इस्लामाबाद
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पांच दिनों की चीन की यात्रा पर गए हैं। इस यात्रा के दौरान वह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। यह यात्रा एक ऐसे समय में हो रही है जब पाकिस्तान चीन के साथ अपने संबंधों पर भरोसा कर रहा है। शहबाज शरीफ चीन के शीआन और शेनझेन का दौरा करेंगे। चीन के विकास के पोस्टर बॉय के तौर पर इन शहरों को जाना जाता है।
शेनझेन को तत्कालीन नेता डेंग जियाओपिंग ने देश के पहले विशेष आर्थिक क्षेत्र के रूप में चुना था। पाकिस्तान अपनी खराब अर्थव्यवस्था से बाहर निकलना चाहता है। पाकिस्तान को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से उम्मीद है। हालांकि पाकिस्तान के ऊपर कर्ज पिछले एक दशक में दोगुना हो गया है।
2015 में 62 अरब डॉलर के CPEC को शुरू किया गया था, जिसे दोनों देशों की सरकारें और विश्लेषक एक गेम चेंजर के रूप में मानते हैं। इसमें एक प्रमुख बंदरगाह, पावर प्लांट और सड़क नेटवर्क का निर्माण शामिल है। हालांकि जितनी उम्मीद इस प्रोजेक्ट से जताई जा रही थी, एक दशक बाद अभी भी इसके भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
CPEC चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का महत्वपूर्ण अंग है। चीन इसे व्यापार बढ़ाने के लिए बना रहा है। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह चीन के जियोपॉलिटिकल प्रभाव को बढ़ाने और पाकिस्तान जैसे गरीब देशों को कर्ज के जाल में फंसाने के लिए है।
CPEC की राह हुई मुश्किल
CPEC में देश की ऊर्जा, परिवहन और औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ दक्षिण में ग्वादर बंदरगाह का निर्माण भी शामिल था। हालांकि शुरुआत में सफलताएं मिलीं, लेकिन देश में लगातार राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संकटों के कारण पाकिस्तान के CPEC की यात्रा कठिन हो गई। हाल ही में आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में शहबाज शरीफ सत्ता में आए हैं, जो सीपीईसी को नए सिरे से बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। 2015 में नवाज शरीफ ने सीपीईसी को शुरू किया था।
दोगुना हो गया पाकिस्तान का कर्ज
सीपीईसी के कारण पाकिस्तान का विकास नहीं हो सका। लेकिन लगातार उसका कर्ज बढ़ता जा रहा है। 2013 में जब नवाज शरीफ सत्ता में थे तब पाकिस्तान का विदेशी कर्जा 59.8 बिलियन डॉलर था। आज एक दशक से ज्यादा समय बाद उनके भाई सत्ता में हैं। पाकिस्तान कर्ज अब 124 बिलियन डॉलर से ऊपर है, जिसमें से 30 अरब डॉलर सिर्फ चीन का ही बकाया है।
पाकिस्तान के घटते विदेशी भंडार पर कर्ज के बोझ ने आयात पर निर्भर देश के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के पास सिर्फ 9 अरब डॉलर हैं जो दो महीने के आयात के लिए पर्याप्त है।