कोलकाता
कोलकाता में कुवैत के खिलाफ फीफा विश्व कप 2026 का क्वालिफायर मैच ड्रॉ (0-0) खेलकर भारत ने अपने करिश्माई स्ट्राइकर सुनील छेत्री को विदाई दी. भारत अगर जीत दर्ज करता तो छेत्री के लिए यह अच्छी विदाई होती क्योंकि इस मैच में ड्रॉ खेलने से उसकी क्वालिफायर्स के तीसरे दौर में पहुंचने की संभावनाओं को करारा झटका लगा है.
भारतीय फुटबॉल की पहचान रहे 39 साल के छेत्री ने इस मैच के साथ ही 19 साल तक चले अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को भी अलविदा कहा. उन्होंने भारत की तरफ से 151 मैचों में 94 गोल किए. वह अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में सर्वाधिक की गोल करने वाले खिलाड़ियों की सूची में पुर्तगाल के सुपरस्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो (128), ईरान के दिग्गज अली देई (108) और अर्जेंटीना के करिश्माई खिलाड़ी लियोनेल मेसी (106) के बाद चौथे स्थान पर हैं.
भारत जैसे देश के किसी खिलाड़ी के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है तथा 16 मई को जब उन्होंने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने की घोषणा की तो फीफा ने भी उनकी उपलब्धियों की सराहना की थी. छेत्री को विदाई देने के लिए हजारों दर्शक स्टेडियम में पहुंचे थे. उनके पिता खरगा और माता सुशीला तथा पत्नी सोनम भट्टाचार्य के अलावा कई अधिकारी और पूर्व खिलाड़ी भी शामिल थे.
दर्शकों को हालांकि आखिर में यह मलाल रह गया कि छेत्री अपने अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच में गोल नहीं कर पाए. छेत्री हालांकि क्लब फुटबॉल में खेलते रहेंगे. उनका इंडियन सुपर लीग की टीम बेंगलुरू एफसी के साथ अगले साल तक अनुबंध है. छेत्री ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 12 जून 2005 को पाकिस्तान के खिलाफ क्वेटा में खेला था. वह मैच 1-1 से ड्रॉ छूटा था. छेत्री ने उस मैच में गोल किया था, लेकिन गुरुवार को वह ऐसा करिश्मा नहीं दिखा पाए.
इस मैच में ड्रॉ से अब भारत के 5 अंक हो गए हैं. उसे अपना अंतिम मैच 11 जून को एशियाई चैम्पियन कतर के खिलाफ खेलना है. कुवैत के 4 अंक हैं और वह उसी दिन अफगानिस्तान के खिलाफ मैच खेलेगा.
सुनील छेत्री को विदाई देने सॉल्ट लेक स्टेडियम पहुंचे हजारों दर्शक
सॉल्ट लेक स्टेडियम खचाखच भरा था, लेकिन इसके बावजूद खालीपन का एहसास हो रहा था क्योंकि पिछले 19 वर्षों से भारतीय फुटबॉल की सांस रहे सुनील छेत्री अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे थे.
छेत्री को विदाई देने के लिए हजारों दर्शक (करीब 59000) स्टेडियम में पहुंचे थे. इनमें से अधिकतर ने इस स्टार स्ट्राइकर की 11 नंबर की जर्सी पहनी हुई थी. उनके मन में एक टीस भी थी कि अब वह अपने इस प्रिय खिलाड़ी को भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए नहीं देखेंगे.
छेत्री ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि कुवैत के खिलाफ विश्व कप क्वालिफायर का मैच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका अंतिम मैच होगा और यही वजह थी कि उनका कोई भी प्रशंसक उन्हें भारत की तरफ से अंतिम मैच में खेलते हुए देखने से नहीं चूकना चाहता था.
ड्राइवर की बगल की सीट पर बैठे छेत्री सबसे पहले बस से उतरे. बस से उतर कर छेत्री इस मैदान पर होने वाले हर मैच की गवाह रही ‘लोजेंज माशी’ जमुना दास के पास गए, जो ईस्ट बंगाल की समर्थक हैं. छेत्री ने उन्हें गले लगाया और फिर मैदान की तरफ चले गए. वह जैसे ही मैदान पर पहुंचे चारों तरफ तिरंगा लहराने लगा और स्टेडियम में छेत्री छेत्री की गूंज सुनाई देने लगी.
स्टेडियम में एक बहुत बड़ा पोस्टर लगा था जिसमें बांग्ला में लिखा था, सोनार सुनील. तोमाय हृदोय मझारे रखबो ’ (स्वर्णिम सुनील, मैं आपको अपने दिल में बनाए रखूंगा) इसके अलावा कई अन्य पोस्टर भी लहरा रहे थे जिसमें सुनील छेत्री का गुणगान किया गया था.
गोलकीपर गुरप्रीत सिंह के पीछे खड़े छेत्री को जोर से राष्ट्रगान गाते हुए भी देखा गया. इससे पहले अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष कल्याण चौबे और राज्य के खेल मंत्री अरूप भट्टाचार्य ने उनका स्वागत किया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा,‘सुनील छेत्री का एक शानदार नए सफर में स्वागत है. आज से आपकी जिंदगी का नया दौर शुरू हो रहा है. आप बंगाल के गोल्डन ब्वॉय, भारतीय टीम के कप्तान, एशिया के खेल आईकॉन, विश्व स्तर पर गोल करने वाले और कई उपलब्धियां हासिल करने वाले खिलाड़ी रहे.’