मानव शरीर पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का प्रभाव पड़ता है, जो विज्ञान द्वारा प्रमाणित है। प्राचीन काल से ही धर्म शास्त्रों में मानव की सुख, समृद्धि एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए अनेक दिशा निर्देशों का वर्णन प्राप्त होता है, जिनका पालन करने से मनुष्य सुख-शांतिपूर्वक, वर्षों तक स्वस्थ एवं तनाव रहित जीवन जी सकता है। अक्सर लोग जानकारी के अभाव में गलत दिशा में सिर करके सोते हैं, जिसके कारण अनियमित दिनचर्या, बुद्धि भ्रम एवं तनाव की स्थिति बनी रहती है। पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोने से एकाग्रता और गहरी नींद आती है। दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद रहता है, पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से प्रबल चिंता व्यक्ति को घेर लेती है, उत्तर दिशा की ओर सिर करके शयन करना अशुभ माना जाता है। आइए विस्तार से जानें…
सोने की दिशा गलत होने पर होता है बुद्धि भ्रम
इंसान अपने जीवन का लगभग एक-तिहाई समय सोने में यानि की बेडरूम में व्यतीत करता है इसलिए अच्छे स्वास्थ्य और मानसिक ऊर्जा की प्राप्ति के लिए यह जरूरी है कि बेडरूम वास्तु के अनुसार हो। यदि हमने वास्तु का ध्यान नहीं रखा तो अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, बुरे स्वप्न, धनहानि आदि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। प्राचीन ग्रंथों में शयन-संबंधी विधियों का वर्णन अनेक स्थानों पर मिलता है, जिनके अनुसार उत्तर और पश्चिम दिशा में सिर करके नहीं सोना चाहिए।
पश्चिम की ओर सिर करके सोने से प्रबल चिंताएं और उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोने से अनेक प्रकार के कष्ट होते हैं। शास्त्रों का यह मत पूर्णतः वैज्ञानिक है। विज्ञान ने पृथ्वी को एक बड़ा चुंबक माना है, जिसके दो ध्रुव हैं। उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव, मनुष्य के शरीर में भी चुम्बकीय शक्ति का भंडार है। सिर को उत्तरी ध्रुव एवं पैरों में दक्षिणी ध्रुव माना जाता है। अतः उत्तर में सिर करके सोने से समान चुम्बकीय ध्रुव, विकर्षण उत्पन्न करते हैं, जिससे अनिद्रा और सिरदर्द के साथ ब्लड प्रेशर में अनियमितता बढ़ जाती है।
दक्षिण दिषा की ओर सिर करके सोएंगे तो चुंबकीय सिद्धान्त के अनुसार भोजन परिपाक ठीक होगा। नींद बढ़िया आएगी, निद्रा के बाद आप अपने को स्वस्थ महसूस करेंगे क्योंकि ध्रुव आकर्षण सिद्धांत के अनुसार दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर चल रहा प्रवाह, हमारे मस्तिष्क से प्रविष्ट होकर पांवों के रास्ते से निकलेगा, जिससे व्यक्ति की आयु बढ़ती है। धर्मशास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा के स्वामी मृत्यु के देवता यम हैं। अतः मृत्यु के देवता यम की ओर पैर करके सोने से मनुष्य की आयु घटती है, जो कि पूर्णतः विज्ञान पर आधारित है।
पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोना भी उचित नहीं माना जाता क्योंकि यह शास्त्र सम्मत नहीं है और पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति के भी विरुद्ध है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी यह सही नहीं है, ज्योतिष में पूर्व दिशा का स्वामी सूर्य है, जो कि सिर का कारक है एवं पश्चिम दिशा का स्वामी शनि है जो कि पैरों का कारक है। सूर्य और शनि पिता-पुत्र होकर भी एक दूसरे के विपरीत एवं शत्रु हैं। शनि की पश्चिम दिशा में सिर करके सोने से चिन्ता, हानि, कष्ट, रोग प्राप्त होते हैं तथा मस्तिष्क सम्बन्धित विकार उत्पन्न होते हैं। अतः वास्तुशास्त्र के अनुसार गहरी नींद, अच्छे स्वास्थ्य, एवं एकाग्रता के लिए सदैव दक्षिण या पूर्व की तरफ सिर करके ही सोना चाहिए।