कन्नौज
चुनावी दंगल में तो पति-पत्नी के आमने-सामने की लड़ाई के कई उदाहरण हैं, लेकिन एक अलग-अलग सीट से एक साथ जीतकर लोकसभा तक पहुंचने की नजीर कम ही मिलती है। इस बार 18वीं लोकसभा के दौरान जब सदन में सभी सांसद बैठेंगे, तो यूपी से अखिलेश यादव और डिंपल यादव के रूप में पति-पत्नी की इकलौती जोड़ी सभी का ध्यान खींचेगी।
यह पहली बार है कि किसी पार्टी का मुखिया अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव एक साथ लोकसभा के लिए चुने गए हैं। अखिलेश अपनी परंपरागत सीट कन्नौज से, तो उनकी पत्नी डिंपल यादव पड़ोस की मैनपुरी सीट से सांसद चुनी गई हैं। दोनों ने ही रिकॉर्ड वोटों के अंतर से चुनाव जीता है। डिंपल यादव तो सपा की ओर से जीतने वाले सांसदों में सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीतने में अव्वल हैं।
उनके बाद उनके पति अखिलेश यादव की जीत का अंतर पार्टी में दूसरे नंबर पर है। यह भी एक अलग तरह का रिकॉर्ड है। ऐसे में लोकसभा की कार्रवाई के दौरान जब दोनों सदन में मौजूद रहेंगे, तो सभी की निगाहें उन पर रहेंगी। अगर दोनों के लिए बैठने की जगह भी पास-पास होगी, तो यह देखना भी दिलचस्प होगा।
पिछली लोकसभा चुनाव में दोनों सदस्य रहे, साथ निर्वाचित नहीं हुए
एक इत्तेफाक देखिए कि अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव पिछली लोकसभा 2019 में भी साथ-साथ लड़े थे, लेकिन सदन के सदस्य एक साथ नहीं निर्वाचित होने से साथ-साथ नहीं पहुंच सके थे। दरअसल अखिलेश यादव आजगमगढ़ से चुनाव लड़कर जीते। जबकि डिंपल यादव कन्नौज से लड़ी थीं, लेकिन चुनाव नहीं जीत सकी थीं। हालांकि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी सीट खाली हुई, तो डिंपल यादव वहां से उपचुनाव जीतकर सदन में पहुंचीं।
10 महीने बाद डिंपल उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं
उसके पहले अखिलेश यादव विधानसभा में मैनपुरी की ही करहल विधानसभा से विधायक निर्वाचित हो गए थे। नतीजों के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाने के लिए उन्होंने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफा के बाद करीब 10 महीने बाद डिंपल यादव उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचीं। इस तरह 17वीं लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होकर भी साथ में सदस्य नहीं रहे थे।
सदन में तीन भाइयों के साथ मौजूद रहेंगे अखिलेश
अखिलेश यादव न सिर्फ पहली बार अपनी पत्नी के साथ लोकसभा में मौजूद रहेंगे, बल्कि इस बार उनके तीन भाई भी बतौर सांसद सदन में उनके साथ रहेंगे। चूंकि सैफई परिवार के पांच सदस्य निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंचे हैं। इसमें कन्नौज से अखिलेश यादव और मैनपुरी से डिंपल यादव के अलावा आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव, फिरोजाबाद से अक्षय यादव और बदायूं से आदित्य यादव भी सांसद चुने गए हैं। इस तरह पांच सदस्यों के साथ लोकसभा में देश का सबसे बड़ा कुनबा रहेगा।
पिता और एक भाई के साथ सदन में रह चुके अखिलेश, पहली बार कुनबे के साथ
- 2000 के उपचुनाव में जब वह पहली बार कन्नौज से सांसद बने थे तो उस समय उनके पिता मुलायम सिंह यादव संभल से सांसद के रूप में उनके साथ लोकसभा में थे
- 2004 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज से अखिलेश यादव और मैनपुरी से उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव लोकसभा पहुंचे थे।
- 2009 के लोकसभा चुनाव में भी अखिलेश यादव कन्नौज से और धर्मेंद्र यादव बदायूं से सांसद चुनकर पहुंचे थे।
- 2014 में पहली बार सैफई परिवार के पांच सदस्य निर्वाचित हुए थे। इसमें खुद आजमगढ़ और मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव, कन्नौज से डिंपल यादव, बदायूं से धर्मेंद्र यादव और फिरोजाबाद से अक्षय यादव सांसद चुने गए थे। बाद में मुलायम सिंह ने आजमगढ़ सीट बरकरार रखते हुए मैनपुरी से इस्तीफा दिया। तब हुए उपचुनाव में इस परिवार की तीसरी पीढ़ी के रूप में तेज प्रताप यादव चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। उस दौरान अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
- 2019 के लोकसभा चुनाव में परिवार से सिर्फ दो सदस्य मैनपुरी से मुलायम सिंह और आजमगढ़ से अखिलेश यादव ही सांसद बने थे। बाकी सदस्यों को शिकस्त मिली थी।
पप्पू यादव और उनकी पत्नी रंजीता रंजन दो बार बन चुके सांसद
इस बार अखिलेश यादव और डिंपल यादव पति-पत्नी के रूप में लोकसभा सदस्य चुनी गई हैं। इसके पहले यह उपलब्धि बिहार से पप्पू यादव और उनकी पत्नी रंजीता रंजन के नाम थी । वह दोनों 2004 और 2014 में दो बार एक साथ चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंच थे। हालांकि दोनों अलग-अलग पार्टी से चुनाव लड़कर जीते थे। इस बार भी पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। उनकी पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस से राज्यसभा की सांसद हैं। दोनों जोड़ी के तौर पर तीसरी बार संसद में होंगे, लेकिन अलग-अलग सदन का हिस्सा होंगे।