नई दिल्ली
दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने के बाद नरेंद्र मोदी गठबंधन सरकार चलाने पर विवश हो गए हैं। नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी ने भाजपा के सामने कई अहम मंत्रालयों की मांग रख दी है। लोकसभा स्पीकर का पद भी गठबंधन के साथी चाहते हैं। यही नहीं अग्निवीर जैसी अहम स्कीमों पर बदलाव तक की मांग नीतीश कुमार की पार्टी ने उठा दी है। 12 सीटें जीतने वाले नीतीश कुमार के इस दबाव से भाजपा थोड़ा टेंशन में हैं। वहीं सूत्रों का कहना है कि दबाव से निपटने के लिए भाजपा ने छोटे दलों और निर्दलीय सांसदों से बात करना शुरू कर दिया है।
भाजपा को लगता है कि नीतीश कुमार भले ही साथ रहें, लेकिन करीब 290 सांसदों को साथ लेकर सरकार बनाई जाए। ऐसा इसलिए ताकि नीतीश कुमार कभी भी दबाव डालें तो उसका काउंटर किया जा सके। इसके अलावा भाजपा लोकसभा स्पीकर का पद भी नहीं देना चाहती क्योंकि कभी किसी के समर्थन वापस लेने की स्थिति में उसका रोल अहम हो जाता है। टीडीपी की नजर स्पीकर के पद पर है ताकि सत्ता की कुंजी पकड़ ले। भाजपा इस पद को भी देने से हिचक रही है।
नितिन गडकरी वाले मंत्रालय पर अड़ी है भाजपा
सहयोगी दलों को भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि सीसीएस वाले यानी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के तहत आने वाले 4 मंत्रालयों को नहीं दिया जाएगा। ये मंत्रालय हैं- होम मिनिस्ट्री, डिफेंस, वित्त और विदेश मंत्रालय। इसके अलावा भाजपा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भी नहीं देना चाहती। नितिन गडकरी ने इस मंत्रालय में बीते 10 सालों में शानदार काम किया है। उन्होंने कई एक्सप्रेसवे बनाए और हाईवेज की स्थिति भी सुधरी है। इसलिए भाजपा चाहती है कि रिपोर्ट कार्ड मजबूत करने वाले मंत्रालय को अपने पास ही रखा जाए।
रेलवे भी क्यों नहीं देना चाहती भाजपा, जेडीयू की है नजर
मंत्रालय को लेकर चल रही खींचतान रेलवे पर भी है। रेलवे में दो कार्यकाल में नरेंद्र मोदी सरकार ने कई अहम बदलाव किए हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई गई हैं, पटरियों का दोहरीकरण और विद्युतीकरण हुआ है। इसलिए भाजपा नहीं चाहती कि जेडीयू को यह मंत्रालय देकर सुधारों में ब्रेक लगने दिया जाए। भाजपा चाहती है कि फूड प्रोसेसिंग, भारी उद्योग जैसे मंत्रालय सहयोगियों को दिए जाएं। वे मंत्रालय अपने पास ही रखे जाएं, जो सरकार के लिए रिपोर्ट कार्ड को दुरुस्त रखने को जरूरी हैं।