नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा इस महीने हो सकती है. लोकसभा चुनावों के दौरान केंद्र शासित प्रदेश में लोकतंत्र और मतदान के प्रति आम जनता के उत्साह से निर्वाचन आयोग भी उत्साहित है. इसे ध्यान में रखते हुए निर्वाचन आयोग चाहता है कि विधानसभा चुनाव भी इसी पॉजिटिव माहौल में संपन्न करवा दिया जाए. सूत्रों के मुताबिक मुमकिन है कि अगस्त मध्य तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव संपन्न करा दिए जाएं.
चुनाव आयोग (ईसी) ने इस संबंध में तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. ईसी ने शुक्रवार को राजनीतिक दलों से कहा कि वे अपने उम्मीदवारों के लिए सामान्य प्रतीकों के उपयोग के लिए आवेदन करना शुरू कर दें. यानी पूरे राज्य में ऐसी राजनीतिक पार्टियां जो आयोग में रजिस्टर्ड तो हैं, लेकिन उनको क्षेत्रीय दल की मान्यता नहीं मिली है वे भी अपने एक ही चुनाव चिह्न पर उम्मीदवार खड़े कर सकती हैं. लेकिन उन्हें अपनी पसंद वाला चुनाव चिह्न फ्री सिंबल्स के विकल्प में से ही चुनने होंगे.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा 2018 में हुई थी भंग
अब तक तो राष्ट्रीय, राज्य या क्षेत्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दलों के उम्मीदवारों को कॉमन सिंबल पर चुनाव लड़ने के लिए टिकट बांटने का अधिकार रहता था. लेकिन बाकी रजिस्टर्ड पार्टियों के उम्मीदवार निर्दलीय उम्मीदवारों की तरह अलग-अलग उपलब्ध फ्री सिंबल्स पर ही चुनाव लड़ते थे. आमतौर पर किसी विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से छह महीने पहले सामान्य चुनाव चिन्हों के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. लेकिन 2018 में विधानसभा भंग होने के बाद से जम्मू-कश्मीर में नई विधानसभा का गठन नहीं हो सका है, इसलिए चुनाव आयोग ने अब प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है.
पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित करने के फैसले को बरकरार रखते हुए चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव कराने का आदेश दिया था. मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने 3 जून को कहा था कि चुनाव आयोग 'बहुत जल्द' जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करेगा.
लोकसभा चुनावों में J-K में हुई अच्छी वोटिंग
निर्वाचन आयोग जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनावों के दौरान 58.58 फीसदी कुल मतदान और घाटी में 51.05 फीसदी मतदान से गदगद है. इतना ही नहीं तीन-चार दशकों में इतने शांतिपूर्ण चुनाव यहां नहीं हुए थे. केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन और मतदाता सूची में सुधार का काम पहले ही संपन्न हो चुका है. चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का एक बार और संक्षिप्त पुनरीक्षण किया जाएगा. विधानसभा चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा फिर बहाल होने की उम्मीद है.
परिसीमन में विधानसभा क्षेत्रों की सीमा बदली गई है. उसमें नए इलाकों को शामिल किया गया है. विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 हो गई है, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की भी 24 सीटें शामिल हैं. जम्मू-कश्मीर विधानसभा में माता वैष्णो देवी सहित कुल 90 सीटें होंगी. परिसीमन आयोग ने दो बार कार्यकाल विस्तार की अपनी अवधि समाप्त होने से एक दिन पहले पिछले साल मई में ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. परिसीमन की फाइनल रिपोर्ट के मुताबिक 114 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 90 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे. बाकी सीटें पाक के अवैध कब्जे वाले इलाके में हैं.
परिसीमन के बाद J-K में हैं 90 विधानसभाएं
नवगठित सीटों में रियासी जिले में माता वैष्णो देवी और कटरा विधानसभा क्षेत्र भी होंगे. परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिकजम्मू क्षेत्र में विधानसभा की 43 और कश्मीर घाटी में 47 सीटें होंगी. इनमें से नौ सीटें अनुसूचित जातियों और सात अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित होंगी. लोकसभा की पांच सीटों में दो-दो सीटें जम्मू और कश्मीर संभाग में होंगी, जबकि एक सीट दोनों के साझा क्षेत्र में होगी. यानी आधा इलाका जम्मू संभाग का और बाकी आधा कश्मीर घाटी का हिस्सा होगा. इस बार के लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की 5 में से दो सीटें बीजेपी और दो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीती. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की.