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लॉकडाउन में पॉजिटिव फीलिंग से खत्म हो सकती है मन की उदासीः शोध

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इंतजार को सबसे अप्रिय बनाने वाली चीजों में से एक अनिश्चितता है. कोविड-19 (Covid-19) से फैली महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन (Lockdown) में लोग अनचाहा इंतजार कर रहे हैं, खासकर जबकि परिणाम को लेकर अनिश्चितता है. विशेषज्ञों का कहना है कि सकारात्मक भावना और लोगों में जोश भरकर इस उदासी को दूर किया जा सकता है.

कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान के प्रोफेसर और व्यवहार निर्णय अनुसंधान केंद्र के निदेशक जॉर्ज लोवेनस्टीन का कहना है कि सरकारों को लोगों के मानसिक-स्वास्थ्य को टूटने से रोकने के लिए उन प्रयासों के बारे में सावधानी से सोचने की जरूरत है, जो इस इंतजार को अधिक सहनीय बना सकते हैं. इंतजार सबसे अप्रिय अनुभवों में से एक है, जिसे लोग नियमित रूप से सहन करते हैं. फिर चाहे वह परीक्षा, बीमारी का निदान, नौकरी के लिए साक्षात्कार या ऑडिशन के परिणाम की प्रतीक्षा करना हो, सभी के लिए यह उदासी भरा ही होता है.

मन को जोश से भरने की होगी जरूरत

शोधकर्ताओं के अनुसार दुनियाभर में कोरोना महामारी को लेकर संशय बना हुआ है. लॉकडाउन से करोड़ों लोगों की जिंदगी प्रभावित हो रही है. लोग सोचने पर मजबूर हैं कि वायरस का वैक्सीन कब तक विकसित होगा. खासकर उसके परिणाम को लेकर चिंतित हैं.

वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि जब तक कोई टीका उपलब्ध नहीं हो जाता है, तब तक हमें किसी सामाजिक गड़बड़ी को रोकना होगा. सरकारों को ऐसे तरीकों के बारे में सावधानी से सोचने की जरूरत है, जो संकट और प्रतीक्षा की इस घड़ी में लोगों में सकारात्मक सोच विकसित कर सकें और उनमें जोश भरा जा सके.

सामाजिक अलगाव और ‘डर अपील’ पर किए गए शोध से पता चलता है कि स्पष्ट निर्देश सबसे अच्छा काम करते हैं. ऐसा संदेश नियंत्रण की सकारात्मक भावना और सकारात्मक बदलाव की ओर ले जाता है. यह हमारे जीवन को सार्थक बनाते हैं.

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