भोपाल /नईदिल्ली
लोकसभा चुनावों का रिजल्ट बीजेपी के लिए मध्यप्रदेश में बहुत बेहतर रहा है. बीजेपी ने मध्यप्रदेश में इस बार सभी 29 सीटें जीती हैं. इस बार बीजेपी की सभी महिला उम्मीदवार भी जीतकर आई हैं. अब चर्चा इनमें से किसी एक को केंद्र में मंत्री बनाने की चल रही है.
चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही, प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं को दिल्ली बुलाने के कयास लगाए जा रहे है. इसी बीच प्रदेश में इस बार सबसे ज्यादा महिला सासंद जीतने का नया रिकॉर्ड बना है. MP से 6 महिलाएं संसद पहुंचेंगी.इनमें से कौन-सी महिला सांसद बन सकती हैं मंत्री ? जब 29 में से 6 महिलाएं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई हैं। इस बार भाजपा ने सागर से लता वानखेड़े, भिंड से संध्या राय, शहडोल से हिमाद्री सिंह, बालाघाट से भारती पारधी, धार से सावित्री ठाकुर और रतलाम से अनीता नागर सिंह चौहान को मैदान में उतारा था।
इन सभी ने पार्टी की उम्मीदों के मुताबिक नतीजे दिए। बालाघाट ऐसा संसदीय क्षेत्र बना है, जहां पहली बार कोई महिला सांसद चुनी गई है। वहीं, सागर को 44 साल बाद महिला सांसद मिली है। राज्य में हुए इससे पहले के चुनावों पर गौर करें तो वर्ष 2009 में भी छह महिला सांसद लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं। इनमें दो कांग्रेस की और चार बीजेपी की थीं। इसके अलावा वर्ष 2004 के चुनाव में दो और 2014 के चुनाव में पांच महिलाएं जीती थीं।
भाजपा के पक्ष में आए नतीजे
इसी तरह वर्ष 2019 के चुनाव में चार महिला सांसद थीं। वर्ष 2024 के चुनाव में भाजपा ने शहडोल से हिमाद्री सिंह और भिंड से संध्या राय को दोबारा मौका दिया। वहीं, चार नए महिला चेहरों को मैदान में उतारा। सभी छह सीटों पर परिणाम भाजपा के पक्ष में आए हैं। राज्य से निर्वाचित कई महिलाओं की राष्ट्रीय स्तर पर हनक रही है। इंदौर से लगातार आठ बार निर्वाचित होने वाली सुमित्रा महाजन लोकसभा की अध्यक्ष बनीं।
वहीं, उमा भारती को अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में स्थान मिला था। इसके अलावा प्रज्ञा ठाकुर भोपाल का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। इस बार भाजपा ने मध्य प्रदेश में इतिहास रचा है। पार्टी ने यहां की सभी 29 सीटों पर जीत दर्ज की। अब से लगभग छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भारी बहुमत के साथ जीत हासिल कर सरकार बनाई थी और अब लोकसभा के चुनाव में भी उसने क्लीन स्वीप किया है।
आम चुनाव के लिए चुनी गईं 74 महिला सांसद, पिछले आम चुनाव के मुकाबले संख्या घटी
मंगलवार को आए नतीजों में कुल 74 महिलाएं चुनी गईं जबकि 2019 के आम चुनाव में यह संख्या 78 थी. देश भर से निचले सदन के लिए चुनी गईं कुल महिला सांसदों में से पश्चिम बंगाल 11 महिलाओं के साथ सबसे आगे है. कुल 797 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, जिसमें भाजपा ने सबसे अधिक 69 को और कांग्रेस ने 41 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया था.
संसद में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के बाद यह पहला चुनाव है. इस कानून में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है. यह कानून अभी लागू नहीं हुआ है.
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, इस बार भाजपा की 30 महिला उम्मीदवारों ने लोकसभा चुनाव जीता, कांग्रेस की 14, तृणमूल कांग्रेस की 11, समाजवादी पार्टी की चार, द्रमुक की तीन और जनता दल (यूनाइटेड) और लोजपा (आर) की दो-दो महिला उम्मीदवार जीतीं.
सत्रहवीं लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या सबसे अधिक 78 थी, जो कुल संख्या का 14 प्रतिशत थी. 16वीं लोकसभा में 64 महिलाएं सदस्य थीं जबकि 15वीं लोकसभा में यह संख्या 52 थी. भाजपा की हेमा मालिनी, तृणमूल की महुआ मोइत्रा, राकांपा (शरदचंद्र पवार) की सुप्रिया सुले और समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने लोकसभा चुनाव में अपनी सीटें बरकरार रखीं जबकि कंगना रनौत और मीसा भारती जैसी उम्मीदवारों ने अपनी जीत से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा.
मछलीशहर से समाजवादी पार्टी की 25 वर्षीय उम्मीदवार प्रिया सरोज और कैराना सीट से 29 वर्षीय इकरा चौधरी जीत हासिल करने वाली सबसे कम उम्र की उम्मीदवारों में शामिल हैं.