नई दिल्ली
चुनाव से पहले ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन ) और वीवीपैट (वोटर वेरीफाइट पेपर आडिट ट्रेल) पर सवाल खड़ा कर रहा विपक्ष मंगलवार को आशा के अनुरूप नतीजे आने के बाद ईवीएम मामले पर पहले की तरह फिर से चुप्पी ओढ़ ली है। साथ ही निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर खड़े किए जा रहे सवालों के सुर भी बदल लिए है। अब वह आयोग पर भरोसा जताते दिख रहा है, साथ ही ईवीएम से आए नतीजों को लेकर उल्लास जता रहा है। फिलहाल ईवीएम के परिणामों की इस स्वीकारोक्ति से साफ हो गया है कि उसने हर चुनावों की तरह फिर से एक और अग्निपरीक्षा पास कर ली है। ईवीएम को लेकर विपक्ष का यह रवैया पिछले चुनावों की तरह इस बार भी था।
ईवीएम को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला
विपक्ष के कई शीर्ष नेताओं की ओर से सीधे सीधे आयोग पर सवाल खड़े किए जा रहे थे। कुछ संगठनों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में बार बार याचिका डाली जा रही थी। चुनाव से पहले और बाद में ईवीएम से छेड़छाड़ के मुद्दे को पूरे जोर- शोर से उठाया जा रहा था। बाद में वीवीपैट को भी इस विवाद में शामिल किया। इस दौरान यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर और ज्यादा सुनवाई से इंकार किया और कहा कि इस पर पहले से बहुत सुनवाई हो चुकी है, जिसमें यह साफ हो चुका है कि ईवीएम के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं हो सकती है।
कांग्रेस ने चुनाव आयोग को लिखी थी लंबी चिट्ठी
हालांकि मतगणना से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने इस मुद्दे को फिर उठाया था और विपक्षी दलों को सतर्क किया था। वहीं चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने ईवीएम और वीवीपैट को लेकर आयोग को एक लंबी चिट्टी लिखी थी। आयोग ने भी इस मामले में सभी शंकाओं को साफ करते हुए ईवीएम को लेकर पूछे जाने वाले सबसे अधिक सवालों की सूची में इन सवालों के जवाबों को भी शामिल किया था।
ईवीएम से अब तक हो चुके है पांच लोकसभा और 152 विधानसभा के चुनाव
इस चुनाव के साथ ही देश में अब तक पांच लोकसभा और 152 राज्य विधानसभाओं के चुनाव ईवीएम से हो चुके है। इस दौरान 46 से अधिक बार सत्ता में बदलाव हुआ है। ईवीएम के जरिए अब तक हुए पांच लोकसभा चुनावों में दो बार कांग्रेस की अगुवाई वाला यूपीए गठबंधन केंद्र की सत्ता पर काबिज हो चुका है, जबकि 2014, 2019 और 2024 में भाजपा की अगुवाई में एनडीए ने सबसे अधिक सीटों पर जीत दर्ज की है।
1982 में शुरू हुई थी ईवीएम की यात्रा
ईवीएम का चुनाव में पहली बार इस्तेमाल 1982 में केरल के एर्नाकुलम जिले में किया गया। जहां करीब 50 पोलिंग बूथों पर इसे बतौर ट्रायल इस्तेमाल किया गया था। शुरूआत में ईवीएम में सिर्फ आठ प्रत्याशियों के शामिल होने का विकल्प था, लेकिन अब इनमें 16 प्रत्याशियों को शामिल किया जा सकता है। इनमें नोटा भी शामिल है। ईवीएम के जरिए मौजूदा समय में एक सीट से 384 प्रत्याशियों तक के चुनाव एक साथ कराए जा सकते है। चुनाव में वीवीपैट का पहली बार इस्तेमाल 2013 में नगालैंड में किया गया था।