकर इंदौर के मतदाताओं से नोटा को वोट देने की अपील की। यहां तक कि उसने शहर की दिवारों पर नोटा को वोट देने की अपील करते हुए पोस्टर भी चिपकाए थे। यहां तक कि ऑटो वगैरह पर नोटा को वोट देने की अपील करते हुए पंफलेट लगाए गए।
हालांकि भाजपा ने इसको लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी। भाजपा ने कहा था कि कांग्रेस लोगों को नोटा पर वोट देने की अपील कर लोकतंत्र का मजाक उड़ा रही है। इन सबके बावजूद इंदौर में कांग्रेस के अपील का असर पड़ता दिखाई दे रहा है। इंदौर लोकसभा सीट पर अब तक हुए वोटों की गिनती में नोटा को दो लाख से ज्यादा वोट मिले हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। हालांकि भाजपा के उम्मीदवार शंकर लालवानी वोटों की गिनती में बढ़त बनाए हुए हैं, लेकिन नोटा उनका पीछा कर रहा है। उम्मीद जताई जी रही है मतगणना पूरी होने तक नोटा अभी और आगे जा सकता है।
बता दें कि इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गए थे। दरअसल, शहर के कुछ ऑटो पर नोटा को वोट देने की अपील करने वाले पंफलेट लगे थे। पंफलेट पर अपीलकर्ता के रूप में लोकतंत्र बचाओ समिति का नाम लिखा था। भाजपा की पार्षद संध्या यादव ने एक ऑटो से जबरन इस पंफलेट को हटा दिया था। ऐसा करते हुए उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
इसके बाद कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिंह ने यादव ने दावा किया था कि नाराज मतदाता नोटा को वोट देने का अभियान चला रहे हैं। आरोप लगाया कि भाजपा पार्षद ने ऑटो रिक्शा वाले को धमकी दी और जबरन पंफलेट फाड़ दिया। वहीं, भाजपा पार्षद का कहना था कि उन्होंने एक जागरूक नागरिक होने के नाते किया। साथ ही कहा था कि नोटा कोई प्रत्याशी नहीं है कि उसका प्रचार किया जाए।