रायपुर.
प्रदेश भाजपा के कद्दावर नेता, रायपुर दक्षिण विधायक एवं मंत्री बृजमोहन अग्रवाल अब सांसद बन गए हैं। उनके इस्तीफा देने के बाद ये सीट खाली हो जाएगी। चर्चा है कि बृजमोहन अग्रवाल दो-तीन दिन में मंत्री और विधायकी पद से इस्तीफा दे देंगे, क्योंकि भारत निर्वाचन आयोग के नियमानुसार, सांसद बनने के बाद विधायक पद से 14 दिन के अंदर इस्तीफा देना है।
इस तरह से इस्तीफा देने की अंतिम तारीख 18 जून हैं। वहीं, रायपुर दक्षिण में उपचुनाव के लिए अब भाजपा-कांग्रेस में थोक में दावदेार भी सामने आने लगे हैं। इसमें संगठन के पदाधिकारियों से लेकर रायपुर दक्षिण के विभिन्न वार्डों के सीनियर पार्षद भी दावेदारी ठोंकने लगे हैं।
निकाय चुनाव के दौरान हो सकते हैं उपचुनाव —
चर्चा है कि प्रदेश में साल के अंत में नगरीय निकायों के चुनाव होने हैं। इस दौरान ही रायपुर दक्षिण में भी उपचुनाव हो सकते हैं। विधायक के इस्तीफा देने के बाद निर्वाचन आयोग के छह माह के अंदर उपचुनाव कराना होता है। इसलिए निकाय चुनाव के दौरान ही उपचुनाव होने की ज्यादा संभावना है।
रायपुर दक्षिण में एकछत्र राज रहा –
बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से ही रायपुर दक्षिण में बृजमोहन अग्रवाल का एकछत्र राज रहा है। उनके रहते यहां से किसी और को कभी भाजपा से टिकट मिला ही नहीं। इस सीट से वे लगातार आठ बार से विधायक चुने गए। पहली बार उनके सांसद बनने के कारण अब इस सीट से थोक में दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं।
बृजमोहन से पूछ सकते है उनकी पसंद —
बृजमोहन अग्रवाल के दबदबे वाली इस सीट पर संभवत: पार्टी उनको नजर-अंदाज नहीं कर सकेगी। माना जा रहा है कि इस सीट से किसी को टिकट देने से पहले भाजपा बृजमोहन अग्रवाल से भी उनकी मंशा पूछ सकती है। इसके बाद उनकी पसंद के प्रत्याशी को मैदान में उतारा जा सकता है।
संघ पदाधिकारियों से मिल रहे दावेदार —
रायपुर दक्षिण से उप चुनाव के लिए टिकट के दावेदार भाजपा के कुछ नेताओं के संघ पदाधिकारियों से भी मिलने की खबर है। नगर निगम स्तर के नेता लगातार संपर्क साध रहे हैं। कोशिश ये भी की जा रही है कि बृजमोहन ही किसी का नाम आगे बढ़ा दें।
भाजपा से इनकी दावेदारी —
सुनील सोनी, नंदन जैन, सच्चिदानंद उपासने, रमेश सिंह ठाकुर, मनोज वर्मा, मीनल चौबे, केदारनाथ गुप्ता, अनुराग अग्रवाल, विजय अग्रवाल शामिल हैं।
कांग्रेस से इनकी दावेदारी —
प्रमोद दुबे, एजाज ढेबर, सन्नी अग्रवाल, सुमित दास, सतनाम पनाग, देवेंद्र यादव, कन्हैया अग्रवाल शामिल हैं।
कांग्रेस में भी कई दावेदार —
भाजपा की तरह कांग्रेस में भी दावेदारों की लिस्ट लंबी है। ये सीट कांग्रेस के लिए भी खास है, क्योंकि पहली बार बृजमोहन बतौर प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं होंगे। बृजमोहन जन नेता माने जाते हैं। सियासी जानकर बताते हैं कि इस सीट पर बड़ी संख्या में लोग बृजमोहन के चेहरे पर वोट करते हैं। बृजमोहन के दिल्ली जाने से कांग्रेस के लिए ये सीट थोड़ी आसान हो जाएगी। इस बार कांग्रेस से हर नेता मैदान पर उतरने की तैयारी करेगा।