छत्तीसगढ़

बीजेपी ने फिर खेला आदिवासी चेहरे पर दांव, तीसरी बार विष्णुदेव साय बने प्रदेश अध्यक्ष

रायपुर. छत्तीसगढ़ बीजेपी (BJP) अपने नए अध्यक्ष के लिए विधानसभा उपचुनावों में मिली करारी हार के तत्काल बाद से ही जुट गई थी. बीजेपी की नजर एक ऐसे चेहरे पर थी जो ना केवल संगठन को साध सके बल्कि 15 सालों बाद सत्ता से बेदखल होने पर कार्यकर्ताओं में उत्साह भी जगा सके. इतना ही नहीं महत्वाकांक्षी नेताओं के बीच भी बेहतर तालमेल बैठा सके. बीजेपी की यह तमाम अटकलें और तलाश विष्णुदेव साय के चेहरे पर आकर टिक गई. बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने विष्णुदेव साय (Vishnu Deo Sai) के प्रदेश अध्यक्ष बनने की विधिवत घोषणा कर दी. इस घोषणा के साथ ही एक बार फिर तय हो गया कि बीजेपी आदिवासी चेहरे पर दांव खेलने जा रही है. विष्णुदेव साय सत्ता और संगठन के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. वे मोदी-01 सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री काफी जिम्मा संभाल चुके हैं, तो वहीं पूर्व में दो बार छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

मिशन 2023 पर बीजेपी का फोकस

बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति विधानसभा चुनाव 2023 के मद्देनजर की है ताकि नए अध्यक्ष को तैयारी करने के लिए डेढ़ 2 साल का बेहतर समय मिल सके और फिर तैयारियों के साथ चुनावी मैदान में उतरा जा सके. मगर मिशन 2023 से पहले नए प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय के सिर पर मानों कांटों का ताज आ गया है, क्योंकि 15 साल बाद सत्ता से बेदखल होने के बाद संगठन के कई रंग- रूप उभर कर सामने आए हैं, तो वहीं कई शक्ति केंद्र सत्ता के करीबी होकर भी बीजेपी में बड़े चेहरे बने हुए हैं. इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद दो-दो उपचुनाव में करारी हार, नगरी निकाय चुनाव में करारी शिकस्त, बहुमत के बाद भी अध्यक्ष न बना पाना, पंचायत चुनाव में भी बड़ी हार के बाद कार्यकर्ताओं का उत्साहित होना, सत्ता पक्ष के आक्रमक तेवर के सामने विपक्ष का मनोबल डगमगाना यह तमाम ऐसी बड़ी चुनौती है जी नए प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदेव साय के सिर पर कांटों के ताज के समान हैं.

सत्ता की चाबी आदिवासी

छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक राज करने वाली बीजेपी ने यह साबित किया था कि आदिवासी प्रदेश में सत्ता की चाबी है. ऐसे में 2018 विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट बैंक में बड़े सेंध के बाद बीजेपी विष्णुदेव साय के दम पर आदिवासी वोट बैंक को फिर से अपने तरफ करना चाहेगी, मगर यह किसी बड़े चुनौती से कम नहीं होगा.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर नेता प्रतिपक्ष चुनाव के समय से ही गहमागहमी मचा हुआ था. बीजेपी ने ओबीसी वर्ग से धरमलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बनाकर ओबीसी कार्ड तो खेला मगर कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग से मोहन मरकाम को पीसीसी चीफ बना कर आगे निकल ग.  हालांकि तत्कालीन समय में आदिवासी वर्ग से ही विक्रम उसेंडी बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष थे. मगर उनके नेतृत्व क्षमता पर कई मौकों पर सवाल उठ चुका था. ऐसे में एक बार फिर आदिवासी को कमान देकर बीजेपी संगठनात्मक रूप से कांग्रेस के बराबर आ चुकी है.

जनसम्पर्क विभाग – आरएसएस फीड

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com