राजनीती

कमल नाथ की प्रतिष्ठा अमरवाड़ा विधानसभा सीट के उपचुनाव में दांव पर रहेगी

 भोपाल
 मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा जिला ही ऐसा रहा है, जहां कि सभी सातों विधानसभा सीटें 2018 और 2023 में कांग्रेस ने जीती थीं। इसका श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को ही जाता है। दोनों चुनाव कमल नाथ के नाम पर लड़े गए। टिकट भी उन्हीं ने तय किए।

बीच लोकसभा चुनाव में उनके भरोसेमंद साथी कमलेश शाह ने अमरवाड़ा विधानसभा सीट से त्यागपत्र देकर भाजपा की सदस्यता लेकर बड़ा झटका दिया। इसका नुकसान कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ को लोकसभा चुनाव में हुआ और वे इस विधानसभा सीट पर भाजपा के विवेक बंटी साहू से 15 हजार 39 मतों से पीछे रह गए थे।

अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट से कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को बढ़त मिली है। 2008 से पार्टी ने यहां कमलेश शाह को चुनाव मैदान में उतारा पर वे 1,140 मतों के अंतर से हार गए थे। 2013 के चुनाव में कमल नाथ ने फिर उन पर भरोसा जताया और उन्होंने 4,063 मतों के अंतर से जीत प्राप्त की।

2018 में 10,393 और 2023 के चुनाव में 25 हजार 286 मतों से पराजित कर फिर विधानसभा पहुंचे। आदिवासियों के बीच शाह की छवि का लाभ कांग्रेस को पूरे जिले में मिलता रहा। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के किले में सेंध लगाने के लिए कमल नाथ के विश्वासपात्र कमलेश शाह को अपने पाले में करने में सफलता प्राप्त की। उन्होंने बाकी नेताओं की तरह पद पर बने रहने के स्थान पर पहले विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया और फिर विधिवत भाजपा में शामिल हुए।

कांग्रेस पदाधिकारियों का कहना है कि यह उप चुनाव कांग्रेस और खासतौर पर कमल नाथ के लिए बहुत अहम है। प्रतिष्ठा भी उनकी ही दांव पर रहेगी क्योंकि लोकसभा चुनाव में उनमें बेटे नकुल नाथ को पराजय मिलने के बाद अब उनको पास वापसी का यह बड़ा अवसर है। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने उपचुनाव के लिए पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे और पूर्व विधायक सुनील जायसवाल को चुनाव प्रभारी नियुक्त कर दिया है।

दोनों कमल नाथ समर्थक हैं। ये प्रत्याशी चयन को लेकर संगठन को नाम भी सुझाएंगे। कमल नाथ से चर्चा करने के बाद केंद्रीय संगठन को अंतिम निर्णय के लिए नाम प्रस्तावित किया जाएगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार केके मिश्रा का कहना है कि अमरवाड़ा में उपचुनाव किस कारण से हो रहा है, यह जनता जानती है। निर्वाचित जनप्रतिनिधि के धोखे का वह उपचुनाव में बदला लेगी। जहां तक बात कमल नाथ की है तो वे छिंदवाड़ा ही नहीं देश के वरिष्ठ नेता हैं और मात्र एक चुनाव में हार-जीत राजनीतिक भविष्य का पैमाना नहीं होती है।

कमलेश शाह को ही मैदान में उतार सकती है भाजपा

उधर, भारतीय जनता पार्टी कमलेश शाह को ही अमरवाड़ा विधानसभा से चुनाव लड़ा सकती है। इसके लिए स्थानीय नेताओं के बीच सहमति बनाई जाएगी। संगठन जल्द ही उपचुनाव के लिए प्रभारी की नियुक्ति करेगा। मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव के दौरे भी अगले सप्ताह से प्रारंभ हो जाएंगे।

कमलेश शाह ने दिया था इस्तीफा

अमरवाड़ा से तीन बार कांग्रेस विधायक रहे कमलेश शाह ने इस साल 29 मार्च को इस्तीफा दे दिया। जिसके तुरंत बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। अब इस विधानसभा सीट पर उपचुनाव की आवश्यकता है। शाह ने बाद में राज्य विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। उपचुनाव के कार्यक्रम की घोषणा सोमवार को निर्वाचन आयोग ने कर दी है। काउंटिंग 13 जुलाई को होगी।

अमरवाड़ा से कौन होगा बीजेपी का प्रत्याशी

हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार बंटी विवेक साहू ने छिंदवाड़ा के पूर्व सांसद एवं कांग्रेस उम्मीदवार नकुल नाथ को 1.13 लाख मतों के अंतर से हराया था। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार लोकसभा चुनावों के दौरान अमरवाड़ा विधानसभा सीट के अंतर्गत मतदान केंद्रों पर भाजपा को 93,512 वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 78,473 वोट मिले यानी भाजपा ने इस सीट पर 15,000 अधिक वोट हासिल किए। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि अब कमलेश शाह को अमरवाड़ा सीट के लिए भाजपा द्वारा मैदान में उतारा जा सकता है। चुनाव अधिसूचना 14 जून को जारी की जाएगी, नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 जून है। मतपत्रों की जांच 24 जून को की जाएगी और नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि 26 जून है।

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