राजनीती

मुझे लगता है कि देश में शायद ही कोई ऐसा हो, जिसका रेल से जुड़ाव ना हो, सुप्रिया श्रीनेत ने रेल हादसा पर भाजपा को घेरा

नई दिल्ली
मुझे लगता है कि देश में शायद ही कोई ऐसा हो, जिसका रेल से जुड़ाव ना हो। हम सब लोग मध्‍यम वर्ग से आते हैं, निम्‍न मध्‍यम वर्ग से आते हैं और रेल से जुड़ी हुई बड़ी मधुर स्‍मृतियां हैं और रेल से ही कहीं ना कहीं आवागमन सबने, किसी ना किसी टाईम पर जरूर किया है। क्‍योंकि रेल सिर्फ पटरियों पर दौड़ने वाली ट्रेनें नहीं हैं, दनदनाती हुई ट्रेनें नहीं हैं। रेल इस देश के एक छोर को दूसरे छोर से जोड़ता है, रेल हिन्‍दुस्‍तान की जीवन रेखा है और सबसे बड़ी बात है कि आवागमन का सबसे सस्‍ता, इकोनॉमिकल साधन है, एटलीस्‍ट हुआ करता था और उसी के कारण मध्‍यम वर्ग, निम्‍न मध्‍यम वर्ग, गरीब व्‍यक्ति रेल की यात्रा को प्रेफर करता है।

आज तक जब आप रेल में बैठते थे टिकट लेकर, तो कहीं ना कहीं यह विश्‍वास रहता था कि अपने गंतव्‍य तक पहुंच जाएंगे। बड़े सारे स्‍टेशन आते थे, उसमें पूड़ी सब्‍जी खाई जाती थी, कहीं पर चाय पी जाती थी, कहीं पकौड़ी-समोसे खाए जाते थे और एक यह विश्‍वास था कि गंतव्‍य तक पहुंच जाएंगे, लेकिन आज जब रेल यात्री बैठता है, तो उसके मन में शंका रहती है कि गंतव्‍य तक वो पहुंचेगा या उसकी अर्थी और लाश पहुंचेगी, यह कीर्तिमान नरेंद्र मोदी ने और उनकी सरकार ने स्‍थापित किया है।

मैं यहां पर आपको दो तस्‍वीरें दिखाना चाहती हूं। यह तस्‍वीर ठीक एक साल पहले इसी महीने जून की है, 02 जून, 2023 को ओडिशा के बालासोर में भीषण ट्रेन हादसा हुआ था, करीब-करीब 300 लोगों की मौत हुई थी और 900 से ज्‍यादा लोग घायल हुए थे। पश्चिम बंगाल में कल फिर एक ट्रेन हादसा हुआ। पटरी पर कंचनजंगा एक्‍सप्रेस थी, उसको पीछे से मालगाड़ी ने आकर मारा, 15 लोगों की मौत और अभी तक 40 लोगों के घायल होने की खबर सामने आई है। ठीक एक साल पहले बालासोर ओडिशा में और एक साल बाद पश्चिम बंगाल में ट्रेन हादसा होता है। क्‍या बदला है एक साल में? आज पूछना पड़ेगा ना कि एक साल में क्‍या बदला है। लगातार ट्रेन हादसे हो रहे हैं और मैं एक सरकारी आंकड़ा आपके साथ साझा कर देती हूं। 1,117 ट्रेन दुर्घटनाएं 2014 से 2023 तक और जान-बूझकर 2023 तक का ही आंकड़ा दे रही हूं। 31 मार्च 2023, क्‍योंकि यह हमारे आंकड़े नहीं हैं, आपके आंकड़े नहीं हैं, यह भारत सरकार के आंकड़े हैं। 1,117 ऐसी रेल दुर्घटनाएं हुईं हैं, जहां पर जान और माल का नुकसान हुआ है, यह सरकारी आंकड़ा है। असल आंकड़ा इससे बहुत ज्‍यादा है।

