नई दिल्ली
देश के कई इलाकों में इस बार रिकॉर्डतोड़ गर्मी पड़ रही है। कई इलाकों में तापमान 45 डिग्री के पार चला गया है। जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ने के कारण लाखों लोगों के सामने रोजीरोटी का संकट खड़ा हो गया है। उनके पास अब दो ही विकल्प हैं। खतरनाक परिस्थितियों में काम करें या भूखे रहें। लेकिन ऐसी स्थिति में एक प्रोग्राम महिलाओं के लिए काफी मददगार साबित हो रहा है। इसने उन्हें एक तीसरा विकल्प दिया है। वे चिलचिलाती गर्मी में कम से कम कुछ घंटों के लिए काम करना बंद कर सकती हैं। उससे वह भीषण गर्मी से खुद को बचा लेंगी और उन्हें भूखों मरने की नौबत भी नहीं आएगी।
अहमदाबाद शहर में 19 मई से 25 मई के बीच रोजाना तापमान 43 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को चलाने वाले कई मजदूरों के लिए काम करना मुश्किल हो गया। 40 वर्षीय लताबेन अरविंदभाई मकवाना के लिए अपने टिन की छत वाले मकान के अंदर सिलाई मशीन चलाना असहनीय था। इस मकान में बहुत कम वेंटिलेशन था और केवल एक छोटा सा छत वाला पंखा था। एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में उनके लिए जिंदगी मुश्किल थी। काम नहीं कर पाने का मतलब था कि वह अपने बच्चों का पेट भरने और अपने लिए ब्लड प्रेशर की दवा खरीदने के लिए जरूरी पैसे नहीं कमा पा रही थी। मकवाना ने कहा, 'हर गर्मियों में स्थिति बदतर होती जा रही है।' गर्मी खासकर उनके जैसे लोगों के लिए खतरनाक है जो हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं।
कैसे काम करती है यह स्कीम
अहमदाबाद में जैसे ही तापमान 43.6 डिग्री सेल्सियस के पार हुआ, मकवाना और हजारों दूसरी महिलाओं को बताया गया कि इंश्योरेंस कंपनी आईसीआईसीआई लोम्बार्ड उन्हें उनके दैनिक वेतन का एक हिस्सा देगी। यह प्रोग्राम पैरामीट्रिक इंश्योरेंस का उपयोग करता है जो किसी विशेष पैमाने के हिट होने पर भुगतान करता है। जैसे कि रोजाना तापमान का बढ़ना। पिछले महीने भीषण गर्मी के दौरान देश के 22 जिलों में 46,000 से ज्यादा महिलाओं को कुल 2,84,00,000 रुपये का भुगतान किया गया। इस प्रोग्राम में करीब 50,000 महिलाएं एनरॉल हैं। मकवाना का इंश्योरेंस भुगतान 750 रुपये था, जो कुछ दिनों के लिए भोजन और दवाइयों के लिए पर्याप्त था। इसके अलावा उन्हें चैरिटी के रूप में अलग से 400 रुपये मिले थे। पहली बार तापमान के 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंचने पर उन्हें यह राशि मिली थी।
The Self-Employed Women's Association का लेबर यूनियन इंश्योरेंस प्रोग्राम चलाता है। इसके प्रीमियम के एक हिस्से का भुगतान प्रोग्राम में एनरॉल महिलाएं करती हैं जबकि शेष हिस्सा चैरिटी द्वारा वहन किया जाता है। पायलट प्रोग्राम पिछले साल शुरू किया गया था और अप्रैल 2025 तक चलने वाला है। Climate Resilience for All एक नॉन-प्रॉफिट संस्था है जो इस इंश्योरेंस प्रोग्राम को सपोर्ट कर रही है। इसकी सीईओ कैथी बॉगमैन मैकलियोड ने कहा कि यह प्रोग्राम सफल रहा है। चैरिटी की इस इंश्योरेंस प्रोग्राम को दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी अपनाने की योजना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारतीय कार्यक्रम का सपोर्ट करने वाले फंडर्स अगले कुछ साल तक इसे मदद करते रहेंगे।