नई दिल्ली
अरसे से लंबित शिक्षा सुधारों को गति देने की तैयारी हो रही है। इस कड़ी में भारतीय उच्च शिक्षा आयोग का प्रस्ताव अब जल्द संसद की दहलीज तक पहुंच सकता है। इस संबंध में विधेयक को कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजने की तैयारी शिक्षा मंत्रालय की ओर से पूरी कर ली गई है। यह जानकारी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दी है।
हालांकि, कैबिनेट की मंजूरी और संसद में पेश करने के बाद भी सरकार इसे तुरंत पारित कराने की कोशिश नहीं करेगी, बल्कि सरकार का प्रयास होगा कि इसे संसदीय समिति के विचारार्थ भेजा जाए, जिससे इसकी सूक्ष्मता के साथ स्क्रूटनी हो जाए। सरकार आयोग के गठन से पहले व्यापक विचार विमर्श की प्रक्रिया पूरी कर लेना चाहती है।
नई शिक्षा नीति के तहत बदलावों पर मंथन
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के अनुरूप विद्यालयी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा स्तर पर कई बदलाव किए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने सभी बदलावों को लेकर विभागीय स्तर पर मंथन शुरू कर दिया है। इसमें उच्च शिक्षा आयोग का गठन, उच्च शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने, डिजिटल शिक्षा को प्रोत्साहित करने और विभिन्न बोर्डों के मानकों को समान बनाने के साथ परीक्षा और दाखिले से जुड़े सुधार शामिल हैं।
आयोग से क्या होंगे बदलाव
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों में गैर-तकनीकी, तकनीकी और शैक्षिक संस्थानों को अलग-अलग नियामक चलाते हैं। उच्च शिक्षाा आयोग बनने से इस व्यवस्था को बदल दिया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के अलग-अलग विनियामकों की बजाय एक ही निमायक की स्थापना की तैयारियां की जा रही है। यह आयोग देश में सभी गैर-तकनीकी व तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ-साथ अध्यापक शिक्षा संस्थानों को विनियमित करेगा। इस कमीशन के अंदर मेडिकल और लॉ कॉलेज नहीं आएंगे। एचईसीआई की तीन प्रमुख भूमिकाएं होंगी। जिसमें एक्रेडिटेशन, प्रोफेशनल और शैक्षिक मानकों को बनाए रखना शामिल होगा। हालांकि फंडिंग एचईसीआई के अधीन नहीं होगी।
अरसे से हो रहा इंतजार
इस प्रस्ताव पर पिछले कई वर्षो से चर्चा चल रही है। लेकिन, यह मूर्त रूप नहीं ले पाया है। शिक्षा सुधारों के लिहाज से इसे काफी अहम माना जा रहा है, लेकिन इसके दूरगामी असर को देखते हुए सरकार इसकी हर स्तर पर व्यापक समीक्षा कर लेना चाहती है।