नई दिल्ली
ईवीएम में डाले गए वोटों और गिने गए कुल वोटों के बीच कुछ जगहों पर अंतर क्यों आ रहा है? चुनाव आयोग ने खुद ही इसका जवाब दिया है। EC का कहना है कि कुछ वोटों को नियमों के मुताबिक न गिना जाना इसकी वजह हो सकती है। दरअसल, सोशल मीडिया पर इंटरनेट यूजर्स की ओर से इसे लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स ने एक्स पर पोस्ट करके पूछा कि EVMs पर जितने वोट डाले गए और जितने वोटों की गिनती हुई, इसके बीच कहीं-कहीं तो हजारों का अंतर है। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है?
उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इसका जवाब दिया है। उन्होंने बताया कि खास प्रोटोकॉल के चलते ऐसा अंतर आ सकता है। कुछ मतदान केंद्रों के वोटों की गिनती निम्न कारणों से नहीं की जाती है…
1. कभी-कभी पीठासीन अधिकारी रियल वोटिंग शुरू होने से पहले कंट्रोल यूनिट से मॉक पोल डेटा डिलीट करना भूल जाते हैं। या फिर, कई बार वीवीपैट से मॉक पोल पर्चियां नहीं हटाई जाती हैं।
2. कंट्रोल यूनिट में डाले गए कुल वोटों और पीठासीन अधिकारी की ओर से तैयार किए गए फॉर्म 17-सी के रिकॉर्ड में अंतर आ सकता है। ऐसी स्थिति में भी ईवीएम में पड़े कुल वोट और गिने जाने वाले वोट अलग-अलग हो सकते हैं।
चुनाव आयोग के अनुसार, ऐसे मतदान केंद्रों के वोट अंत में केवल तभी गिने जाते हैं अगर उनका कुल योग पहले और दूसरे उम्मीदवारों के बीच के अंतर के बराबर या उससे अधिक हो। अगर कुल अंतर मार्जिन से भी कम हो, तो इन वोटों की गिनती नहीं होती है। इस तरह EVM में डाले गए वोटों और गिने गए वोटों के बीच अंतर आ जाता है।
दूसरी ओर, निर्वाचन आयोग ने हिंसा मुक्त लोकसभा चुनाव को महात्मा गांधी को समर्पित किया। ECI ने कहा कि आयोग ने देश में अशांति पैदा कर सकने वाली अफवाहों व बेबुनियाद संदेहों से चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतार देने की कोशिश को पूरी तरह विफल कर दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि 76 वर्ष से राष्ट्र के प्रति समर्पित निर्वाचन आयोग की सेवा अटूट समर्पण के साथ जारी रहेगी। आयोग ने कहा, ‘हमने उन अफवाहों व बेबुनियाद संदेहों से चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारने की कोशिश विफल कर दी है जिनसे अशांति फैल सकती थी। भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं में अटूट विश्वास रखने वाले आम आदमी की इच्छा और विवेक की जीत हुई है।'