मुंबई
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया अजित पवार को हाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (शिखर बैंक) घोटाले में क्लीन चिट दी थी। अब मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने इसका विरोध किया है। क्लोजर रिपोर्ट को अन्ना हजारे कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं। पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट पर अन्ना हजारे और माणिकराव जाधव के वकीलों ने आपत्ति जताई है। कोर्ट ने इस आपत्ति को स्वीकार कर लिया और याचिका दायर करने का समय दे दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 29 जून को होगी।
शिखर बैंक लोन घोटाला मामले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने अपना रुख बदलते हुए एनसीपी नेता अजित पवार समेत कई आरोपी नेताओं को क्लीन चिट दे दी है। 25 हजार करोड़ रुपये के शिखर बैंक घोटाले के मामले में अजित पवार, उनकी पत्नी सुनेत्र पवार और अन्य आरोपियों को मुंबई पुलिस की आर्थिक क्राइम ब्रांच ने बरी कर दिया। पुलिस ने कहा कि इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अजित पवार को राजनीतिक गलियारों से भी क्लीन चिट मिल गई।
वकीलों की दलील है कि- जांच एजेंसियों का इस्तेमाल पूरी तरह से सरकार के द्वारा किया जा रहा है। सत्तारूढ़ दलों के द्वारा दूसरे दलों के नेताओं को अपने पाले में लाने के दबाव बनाने के लिए भी जांच एजेंसियों दुरुपयोग किया जा रहा है। अजित पवार के मामले में EOW और प्रवर्तन निदेशालय (ED) का व्यवहार भी ऐसा ही देखने को मिला है। इसलिए ऐसी कोई तस्वीर नहीं है कि इस गंभीर मामले की जांच राज्य या केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा पारदर्शी तरीके से की जाएगी। इसलिए इस मामले की जांच हाईकोर्ट के रिटायर जजों की अध्यक्षता में एसआई बनाकर की जानी चाहिए।
इस केस के मूल शिकायतकर्ता सुरिंदर अरोड़ा, याचिकाकर्ता माणिक जाधव, वरिष्ठ वकील सतीश तालेकर और वकील माधवी अय्यप्पन ने संशोधित याचिका के माध्यम से ये बातें कोर्ट के सामने रखी है।