कनाडा
हाल ही में जी-7 सम्मेलन इटली में सम्पन्न हुआ है। अगले साल जी-7 शिखर सम्मेलन का आयोजन कनाडा के अल्बर्टा में किया जाएगा। इस बारे में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने घोषणा की है। जब उनसे पूछा गया कि क्या कनाडा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बैठक के लिए आमंत्रित करेगा, तो ट्रूडो ने कहा कि वह इस शिखर सम्मेलन के बारे में तभी कुछ कह सकते हैं जब वह कनाडा के राष्ट्रपति फिर से बन पाएंगे। उल्लेखनीय है कि कनाडा में राष्ट्रपति चुनाव जल्द होने हैं।
पीटीआई ने ट्रूडो के हवाले से कहा, "मैं इस बात की सराहना कर सकता हूं कि कनाडा के लोग अगले साल के जी-7 का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, इटली इस साल के बाकी समय के लिए जी-7 का अध्यक्ष बना रहेगा और मैं प्रधानमंत्री मेलोनी और अपने सभी जी-7 भागीदारों के साथ उन व्यापक मुद्दों पर काम करने के लिए उत्सुक हूं, जिन पर हमने बात की है।" उन्होंने 2025 में अल्बर्टा के कनानास्किस में होने वाले शिखर सम्मेलन के बारे में कहा, "जब हम अगले साल जी-7 की अध्यक्षता संभालेंगे, तब मेरे पास अगले साल के जी-7 के बारे में कहने के लिए और भी बहुत कुछ होगा।" उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने जी-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया था। इस कार्यक्रम में यूरोपीय संघ के साथ-साथ सात सदस्य देश- अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, इटली, जर्मनी और फ्रांस शामिल थे।
जी-7 सम्मेलन में इटली पहुंचे थे पीएम मोदी
इटली के अपुलिया में शिखर सम्मेलन में मोदी ने यूनाइटेड किंगडम के ऋषि सुनक, यूक्रेन के वोलोडिमिर जेलेंस्की और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी ने ट्रूडो से भी संक्षिप्त बातचीत की। इस बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक लाइन में लिखा, "जी-7 शिखर सम्मेलन में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से मुलाकात की।"
तल्ख हैं भारत कनाडा के रिश्ते
बता दें कनाडा की संसद में ट्रूडो द्वारा पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ बताया था। हालांकि, भारत ने इस बयान को सिरे से खारिज कर दिया था। तब से भारत और कनाडा के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। कनाडा के पीएम प्रधानमंत्री ने निज्जर की हत्या पर अपने आरोपों को पुष्ट करने के लिए अभी तक एक भी सबूत पेश नहीं किया है। भारत ने कनाडा सरकार के समक्ष खालिस्तानी समर्थक तत्वों के उत्तरी अमेरिकी देश में शरण लेने पर बार-बार अपना विरोध जताया है, लेकिन ट्रूडो का इस तरफ कभी ध्यान नहीं गया।