तेहरान
ईरान के पूर्व उपराष्ट्रपति एशहाक जहांगीरी ने 28 जून को देश में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए आधिकारिक तौर पर अपना पंजीकरण कराया। इसके साथ ही वह पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद और ईरानी संसद के पूर्व अध्यक्ष अली लारिजानी सहित कई प्रतिष्ठित लोगों के साथ राष्ट्रपति पद की दौर में शामिल हो गए हैं।
जहांगीरी ने मोहम्मद खातमी के राष्ट्रपति रहते हुए 1997 से 2005 तक उद्योग और खान मंत्री के रूप में कार्य किया। वह ईरानी राजनीति में एक विवादास्पद व्यक्ति रहे हैं, आलोचक अक्सर आर्थिक मंदी के दौर में उनकी भूमिकाओं की ओर इशारा करते रहे हैं।
उपराष्ट्रपति और रूहानी के आर्थिक मामलों के प्रभारी व्यक्ति के रूप में, उन्होंने 2018 में ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने की कोशिश की, लेकिन रूहानी प्रशासन और उसके उत्तराधिकारी, राईसी सरकार, दोनों छह साल के आर्थिक संकट का समाधान करने करने में विफल रहे।
ईरानी मीडिया के मुताबिक अब तक करीब 40 उम्मीदवारों ने इब्राहिम रईसी की जगह लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद, पूर्व IRGC कमांडर वाहिद हघानियान, सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के पूर्व सचिव सईद जलीली भी शामिल हैं। हालांकि इसमें एक और नाम है जिसकी खूब चर्चा हो रही है। पूर्व महिला सांसद जोहरेह इलाहियन (57) एक मात्र महिला उम्मीदवार हैं जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की जगह लेने के लिए दावेदारी पेश की है। अगर वो इस पद के लिए चुनी जाती हैं तो ईरान के इतिहास में पहली बार होगा जब कोई महिला राष्ट्रपति बनेगी।
कनाडा ने इलाहियन पर लगा रखा है प्रतिबंध
इलाहियन हिजाब की कट्टर समर्थक हैं। कनाडा सरकार ने इसी साल मार्च में उनपर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि वह ईरान के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं के लिए वह मौत की सजा का समर्थन करती हैं।
इलाहियन पेशे से एक डॉक्टर हैं और दो बार सांसद रह चुकी हैं। वह संसद की नेशनल सिक्योरिटी एंड फॉरेन पॉलिसी कमेटी की मेंबर भी रह चुकी हैं। वह अपने कट्टर विचारों के लिए जानी जाती हैं।राष्ट्रपति पद के लिए रजिस्ट्रेशन कराने के बाद अपने भाषण में इलाहियन ने भ्रष्टाचार से लड़ने का संकल्प लिया और ‘मजबूत सरकार, मजबूत अर्थव्यवस्था और मजबूत समाज’ का नारा दिया।
प्रिंसेस लतीफा पर बयान देकर चर्चा में आई थीं इलाहियन
साल 2018 में संयुक्त अरब अमीरात की प्रिंसेस लतीफा अपने एक फ्रेंच मित्र की मदद से UAE से भाग गई थीं। हालांकि उन्हें भारतीय सीमा के पास पकड़ लिया गया था और वापस उनके देश भेज दिया गया था। इसके कुछ सालों बाद UAE प्रिंसेस लतीफा ने अपने आप को बंधक बनाए जाने का दावा किया था।
लतीफा का कहना था कि उनके साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है और एक जेलनुमा विला में रखा जा रहा है। इस पर इलाहियन ने लतीफा को ईरान आने की सलाह दी थी। इलाहियन ने कहा था कि वे अगर ईरान आती हैं तो उन्हें इस्लामिक रूल के तहत आजादी से जीने का अधिकार मिलेगा।
संभावित उम्मीदवारों के लिए पांच दिवसीय पंजीकरण अवधि 30 मई से शुरू होकर तीन जून को समाप्त हुई। उम्मीदवारों की अंतिम सूची 11 जून को प्रकाशित की जाएगी।
19 मई को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में राष्ट्रपति इब्राहिम राईसी की मृत्यु के कारण देश में शीघ्र चुनाव आवश्यक हो गया है, जिसमें विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन और छह अन्य लोगों की भी जानें गई थी।
इलाहियन की उम्मीदवारी हो सकती है रद्द
ईरानी मीडिया के मुताबिक इलाहियन की उम्मीदवारी के रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल ईरान के संविधान में यह स्पष्ट नहीं है कि एक महिला वहां की राष्ट्रपति बन सकती है या नहीं। यह एक विवादस्पद आर्टिकल ‘गार्जियन काउंसिल’ की व्याख्या पर निर्भर करती है।
‘गार्जियन काउंसिल’ कुछ उच्च अधिकारियों का एक समूह है जो संविधान के अनुच्छेदों की व्याख्या करती है। ये काउंसिल इतिहास में कई बार अहम पदों के लिए महिला उम्मीदवारों की नियुक्ति को अवैध ठहरा चुकी है।
ईरान के संविधान में अनुच्छेद 115 निर्धारित करता है कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों को राजनीतिक या धार्मिक ‘रिजाल’ होना चाहिए। ‘रिजाल’ एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ ‘पुरुष’ होता है। हालांकि, कुछ संवैधानिक विशेषज्ञ कहते हैं कि यहां ‘रिजाल’ का अर्थ किसी लिंग से नहीं है।
गार्जियन काउंसिल 11 जून को योग्य उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित करेगा। अगर जोहरेह इलाहियन का नाम गार्जियन ऑफ काउंसिल द्वारा पास हो जाता है और वह राष्ट्रपति बनने में सफल हो पाती हैं तो इसे ईरान की महिला विरोधी छवि को सुधारने की दिशा में बड़ा कदम माना जाएगा।