मुंबई
फिल्म 'हमारे बारह' (Hamare Baarah ) को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज कुछ बदलावों के साथ रिलीज करने की अनुमति दे दी है. फिल्म को लेकर कोर्ट ने भी कहा था कि फिल्म में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कुछ नहीं है, लेकिन कुछ दृश्यों को लेकर आपत्ति हो सकती है. इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को आपस में बात करके हल निकालने को कहा था. इससे पहले अभिनेता अनु कपूर की फिल्म को 7 जून को रिलीज होना था, लेकिन विवादों के चलते ये फिल्म रिलीज नहीं हो पाई. इस फिल्म के खिलाफ याचिका में इस्लामिक आस्था के साथ ही मुस्लिम महिलाओं के अपमान का भी आरोप लगाया गया था.
बता दें कि मंगलवार की सुनवाई में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कुछ डायलॉग्स को म्यूट करने के आदेश दिये थे. साथ ही कोर्ट ने इसके ट्रेलर पर ऐतराज जताते हुए निर्माता पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. कोर्ट ने कहा कि यह फिल्म ट्रेलर से उलट है और एक अच्छा सामाजिक संदेश देती है.
हमारे बारह का ट्रेलर 30 मई को रिलीज करने के बाद महज 24 घंटे में हटा दिया गया क्योंकि जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर बनी इस फिल्म के कुछ दृश्यों और डायलॉग्स पर आपत्ति थी. आरोप था कि फिल्म मुस्लिम समुदाय का अपमान करती है. फिल्म का पोस्टर भी 5 अगस्त को जारी किया गया था, उस पर भी सवाल उठे थे.
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष इम्तियाज जलील ने आरोप लगाया था कि फिल्म का नाम हम दो हमारे बारह था. जो बाद में हमारे बारह किया गया. इसमें मुस्लिम समाज को निशाना बनाया गया. फिल्म का उद्देश्य विवाद पैदा कर पैसा कमाना है. ये सुनिश्चित हो कि किसी समुदाय का मजाक ना उड़ाया जाए.
कर्नाटक सरकार ने कुछ मुस्लिम संगठनों द्वारा चिंता जताए जाने के बाद आदेश देकर इसके ट्रेलर की रिलीज पर रोक लगा दी. सरकार की ओर से कहा गया कि अगर फिल्म रिलीज हुई तो दंगे भड़क सकते हैं. राज्य के कई मुस्लिम संगठनों ने आरोप लगाया था कि हमारे बारह में मुस्लिम धर्म को अपमानजनक तरीके से दिखाया गया है. उन्होंने इस पर बैन की मांग भी की थी. आदेश में ये भी कहा गया कि अगर फिल्म को रिलीज किया गया तो इससे धर्म और जातियों के आधार पर समाज में दरार पैदा होगी.
फिल्म का ट्रेलर और टीजर रिलीज होने के बाद फिल्म के कलाकरों को भी धमकी मिल रही थीं. इसके बाद अभिनेता अन्नू कपूर ने डायरेक्टर और निर्माता के साथ सीएम एकनाथ शिंदे से मुलाकात करके सुरक्षा की मांग की थी.
न्यायमूर्ति बीपी कोलाबावाला और फिरदौस पूनीवाला की पीठ ने कहा था कि फिल्म का पहला ट्रेलर आपत्तिजनक था, लेकिन उसे हटा दिया गया है. फिल्म से ऐसे सभी आपत्तिजनक दृश्य हटा दिए गए हैं. यह एक 'सोचने वाली फिल्म' है और ऐसी नहीं है जहां दर्शकों से 'अपना दिमाग घर पर रखने' और केवल इसका आनंद लेने की उम्मीद की जाती है.