बलिया
यूपी के बलिया को गंगा की कटान से बचाने के लिए नदी की दिशा बदलने की जिस परियोजनाओं पर पूरे तामझाम से काम शुरू हुआ था उसकी ही दशा बिगड़ गयी है। करीब 31 करोड़ रुपये से अधिक की ड्रेजिंग परियोजना का फिलहाल कोई पूछनहार नहीं है। इसे धरातल पर उतारने के लिए शासन ने कार्यदायी संस्था में बदलाव भी किया गया। इसके बावजूद नतीजा सिफर रहा। सितंबर, 2019 में गंगा ने जिले में भयंकर तबाही मचाई थी। बैरिया तहसील में गोपालपुर ग्राम पंचायत के सौ से अधिक मकान नदी में समा गये थे। गंगा पार नौरंगा पंचायत में प्रधानमंत्री योजना के तहत बनी सड़क का बड़ा हिस्सा भी इसमें विलीन हो गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हवाई सर्वेक्षण के बाद जिले को कटान से स्थायी छुटकारा दिलाने के लिए गोरखपुर की तर्ज पर नदी की धारा मोड़ने को यहां भी ड्रेजिंग कार्य कराने की घोषणा की थी। संबंधित अधिकारियों ने प्रोजेक्ट तैयार किया और शासन ने तुरंत इसकी मंजूरी भी दे दी।
कुल 30 करोड़ नौ लाख (लगभग 31 करोड़) रुपये की परियोजना में गंगा की धारा मोड़ने के लिए मौजा पचरुखिया से नौरंगा तक नदी में 13.6 किमी लंबाई में ड्रेजिंग कार्य प्रस्तावित था। ऊपरी सिरे पर 46 तथा निचले सिरे पर 40 मीटर चौड़ाई के बीच गंगा को ड्रेज करना था। इसके अलावा गहराई में जलस्तर के चार मीटर नीचे तक मिट्टी खोदी जानी थी। निविदा प्रक्रिया पूरी कर कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग के बैराज खंड (वाराणसी) ने 29 मई, 2020 को पहले चरण में तीन किमी लंबाई में काम शुरू भी कर दिया। काम पूरा होने से पहले ही बाढ़ आ गयी। लिहाजा, गंगा से निकाली गई मिट्टी फिर पुरानी जगह पर पहुंच गई। कार्यदायी संस्था ने इस काम में करीब सात करोड़ रुपये का खर्च दिखाया।
लेटलतीफी और नुकसान के बाद शासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया। वर्ष 2021 में यह काम बैराज खंड से लेकर यूपीपीसीएल (उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कारपोरेशन लिमिटेड) के हवाले कर दिया गया। नई कार्यदायी संस्था बाढ़ में पट चुकी मिट्टी को वापस निकालने के साथ ही चंद कदम ही और आगे बढ़ पायी थी कि फिर बाढ़ आ गई। इससे काम रुक गया। कुल मिलाकर सरकार की यह परियोजना ठंडे बस्ते में है।
सीएम योगी की महत्वाकांक्षी योजना पर लगा ग्रहण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 17 सितंबर, 2019 को बाढ़ से तबाही का जायजा लेने बलिया आये थे। दयाछपरा पानी टंकी के मैदान में सभा में उन्होंने नदी की धारा मोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना का जिक्र किया। उन्होंने इस दिशा में काम के लिए अफसरों को प्रोजेक्ट बनाने को कहा था। बहरहाल, शासन के जिम्मेदार अफसरों की उदासीनता-लापरवाही से सीएम की महत्वाकांक्षी योजना पर ग्रहण लग गया है। हर साल करोड़ों खर्च करने के बाद भी प्रभावित क्षेत्रों मे गंगा की कटान पर अंकुश नहीं लग पाया है।
गोरखपुर की तर्ज पर जिले में होना था काम
गोरखपुर की तर्ज पर जिले में भी गंगा की धारा मोड़ने का काम होना था। दरअसल, गोरखपुर में राप्ती की कटान से हर साल भारी तबाही होती है। स्थायी समाधान के लिए नदी की धारा मोड़ने की दिशा में काम किया गया। इसका फायदा हुआ और लोगों का कटान से निजात मिली। गोरखपुर की तर्ज पर ही बलिया में भी गंगा की धारा मोड़ने के लिए ड्रेजिंग कराने का निर्णय किया गया। कटान प्रभावित क्षेत्र के लोगों के अनुसार यदि कार्य पूरा हो गया होता तो हजारों की आबादी के साथ ही सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि कटान से सुरक्षित हो जाती।
अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड बलिया संजय कुमार मिश्र के अनुसार गंगा में ड्रेजिंग का कार्य पहले बैराज खंड वाराणसी और उसके बाद यूपीपीसीएल के जिम्मे था। इस संबंध में उसी विभाग से संबंधित अधिकारी कुछ बता सकेंगे। उनसे हमारा कोई संपर्क नहीं है।