लंदन
कोरोना महामारी को वैश्विक स्तर पर चार साल से अधिक का समय बीत गया है। संक्रमण से बचाव के उपाय और टीकाकरण ने रोग की गंभीरता तो कम की है, पर नए वैरिएंट्स के कारण होने वाली समस्याओं का जोखिम लगातार बना हुआ है। नए वैरिएंट्स की प्रकृति वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा को चकमा देने वाली मानी जा रही है, ऐसे में कई बार टीकों को अपडेट भी किया जा चुका है।
संक्रमण के जोखिमों को देखते हुए वैज्ञानिक हर साल फ्लू टीकों की ही तरह से लोगों को कोविड वैक्सीन भी लेने की सलाह दे रहे हैं। गौरतलब है कि कोविड टीकों की प्रभाविकता समय के साथ कम होती जाती है, जिससे नए वैरिएंट्स के कारण संक्रमण का खतरा हो सकता है।
कोरोना की ही तरह से हर साल इंफ्लूएंजा वायरस से संक्रमण के कारण भी दुनियाभर में लाखों लोग बीमार होते हैं। इन संक्रामक रोगों से बचाव के लिए वैज्ञानिक अब एक तीर से दो निशाना लगाने की कोशिश में हैं। शोधकर्ताओं की एक टीम कोविड-19 और फ्लू के लिए ऐसे खास तरह के टीके का निर्माण कर रही है जिससे इन दोनों संक्रामक रोगों से बचाव किया जा सके।
कोविड-19 और फ्लू के लिए एक ही टीका
हम जितनी बार सोचते हैं कि कोविड-19 से हमारा पीछा छूट गया है, उतनी बार वायरस एक नए म्यूटेशन के साथ आ जाता है। स्वास्थ्य अधिकारी सलाह देते हैं कि सभी लोगों को निकट भविष्य में हर साल कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा दोनों के लिए टीकाकरण कराना चाहिए। इसी दिशा शोधकर्ताओं की एक टीम 'टू इन वन' वैक्सीन बनाने की दिशा में काम कर रही है।
इस संबंध में 10 जून को वैक्सीन निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने बताया कि वह इस तरह के एक टीके पर काम कर रही है। शुरुआती परिणामों में ये संयुक्त कोविड-19/इन्फ्लूएंजा टीका सार्स-सीओवी-2 और इन्फ्लूएंजा के खिलाफ मौजूदा अलग-अलग टीकों से बेहतर परिणाम देती हुई देखी गई है।
इन्फ्लूएंजा के ज्यादातर स्ट्रेन पर ये प्रभावी
अध्ययनकर्ताओं ने बताया इस संयुक्त टीके में कोविड-19 वाला हिस्सा मौजूदा वैक्सीन की तुलना में वायरस के स्पाइक प्रोटीन को अधिक प्रभावी तरीके से लक्षित करता हुआ देखा जा रहा है। इस वैक्सीन की शेल्फ लाइफ भी अधिक हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ वैक्सीन का इंफ्लूएंजा वाला घटक mRNA तकनीक का उपयोग करता है। ये पूरे सीजन फैलने वाले इन्फ्लूएंजा के लगभग सभी स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी तरीके से कारगर हो सकता है। इन्फ्लूएंजा ए समूह के इन्फ्लूएंजा और इन्फ्लूएंजा बी स्ट्रेन पर इस टीके को असरदार पाया गया है।
अध्ययन में क्या पता चला?
वैक्सीन के परीक्षण में 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के 8,000 प्रतिभागियों को शामिल किया गया। इसमें आधे लोगों को संयोजन टीका जबकि शेष लोगों को कोविड और फ्लू के अलग-अलग टीके दिए गए। अलग-अलग टीके लेने वाले समूह की तुलना में कॉम्बो वैक्सीन ने इन्फ्लूएंजा के स्ट्रेन को खिलाफ 20 से 40% अधिक और कोविड-19 वैरिएंट्स के खिलाफ 30% अधिक एंटीबॉडी उत्पन्न किए। वृद्ध लोगों में भी एंटीबॉडी का स्तर अच्छा देखा गया।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
मॉडर्ना में संक्रामक रोग विभाग के वाइस प्रेसिडेंट और शोध के प्रमुख लेखकों में से एक डॉ. जैकलीन मिलर कहती हैं, इस टू इन वन वैक्सीन का असली फायदा यह है कि लोगों को केवल एक ही इंजेक्शन लगवाने की जरूरत होती है। इसका एक सार्वजनिक-स्वास्थ्य लाभ भी है, क्योंकि दोनों बीमारियों के लिए यू.एस. सहित दुनियाभर में टीकाकरण दर अपेक्षाकृत कम है। जब हम दोनों टीकों को एक साथ देने में सक्षम होते हैं, तो इससे टीकाकरण अनुपालन दर भी बढ़ेगी, खासकर उन लोगों के लिए जो सबसे अधिक जोखिम में हैं। इस टीके को अधिक प्रभावी तरीके से संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने वाला भी माना जा सकता है।