कोलकाता
लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद पश्चिम बंगाल बीजेपी में खींचतान शुरू हो गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष ने इशारे में पार्टी पर निशाना साधा है। उन्होंने इशारों में बीजेपी के उस फैसले पर निशाना साधा है, जिसमें स्थापित नेताओं को जीतने योग्य निर्वाचन क्षेत्रों से हटाकर चुनौतीपूर्ण चुनावी मैदानों में उतारा गया। उन्होंने इस औचित्य पर सवाल उठाए। हालांकि दिलीप घोष ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, 'ओल्ड इज गोल्ड'। उनकी इस पोस्ट से पश्चिम बंगाल इकाई में ‘पुराने बनाम नए’ बहस की अटकलें शुरू हो गईं। घोष ने पहले कहा था कि पार्टी का पुराने नेताओं को दरकिनार करना गलती थी और चुनाव में हार का सामना तो करना ही पड़ा क्योंकि नए और अनुभवहीन नेता फैसले ले रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में भाजपा की लोकसभा सीटों की संख्या 2019 में 18 से घटकर 12 रह गई। 2019 में बीजेपी को जब 18 सीटें मिली थीं, तब दिलीप घोष भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार 42 में से 30 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था।
दिलीप घोष को मिली बुरी हार
दिलीप घोष को बर्धमान-दुर्गापुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस के कीर्ति आजाद के हाथों लगभग 1.38 लाख वोटों से हार का सामना करना पड़ा। घोष ने इससे पहले कहा था कि अब यह स्थापित हो चुका है कि उन्हें उनके पुराने निर्वाचन क्षेत्र मेदिनीपुर से चुनाव लड़ने के लिए भेजना एक गलती थी। उन्हें उनकी विजयी सीट मेदिनीपुर से बर्धमान-दुर्गापुर स्थानांतरित कर दिया गया, जहां तृणमूल के खिलाफ मुकाबला काफी कठिन था।
अहलूवालिया की सीट बदलने पर भी सवाल
घोष ने बर्धमान-दुर्गापुर सीट पर एसएस अहलूवालिया की जगह चुनाव लड़ा था। अहलूवालिया ने आसनसोल से चुनाव लड़ा था। आसनसोल दक्षिण सीट से पार्टी की मौजूदा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने मेदिनीपुर में घोष की जगह चुनाव लड़ा था। हाल ही में संपन्न चुनावों में भाजपा के तीनों उम्मीदवारों को तृणमूल उम्मीदवारों के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
दिलीप घोष के और क्या आरोप
घोष ने कहा, 'पार्टी ने सीटें खो दी हैं और इसका विकास रुक गया है। यह वह समय है जब पार्टी को दिग्गजों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।' घोष ने पहले आरोप लगाया था कि 'पीठ में छुरा घोंपने' के कारण उन्हें बर्दवान-दुर्गापुर सीट पर हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, 'मैंने पार्टी को बर्दवान-दुर्गापुर में संगठन की कमज़ोरी के बारे में सचेत किया था। हालांकि, पार्टी ने आखिरी समय में मुझे वहां से चुनाव लड़ने के लिए कहा और मैंने चुनाव लड़ा। मिदनापुर में, मैं 87,000 वोटों के अंतर से जीता था और वह (अग्निमित्रा पॉल) 27,000 वोटों से हार गई थीं। यह इस तथ्य के बावजूद है कि मिदनापुर में मतदाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है।'
सुकांत मजूमदार ने दी सफाई
हालांकि, भाजपा के बंगाल अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि पार्टी में वरिष्ठों और नए कार्यकर्ताओं के बीच कोई टकराव नहीं है। उन्होंने कहा, 'कार्यकर्ताओं के बीच ऐसा कोई टकराव नहीं है। हालांकि, मैं इस बारे में सार्वजनिक रूप से ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा।'
कृष्णानगर में बीजेपी दफ्तर पर पड़ा ताला
शनिवार को पार्टी कार्यकर्ताओं ने कृष्णानगर स्थित भाजपा कार्यालय पर ताला जड़ दिया और प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने जिला अध्यक्ष अर्जुन बिस्वास को हटाने की मांग की। एक दिन पहले ही भाजपा की कृष्णानगर से उम्मीदवार अमृता रॉय ने दावा किया था कि पार्टी के भीतर झगड़े ने जिले में संगठन को कमजोर कर दिया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रचार के लिए बहुत सारा पैसा दिया गया था, लेकिन उन्हें पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया।
भाजपा के कृष्णानगर जिला अध्यक्ष ने अपने खिलाफ आरोपों से इनकार किया। बिस्वास ने कहा, 'उन्हें गुमराह किया गया होगा। जो भी पैसा आया है उसका हिसाब है और समय पर हिसाब दिया जाएगा। लेकिन हिसाब तैयार करने में समय लगता है।' कूचबिहार में, भाजपा के कई कार्यकर्ता लोकसभा सीट हारने के कुछ दिनों बाद टीएमसी में शामिल हो गए। लॉकेट चटर्जी, जो खुद भी चुनाव हार गईं, ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं की बात सुनने का समय आ गया है।