मतलब हर महीने 11 ट्रेन हादसे हुए हैं, हर तीन दिन पर एक ट्रेन हादसा हो रहा है और उसमें जान और माल की क्षति हो रही है। तो क्‍या बदला एक साल में? इतना बड़ा बालासोर का ट्रेन हादसा हुआ, हम सबने लाशों का अंबार देखा, परिवारों को उजड़ते हुए देखा, छोटे-छोटे बच्‍चों को बिलखते हुए देखा। क्‍या बदला एक साल में? बालासोर से पश्चिम बंगाल, क्‍या बदला? क्‍या बदला 2014 से 2024 में? मैं एक सूची पढ़ देती हूं, आपको दिखा दिया है, लेकिन एक छोटी सी सूची है। 2014 में गोरखधाम एक्‍सप्रेस डीरेल हो जाती है, 25 लोगों की मौत हो जाती है। इंदौर-पटना एक्‍सप्रेस का हादसा होता है, 150 लोगों की मौत होती है। कैफियत एक्‍सप्रेस में 70 लोग घायल हो जाते हैं। पुरी-उत्‍कल एक्‍सप्रेस में 30 लोगों की मौत हो जाती है। बीकानेर-गुवाहाटी एक्‍सप्रेस में 36 से ज्‍यादा लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं, 10 लोगों की मौत होती है। बालासोर, मैंने आपको बताया लगभग 300 लोगों की मौत और 900 से ज्‍यादा लोग घायल और कल 15 लोगों की मौत और 40 लोग घायल और मैंने यह सिर्फ कुछ आंकड़े बताए हैं, 1,117 ऐसे हादसे हुए हैं।

तो जिम्‍मेदारी किसकी है? जवाबदेही किसकी है? इस देश में हमने वो भी मंत्री देखे हैं, अगर उनके डिपार्टमेंट में, अगर रेल मंत्री रहते हुए ऐसे हादसे हुए हैं, तो उन्‍होंने अपने पद से नैतिक जिम्‍मेदारी लेते हुए इस्‍तीफा दिया है। फिर वो लाल बहादुर शास्‍त्री हों, नीतीश कुमार रहे हों, माधवराव सिंधिया रहे हों, ममता बनर्जी रही हों, मधु दंडवते रहे हों, जॉर्ज फर्नांडिस रहे हों, सब लोगों ने नैतिक जिम्‍मेदारी लेते हुए इस्‍तीफा दिया है, लेकिन आज हिंदुस्‍तान का रेल मंत्री, रील मंत्री बना हुआ है। नैतिक जिम्‍मेदारी छोड़ दीजिए, आज भी हादसे के वक्‍त रील कैसे अच्‍छी बनेगी, उस पर चर्चा हो रही है।

बालासोर के वक्‍त अश्‍विनी वैष्‍णव वहां पर आए, डाईव कर रहे थे, ट्रेन के नीचे घुसकर झांक रहे थे, दो-चार टेसू बहा रहे थे। क्या किया आपने रेल को सुरक्षित करने के लिए? आप कल पहुंचते वहां पर, आप रेल मंत्री हैं, आप गाड़ी से भी जा सकते थे, लेकिन वीडियो ज्यादा बेहतर तब आएगा, जब आप जूम-जूम-जूम करके मोटरसाइकिल से जाएंगे। अच्छा वीडियो आ गया सामने, रील बना ली आपने, अब आप बताइए आपने एक साल से इस देश में रेल को सुरक्षित करने के लिए क्या काम किया? उस रेल को सुरक्षित करने के लिए जिसमें इस देश का युवा, जिसमें किसान, जिसमें मजदूर, जिसमें मध्यम वर्ग अपने परिवारों के साथ चलता है, उसको सुरक्षित करने का क्या काम किया? लोगों के मन की आशंका है कि भैया हम पहुंचेंगे या हमारी लाश पहुंचेगी, उसको दूर करने का क्या काम किया?

About the author

Satyam Tiwari

जनसम्पर्क विभाग – आरएसएस फीड

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com